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CM से PM पद तक… नरेंद्र मोदी के संवैधानिक पद पर 23 साल पूरे, बेदाग और अजेय रहा है सफर

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नई दिल्ली:

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संवैधानिक पद पर रहते हुए जनसेवा के 23 साल पूरे कर लिए. उन्होंने आज ही के दिन 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था. करीब 13 साल तक सफलतापूर्वक सीएम पद संभालने के बाद, पिछले 10 साल से ज्यादा समय से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने साल तक सत्ता के शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी उनके ऊपर भ्रष्टाचार और घोटाले का एक भी आरोप नहीं लगा. उन्होंने जनता के बीच रहकर जनता के लिए काम किया.

नरेंद्र मोदी के साथ जिन लोगों ने भी काम किया है, वो उनकी दूरदर्शी सोच की तारीफ करते हैं. अब वो देश को भी उसी दृष्टिकोण के साथ लगातार आगे बढ़ा रहे हैं.

प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का जीता-जागता उदाहरण है 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य, जहां एक ओर तमाम पार्टी और राजनेता पांच साल का विजन लेकर चलते हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े-बड़े लक्ष्यों के साथ देश को आगे बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं की सफलता, उनकी सोच को साफ दर्शाती हैं.

नरेंद्र मोदी अपने कई इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन आज से ठीक 23 साल पहले 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने गुजरात की सत्ता संभाली. कुशल नेतृत्व के कारण गुजरात की जनता ने उन पर लगातार तीन बार भरोसा जताया.

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नरेंद्र मोदी यहीं नहीं रुके. अपनी कल्याणकारी योजनाओं और गुजरात मॉडल के दम पर उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त बहुमत से जीत दिलाई.

केंद्र में सरकार का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में लगातार ऐसे बड़े फैसले हुए, जो उनकी उपलब्धियों को और आगे ले गए. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटना, सीएए-एनआरसी लागू होना, तीन तलाक को असंवैधानिक बनाना और जीएसटी जैसे फैसले अहम हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक होना, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण उनके कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं.

अब नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए हैं. ऐसे में चर्चा आम है कि वो देशहित में आगे और कई बड़े फैसले ले सकते हैं, जिनमें ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ भी शामिल है.

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7 अक्टूबर 2001 से 2014 तक, वो लगातार चुनाव जीतकर गुजरात के मुख्यमंत्री बनते रहे. 2014 में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली.

बहुत कम लोग जानते हैं कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री कैसे बने और उनकी इस यात्रा के पीछे की कहानी क्या थी. मोदी आर्काइव की पोस्ट के अनुसार, “साल 2001 तक, मोदी सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में तीन दशक बिता चुके थे. आरएसएस के एक साधारण प्रचारक से लेकर भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपने नेतृत्व के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में अपनी पहचान बना ली थी, लेकिन तब भी बहुत कम लोग जानते थे कि 1965 में कांकरिया वार्ड सचिव के रूप में जनसंघ से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले मोदी अब एक ऐतिहासिक छलांग लगाने वाले थे. वो अब 51 साल के भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे.”

पोस्ट के मुताबिक, पार्टी के सदस्यों के बीच ‘नमो’ के नाम से पुकारे जाने वाले मोदी ने सालों तक भाजपा को गुजरात में एक मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए मेहनत की. उस समय, गुजरात में कांग्रेस का दबदबा था और भाजपा की उपस्थिति बहुत कमजोर थी. 1984 में, गुजरात से भाजपा के केवल एक सांसद थे.

मोदी की दूरदर्शिता, रणनीतिक योजना और कड़ी मेहनत ने बीजेपी को गुजरात में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया. उनके नेतृत्व में, भाजपा ने न केवल कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जगह बनाई, बल्कि राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह से बदल दिया. उन्होंने संगठनात्मक मजबूती के साथ पार्टी को उन क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की, जहां भाजपा का पहले कोई खास प्रभाव नहीं था.

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1985 में जब आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को भाजपा के साथ काम करने का निर्देश दिया, तब उनके राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता ने भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ एक गंभीर चुनौती देने वाली पार्टी के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बाद में पार्टी नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, और 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के नए आयाम देखे, और उनकी यही नेतृत्व क्षमता बाद में उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनने तक लेकर गई. इस तरह, 23 साल पहले की ये घटना एक मील का पत्थर साबित हुई थी, जिसने भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व को स्थापित किया.

भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर तमाम दिग्गज नेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे प्रतिष्ठित व्यक्ति भी इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्हें बधाई दे रहे हैं.

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जनसेवा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी के 23 साल पूरा होने पर गुजरात से केंद्र तक राजनीतिक यात्रा में निरंतर उनके साथी रहे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी की लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित और लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर सकता है. ये लंबी यात्रा उन लोगों के लिए जीवंत प्रेरणा है, जो जनसेवा में लगे हैं. शाह ने कहा कि ये उनके लिए सौभाग्य की बात है कि वो मोदी की इस यात्रा के साक्षी रहे हैं.

वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में बिना थके, बिना रुके, बिना डिगे आपकी 23 वर्षों की लोक साधना में आस्था, अस्मिता, आधुनिकता, अंत्योदय और अर्थव्यवस्था को संरक्षण और संवर्धन मिलने के साथ ही हर स्तर पर वंचित को वरीयता हासिल हुई है. प्रधानमंत्री की प्रत्येक नीति और हर योजना ने वंचितों और गरीबों के समग्र उत्थान को नए आयाम प्रदान किए हैं. वे सच्चे अर्थों में आधुनिक भारत में ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के वास्तुकार हैं. उनका जीवन लोकतंत्र की जीवंत पाठशाला है. प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में ‘नया भारत’ आज वैश्विक महाशक्ति बनने के मार्ग पर सतत अग्रसर है.

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उत्तराखंड सीएम धामी ने कहा कि 23 सालों  की इस समयावधि के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उनके दृष्टिकोण और प्रधानमंत्री के रूप में जन कल्याणकारी निर्णयों से करोड़ों देशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है. आपके सशक्त नेतृत्व में हमने न केवल आर्थिक विकास के नए आयाम देखे हैं अपितु सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र ने नए सोपान गढ़े हैं. मुझे विश्वास है कि आपके दिखाए मार्ग पर चलते हुए हमारा देश ‘विकसित राष्ट्र’ की संकल्पना को अवश्य साकार करेगा.

नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक पद पर 23 साल पूरे होने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मोदी जी ने हमारे सामने मूल्य आधारित राजनीति का उदाहरण पेश किया है. मुझे लगता है कि सभी नेताओं को, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ये सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने इन सभी वर्षों में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में स्वच्छ छवि के साथ काम किया.


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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