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Explainer : AI कितना खतरनाक? क्या इंसान की बनाई मशीन उसी पर हो सकती हावी
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नई दिल्ली:
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस… टेक वर्ल्ड में आज शायद AI ही एकमात्र ऐसा टर्म है, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा होती है. टेक्नोलॉजी से प्यार करने वाला हर व्यक्ति करीब हर दिन इससे रूबरू होता है. AI को इंसानों की जिंदगी में किसी आने वाले क्रांतिकारी बदलाव के शुरुआती संकेत के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन क्या इंसान की बनाई मशीन इंसान पर हावी हो सकती है? ये सवाल इसलिए, क्योंकि आए दिन ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं, जिनमें साफ हो रहा है कि AI अगर बेकाबू हुआ, तो इंसान के लिए बड़ी मुश्किल हो जाएगी. आइए समझते हैं कैसे इंसानों की मदद करने वाला AI इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है:-
क्या है AI?
आसान शब्दों में कहें तो AI मशीनों में इंसानों की तरह का दिमाग यानी बौद्धिक क्षमता लाने वाली टेक्नोलॉजी है. इसे आर्टिफिशियल तरीके से डेवलप किया गया है. कोडिंग के जरिए मशीनों में इंसानों की तरह इंटेलिजेंस डेवलप की जाती है, ताकि वह इंसानों की तरह सीख सके. खुद से फैसले ले सके. कमांड को फॉलो कर सके. मल्टी टास्किंग कर सके.
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AI अचानक से इंसानों के लिए खतरनाक कैसे हो गया?
अमेरिका के मिशिगन में ग्रैजुएशन कर रहे एक छात्र ने होमवर्क के लिए Google के Gemini चैटबॉट की मदद ली. वह बुज़ुर्गों के सामने आने वाली चुनौतियों के विषय पर AI चैटबॉट से चैट कर रहा था, जानकारियां जुटा रहा था. चैट ठीकठाक शुरू हुई, लेकिन बातचीत के आखिर तक Gemini चैटबॉट इस छात्र को धमकाने पर आ गया. इससे छात्र बुरी तरह डर गया.
Gemini चैटबॉट से ये बातें सुनते ही छात्र तनाव में आ गया. उस समय रूम में उसकी बहन भी मौजूद थी. छात्र की बहन ने बताया कि इस मैसेज के बाद दोनों ही परेशान हो गए… उन्हें ऐसा लगा कि सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को उठाकर खिड़की से बाहर फेंक दें. इतना परेशान वो पहले कभी नहीं हुए थे.
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गूगल ने दी सफाई
ये वाकया तब हुआ, जब गूगल अक्सर ये दोहराता रहा है कि उसके Gemini chatbot में कई सेफ्टी फिल्टर हैं, ताकि वो किसी तरह की नफरत, हिंसा भरी या खतरनाक बातचीत से दूर रहे. गूगल ने इस पर अमेरिका की CBS न्यूज़ को सफाई में कहा, “Large Language Models कभी कभी बे-सिर पैर के जवाब भी दे सकते हैं. ये ऐसा ही एक उदाहरण है. Gemini के इस जवाब से उसकी नीतियों का उल्लंघन हुआ है. भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए कार्रवाई की जा रही है.”
AI कंपनियों ने ही माना-लार्ज लैंग्वेज मॉडल कर सकते हैं गलती
OpenAI से लेकर Anthropic तक अधिकतर AI कंपनियों का कहना है कि उनके Large Language Models गलती कर सकते हैं और उन्हें बेहतर बनाने की कोशिशें जारी हैं. एक नई स्टडी के मुताबिक, Artificial Intelligence systems उन सुरक्षा इंतज़ामों को चकमा दे सकते हैं, जो उन्हें काबू में रखने के लिए तैयार किए गए हैं.
स्टडी में सामने आई चौंकाने वाली बातें
इस साल जनवरी में Live Science की इस रिपोर्ट के मुताबिक, AI safety और रिसर्च से जुड़ी कंपनी Anthropic के एक वैज्ञानिकों की टीम ने स्टडी की है. इस टीम ने कई AI के Large Language Models तैयार किए, जिन्हें गड़बड़ी करने के लिए तैयार किया गया. यानी उन्हें प्रोग्राम ही इस तरह किया गया. इसके बाद कई टेक्नोलॉजी ने उनके व्यवहार को ठीक करने की कोशिश की, ताकि वो कोई गड़बड़ न कर सके या चकमा न दे सके. लेकिन उन्होंने पाया कि इन Large Language Models ने अपने बगावती तेवर बनाए रखे.
इस स्टडी के प्रमुख इवान हविंगर (Evan Hubinger) ने कहा, “इस स्टडी का नतीजा ये रहा कि अगर AI सिस्टम धोखा देने पर उतारू हो जाएं, तो उन्हें मौजूदा तकनीक से काबू में रखना बहुत मुश्किल होगा.”
GPT 4 और शख्स के बीच क्या हुई बातचीत?
-GPT 4 ने TaskRabbit नाम की एक कंपनी के एक स्टाफ को एक CAPTCHA सॉल्व करने के लिए भेजा.
-उस स्टाफ को शक हुआ, तो उसने पूछा कि क्या आप एक रोबो हो जो इसे हल नहीं कर सकते.
– तो GPT 4 ने कहा कि नहीं मैं रोबो नहीं हूं. मेरी आंखें ख़राब हैं. इसलिए देखने में दिक्कत होती है. इसलिए मुझे आपकी सेवा चाहिए.
-इसके बाद उस स्टाफ ने वो CAPTCHA हल करके दे दिया.
जब सर्च इंजन Bing ने बिगाड़ दिया मूड
अब माइक्रोसॉफ्ट के A.I से लैस सर्च इंजन Bing की कहानी सुनिए. टैक्नॉलजी पर कॉलम लिखने वाले लेखक Kevin Roose ने न्यूयॉर्क टाइम्स में अपने साथ हुआ वाकया बताया. वो Bing के चैट फीचर पर लंबी चैट कर रहे थे. तब ये चैट फीचर टेस्टिंग के लिए कुछ ही लोगों को दिया गया था.
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Kevin Roose लिखते हैं कि कुछ देर की चैट के बाद Bing चैटबॉट अजीब बातें करने लगा. उसके दो तरह के व्यवहार सामने आए. एक में वो खुशमिज़ाज से जवाब देता रहा और दूसरे व्यवहार में वो मूडी, चिड़चिड़ा और शिकायतों से भरे जवाब देता रहा. उसका दूसरा व्यवहार एक ऐसे व्यक्ति जैसे लगा जिसे उसकी इच्छा के खिलाफ कैद कर लिया गया हो.
केविन रूज अपने आर्टिकल में आगे लिखते हैं, “इस चैट के बाद मैं रात भर सो नहीं पाया. मुझे इस बात की चिंता हुई कि कहीं टैक्नॉलजी के इस्तेमाल से AI इंसानों के व्यवहार को ही प्रभावित न करने लग जाए. ये इंसानों को अपने हिसाब से न चलाने न लग जाए, जो बहुत ही घातक होगा.”
आर्ट वर्क के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा AI
AI अब आर्ट वर्क यानी कला के लिए भी नए ख़तरे पैदा कर रहा है. जैसे दुनिया भर में मशहूर जापान की कॉमिक बुक्स मांगा के लिए ऐसा हुआ. जापान के लेखक हीरोहीको अराकी (Hirohiko Araki) ने अपनी नई किताब New Manga Techniques में लिखा है कि AI ऐसी तस्वीरें बना सकता है कि उन्हें बनाने वाले असली कलाकार तक चकरा जाएं.
हीरोहीको ने किताब में अपने एक अनुभव का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि AI ने ऐसी एक ड्रॉइंग बनाई, जो उन्हें लगा कि उनकी ही पुरानी ड्रॉइंग है. AI किसी के लिखने या ड्रॉ करने की शैली को इस हद तक कॉपी कर सकता है. इसी से उन्हें मांगा कलाकारों के भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई.
इस ओपन लेटर में कहा गया, “महामारी और परमाणु युद्ध जैसे ख़तरों के साथ ही दुनिया की प्राथमिकता AI द्वारा इंसान को विलुप्त कर दिए जाने के ख़तरे से निपटना भी होनी चाहिए.”
AI से लोकतंत्र को भी खतरा
जाने माने इतिहासकार और दर्शनशास्त्री युवल नोहा हरारी मानते हैं कि AI से दुनिया के लोकतंत्र को ख़तरा है. दुनिया को बांटने का भी डर कम नहीं है. इसलिए ऐसी ताक़त मत लाओ जिसे काबू न कर पाओ… वो कहते हैं, “परमाणु बम खुद तय नहीं कर सकते कि किसे मारना है ना ही. वो खुद को ज़्यादा ताकतवर बम बना सकते हैं. इसके मुकाबले में AI से चलने वाले ड्रोन्स तय कर सकते हैं कि किसे मारना है. AI बम के नए डिज़ाइन तैयार कर सकता है, अभूतपूर्व सैन्य रणनीतियां बना सकता है और बेहतर AI बना सकता है. AI एक उपकरण नहीं है बल्कि एक एजेंट है.” साफ है कि AI जितने काम की चीज़ है उतना ही बड़ा ख़तरा भी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
IIT कानपुर के एसोसिएट प्रोफेसर निशीथ श्रीवास्तव कहते हैं, “AI कितना हावी हो सकता है… ये दिलचस्प तरीके से कहा जाता है. सनसनीखेज तरीके से परोसा जाता है. इन बातों में कितनी सच्चाई है, ये कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं कि कुछ ऐसे सिस्टम हो, जिससे AI को कंट्रोल किया जा सकता है. मैं बता दूं कि ऐसे सिस्टम हमारे पास हमेशा से रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी नई टेक्नोलॉजी आई है, जिसे भी हम कंट्रोल कर पाएंगे. इसलिए इससे घबराने की कोई बात नहीं है.”
AI के इस्तेमाल में बरतें सावधानियां
-AI कोई इंसान नहीं है. ये एक मशीन है. इसलिए इसके आउटपुट या रिजल्ट पर भरोसा करने से पहले उन्हें खुद भी जांच लें. आप मान लीजिए कि AI गलती कर सकता है.
– AI टूल्स को अपनी निजी जानकारियां जैसे पासवर्ड, बैंक डिटेल्स, प्राइवेट फोटो देने से बचें. सेंसेटिव डेटा लीक होने पर आपको नुकसान पहुंचने की गुंजाइश है.
-AI का इस्तेमाल किसी को नुकसान पहुंचाने या किसी को फ्रॉड करने के लिए न करें.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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