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महाराष्ट्र चुनाव: महायुति की ’10 गारंटी’ का MVA ने ‘पंच सूत्र’ से दिया जवाब, साख बचाने में जुटे अजित और उद्धव
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मुंबई:
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने में 2 हफ्ते का वक्त बचा है. 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग है. चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां वादों और गारंटियों की बरसात कर रही हैं. BJP की अगुवाई वाले गठबंधन महायुति (BJP+अजित पवार गुट+शिंदे गुट) और महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस+शरद पवार गुट+उद्धव ठाकरे गुट) ने वोटरों के लिए अपनी-अपनी गारंटी जारी की. NCP और उद्धव सेना जैसी पार्टियों ने अलग से अपने-अपने घोषणा पत्र भी जारी किए. NCP ने तो हर सीट के लिए चुनावी घोषणाएं की हैं. महिलाओं-किसानों और युवाओं का भला करने का सभी ने संकल्प लिया. महाराष्ट्र में महायुति ने जहां अपनी 10 गारंटी के साथ वोटरों को रिझाने की कोशिश की. वहीं, महाविकास अघाड़ी ने अपने जॉइंट मैनिफेस्टो में 5 वादों वाली पंचसूत्री पत्र के साथ सत्ता में वापसी की जोर आजमाइश की है.
महायुति की 10 गारंटी
मंगलवार को कोल्हापुर में महायुति गठबंधन ने 10 गारंटी वाला घोषणा पत्र जारी किया. इसमें लाड़ली बहन योजना, किसानों की कर्ज माफी, रोजगार, MSP, बिजली बिल में कटौती का जिक्र है. शिंदे सरकार ने ये 10 गारंटी का वादा किया है:-
1. शिंदे सरकार ने लाड़ली बहन योजना की रकम 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया. साथ ही महिला सुरक्षा के लिए, पुलिस बल में 25000 महिलाओं की तैनाती का वादा हुआ.
2. किसानों को ऋण माफ़ी की गारंटी दी गई. किसान सम्मान योजना के तहत हर साल 12,000 की जगह 15,000 करने की गारंटी दी गई है.
3. MSP पर 20% सब्सिडी का वादा किया है.
4. वृद्धावस्था पेंशनधारियों को हर महीने 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया है.
5. आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर रखने का वादा किया गया है.
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6. 25 लाख रोज़गार और 10 लाख छात्रों को प्रशिक्षण, 10,000 हर महीने शिक्षा भत्ता देने का वादा किया गया है.
7. आंगनबाड़ी और आशा वर्कर को 15,000 रुपये वेतन और बीमा सुरक्षा का वादा किया गया है.
8. ग्रामीण भागों में 45000 कनेक्टिंग सड़कों को जोड़ने का वादा है.
9. बिजली बिल में 30% कटौती का वादा है.
10. सरकार बनने के बाद इस विज़न महाराष्ट्र 2029 को 100 दिन के भीतर पूरा करने का वादा किया गया है.
महा विकास अघाड़ी ने किए पंच सूत्री वादे
दूसरी ओर राहुल गांधी ने बुधवार को महाराष्ट्र चुनाव प्रचार का शंखनाद करते हुए मुंबई में ‘स्वाभिमान सभा’ की. उन्होंने महाविकास अघाड़ी के पांच वादे जारी किए. MVA ने अपने ऐलान में महिलाओं-किसानों-और युवाओं का खासा ख्याल रखा है.
1. महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 3,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, साथ ही महिलाओं और लड़कियों के लिए मुफ्त बस यात्रा भी होगी.
2. किसानों को 3 लाख रुपये तक का ऋण माफ किया जाएगा. साथ ही समय पर ऋण चुकाने पर 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
3. जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी, जिसमें 50% आरक्षण सीमा को हटाने का प्रयास किया जाएगा.
4. 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाइयों की गारंटी दी गई.
5. और बेरोजगार युवाओं को 4,000 रुपये प्रति माह तक की वित्तीय सहायता का वादा किया गया.
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अजित पवार ने जारी किया हर सीट का मेनिफेस्टो
गठबंधनों के बीच इस चुनावी जंग में कुछ नेता अपनी साख बचाने की कोशिश में भी हैं. इसलिए महायुति की साझेदार अजित पवार की NCP ने महायुति की गारंटी दोहराने के साथ ही अपनी 50 से ज़्यादा सीटों के लिए अलग-अलग मेनिफेस्टो रिलीज़ किए. हर सीट के लिए एक मेनिफेस्टो है. ख़ासतौर से बारामती को लेकर अपने अगले पांच साल का रोड मैप बयां किया है.
बारामती के लिए अलग ऐलान
अजित पवार ने कहा कि आने वाले पांच सालों में बारामती को स्पोर्ट्स हब बनायेंगे, जिसमें वर्ल्ड क्लास स्पोर्ट्स क्लब, बॉक्सिंग, कुश्ती जैसे खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जाएंगे. साथ ही कृषि आधारित 5000 सूक्ष्म और लघु उद्योग शुरू करवाने का काम होगा. बारामती एयरपोर्ट को आधुनिक बनाकर रात में भी विमान उतरने लायक बनाने की गारंटी दी गई है. साथ ही लॉजिस्टिक पार्क बनाने का भी वादा हुआ, ताकि बारामती उद्योग का केंद्र बने और लोगों को रोजगार मिले.
न्यू महाराष्ट्र विजन करेंगे पेश
अजित पवार ने कहा, “हम सरकार गठन के 100 दिनों के भीतर न्यू महाराष्ट्र विजन पेश करेंगे. लाड़ली बहन पहल महाराष्ट्र के इतिहास में सबसे बड़ी मासिक डीबीटी होगी, जो 2.3 करोड़ से अधिक महिलाओं को प्रति वर्ष 25,000 रुपये का लाभ प्रदान करेगी.”
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उद्धव ठाकरे ने भी किए 5 वादे
इस बीच उद्धव ठाकरे भी अपने पांच मुख्य चुनावी वादे लेकर चुनावी दंगल में कूद पड़े हैं. दूसरे घोषणा पत्रों से इनकी घोषणाएं बहुत ज़्यादा अलग नहीं थी. इन्होंने अपनी गारंटी में धारावी मुद्दा भी जोड़ा है:-
1. सभी बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा. बेटा बेटी सभी को समान रूप से शिक्षा का अधिकार.
2. महिला पुलिस भर्ती बढ़ाने का वादा, वरिष्ठ पदों पर महिला अधिकारियों की भर्ती का वादा.
3. किसानों को मूल्य गारंटी.
4. आवश्यक वस्तुओं की कीमत स्थिर रखने का संकल्प.
5. मुंबई में उद्योग के साथ धारावी निवासियों को घर देने का वादा किया. महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को धारावी और मुंबई के इलाकों में सस्ते मकान मुहैया कराएंगे.
चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए वादे तो पहले से किये जाते हैं. पर अब तो सरकारी खजाना लुटाने का चलन चल पड़ा है, लेकिन सवाल है पैसे कहां से आएंगे? रेवड़ी बांटने की ये राजनीति देश को कहां ले जाएगी?
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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