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CM से PM पद तक… नरेंद्र मोदी के संवैधानिक पद पर 23 साल पूरे, बेदाग और अजेय रहा है सफर

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नई दिल्ली:

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संवैधानिक पद पर रहते हुए जनसेवा के 23 साल पूरे कर लिए. उन्होंने आज ही के दिन 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था. करीब 13 साल तक सफलतापूर्वक सीएम पद संभालने के बाद, पिछले 10 साल से ज्यादा समय से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने साल तक सत्ता के शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी उनके ऊपर भ्रष्टाचार और घोटाले का एक भी आरोप नहीं लगा. उन्होंने जनता के बीच रहकर जनता के लिए काम किया.

नरेंद्र मोदी के साथ जिन लोगों ने भी काम किया है, वो उनकी दूरदर्शी सोच की तारीफ करते हैं. अब वो देश को भी उसी दृष्टिकोण के साथ लगातार आगे बढ़ा रहे हैं.

प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का जीता-जागता उदाहरण है 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य, जहां एक ओर तमाम पार्टी और राजनेता पांच साल का विजन लेकर चलते हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े-बड़े लक्ष्यों के साथ देश को आगे बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं की सफलता, उनकी सोच को साफ दर्शाती हैं.

नरेंद्र मोदी अपने कई इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन आज से ठीक 23 साल पहले 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने गुजरात की सत्ता संभाली. कुशल नेतृत्व के कारण गुजरात की जनता ने उन पर लगातार तीन बार भरोसा जताया.

नरेंद्र मोदी यहीं नहीं रुके. अपनी कल्याणकारी योजनाओं और गुजरात मॉडल के दम पर उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त बहुमत से जीत दिलाई.

केंद्र में सरकार का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में लगातार ऐसे बड़े फैसले हुए, जो उनकी उपलब्धियों को और आगे ले गए. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटना, सीएए-एनआरसी लागू होना, तीन तलाक को असंवैधानिक बनाना और जीएसटी जैसे फैसले अहम हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक होना, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण उनके कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं.

अब नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए हैं. ऐसे में चर्चा आम है कि वो देशहित में आगे और कई बड़े फैसले ले सकते हैं, जिनमें ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ भी शामिल है.

7 अक्टूबर 2001 से 2014 तक, वो लगातार चुनाव जीतकर गुजरात के मुख्यमंत्री बनते रहे. 2014 में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली.

बहुत कम लोग जानते हैं कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री कैसे बने और उनकी इस यात्रा के पीछे की कहानी क्या थी. मोदी आर्काइव की पोस्ट के अनुसार, “साल 2001 तक, मोदी सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में तीन दशक बिता चुके थे. आरएसएस के एक साधारण प्रचारक से लेकर भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपने नेतृत्व के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में अपनी पहचान बना ली थी, लेकिन तब भी बहुत कम लोग जानते थे कि 1965 में कांकरिया वार्ड सचिव के रूप में जनसंघ से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले मोदी अब एक ऐतिहासिक छलांग लगाने वाले थे. वो अब 51 साल के भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे.”

पोस्ट के मुताबिक, पार्टी के सदस्यों के बीच ‘नमो’ के नाम से पुकारे जाने वाले मोदी ने सालों तक भाजपा को गुजरात में एक मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए मेहनत की. उस समय, गुजरात में कांग्रेस का दबदबा था और भाजपा की उपस्थिति बहुत कमजोर थी. 1984 में, गुजरात से भाजपा के केवल एक सांसद थे.

मोदी की दूरदर्शिता, रणनीतिक योजना और कड़ी मेहनत ने बीजेपी को गुजरात में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया. उनके नेतृत्व में, भाजपा ने न केवल कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जगह बनाई, बल्कि राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह से बदल दिया. उन्होंने संगठनात्मक मजबूती के साथ पार्टी को उन क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की, जहां भाजपा का पहले कोई खास प्रभाव नहीं था.

1985 में जब आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को भाजपा के साथ काम करने का निर्देश दिया, तब उनके राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता ने भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ एक गंभीर चुनौती देने वाली पार्टी के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बाद में पार्टी नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, और 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के नए आयाम देखे, और उनकी यही नेतृत्व क्षमता बाद में उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनने तक लेकर गई. इस तरह, 23 साल पहले की ये घटना एक मील का पत्थर साबित हुई थी, जिसने भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व को स्थापित किया.

भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर तमाम दिग्गज नेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे प्रतिष्ठित व्यक्ति भी इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्हें बधाई दे रहे हैं.

जनसेवा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी के 23 साल पूरा होने पर गुजरात से केंद्र तक राजनीतिक यात्रा में निरंतर उनके साथी रहे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी की लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित और लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर सकता है. ये लंबी यात्रा उन लोगों के लिए जीवंत प्रेरणा है, जो जनसेवा में लगे हैं. शाह ने कहा कि ये उनके लिए सौभाग्य की बात है कि वो मोदी की इस यात्रा के साक्षी रहे हैं.

वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में बिना थके, बिना रुके, बिना डिगे आपकी 23 वर्षों की लोक साधना में आस्था, अस्मिता, आधुनिकता, अंत्योदय और अर्थव्यवस्था को संरक्षण और संवर्धन मिलने के साथ ही हर स्तर पर वंचित को वरीयता हासिल हुई है. प्रधानमंत्री की प्रत्येक नीति और हर योजना ने वंचितों और गरीबों के समग्र उत्थान को नए आयाम प्रदान किए हैं. वे सच्चे अर्थों में आधुनिक भारत में ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के वास्तुकार हैं. उनका जीवन लोकतंत्र की जीवंत पाठशाला है. प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में ‘नया भारत’ आज वैश्विक महाशक्ति बनने के मार्ग पर सतत अग्रसर है.

उत्तराखंड सीएम धामी ने कहा कि 23 सालों  की इस समयावधि के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उनके दृष्टिकोण और प्रधानमंत्री के रूप में जन कल्याणकारी निर्णयों से करोड़ों देशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है. आपके सशक्त नेतृत्व में हमने न केवल आर्थिक विकास के नए आयाम देखे हैं अपितु सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र ने नए सोपान गढ़े हैं. मुझे विश्वास है कि आपके दिखाए मार्ग पर चलते हुए हमारा देश ‘विकसित राष्ट्र’ की संकल्पना को अवश्य साकार करेगा.

नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक पद पर 23 साल पूरे होने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मोदी जी ने हमारे सामने मूल्य आधारित राजनीति का उदाहरण पेश किया है. मुझे लगता है कि सभी नेताओं को, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ये सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने इन सभी वर्षों में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में स्वच्छ छवि के साथ काम किया.


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