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अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली यूं ही नहीं किया अकेले चुनाव लड़ने का फैसला, जरा पूरी पिक्चर समझिए

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नई दिल्ली:

अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी. केजरीवाल दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए आप और कांग्रेस ने समझौता किया था. लेकिन यह समझौता बीजेपी को दिल्ली की सभी सात सीटें जीतने से नहीं रोक पाया था.आप दिल्ली में लगातार तीन बार से सरकार चला रही है.वहीं कांग्रेस पिछले दो चुनाव से शून्य पर सिमट गई है. लोगों को उम्मीद थी कि अगर दिल्ली के चुनाव में आप और कांग्रेस एक साथ आ जाएं तो हो सकता है कि कांग्रेस की स्थिति थोड़ी सुधर जाए. आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का समझौता न होने से किस पर क्या असर पड़ेगा. 

दिल्ली की राजनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं.आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता लगातार समझौते की संभावना से इनकार कर रहे थे. केजरीवाल ने इस पर मुहर लगा दी है. तीन दिन पहले ही हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद भी दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी सभी 70 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी. उन्होंने लोकसभा चुनाव में हुए समझौते को गलती बताया था. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी फिर यह ब्लंडर नहीं करेगी. वहीं आप के प्रवक्ताओं ने कहा था कि उनकी पार्टी अकेले ही बीजेपी और कांग्रेस ने निपटने में सक्षम है. 

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आम आदमी पार्टी अभी भी विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है.

दिल्ली में पिछले तीन बार से आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है. बीजेपी ने लगातार अरविंद केजरीवाल की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. कथित शराब नीति घोटाले में सीएम और डिप्टी सीएम से लेकर आप के सांसद और कई नेताओं तक को जेल जाना पड़ा. वहीं उसके एक और मंत्री को भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी. उसके कुछ विधायक भी ऐसे ही आरोपों में जेल में हैं. बीजेपी लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सड़क पर रही है. इसी का दबाव रहा कि जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.वहीं कांग्रेस इन सालों में केजरीवाल सरकार के खिलाफ सड़क पर नहीं आ पाई है. उसके नेता बयानबाजी तक ही सीमित रहे हैं. चुनाव नजदीक आता देख दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना शुरू किया. इससे पहले उस वक्त कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया था, जब अरविंद केजरीवाल की पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे थे. यह वही आप थी, जिसने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कांग्रेस को अर्श से फर्श पर ला दिया था.

दिल्ली में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र दिल्ली की राजनीति को पिछले कई दशक से देख-समझ रहे हैं. वो कहते हैं कि दिल्ली का वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग वोट करता है. इस ट्रेंड को पिछले कई चुनावों से देखा जा रहा है. दिल्ली की जनता पिछले तीन बार से दिल्ली की सभी लोकसभा सीटें बीजेपी को दे रही है.वहीं वह विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को लगातार मजबूत कर रही है.वो कहते हैं कि आप के मजबूत होने से कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई.

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अरविंद केजरीवाल के साथ सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया को भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

साल 2012 में स्थापना के बाद आम आदमी पार्टी ने 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस समय दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. भ्रष्टाचार विरोध के नारे के साथ राजनीति में शामिल हुई आप ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. जनता ने आप को हाथों हाथ लिया. अपने पहले ही चुनाव में आप ने 29.64 फीसदी वोट के साथ 28 सीटें जीत ली थीं. वहीं दिल्ली में तीन बार से सरकार चला रही कांग्रेस 24.67 फीसदी वोट के साथ केवल आठ सीटों पर सिमट गई थी. ही जीत पाई थी. वहीं बीजेपी ने 34.12 फीसदी वोट के साथ 31 सीटें जीतीं.इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. बाद में कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन देकर आप की सरकार बनवाई. लेकिन यह सरकार बहुत अधिक दिन नहीं चल पाई. साल 2015 में फिर से चुनाव कराना पड़ा. 

दिल्ली में आप की प्रचंड आंधी

साल 2015 के चुनाव में आप ने शानदार प्रदर्शन किया. आप ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं 2013 में 31 सीटों जीतने वाली बीजेपी तीन सीटों पर समझ गई. वहीं आठ सीटें जीतने वाली शून्य पर सिमट गई. इन दोनों दलों को न केवल सीटों बल्कि वोटों का नुकसान उठाना पड़ा. बीजेपी 34.12 फीसदी से घटकार 32.78 पर रह गई. वहीं कांग्रेस 24.67 फीसदी वोटों से घटकर 9.70 फीसदी पर आ गई. वहीं आप के वोटों में झप्पर फाड कर इजाफा हुआ. उसका वोट 2013 की तुलना में 29.64 फीसदी से बढ़कर 54.59 फीसदी हो गया. यह आप का अबतक का सबसे शानदार प्रदर्शन था. 

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अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने अपने पहले चुनाव में 28 सीटें जीत ली थीं.

वहीं 2020 के चुनाव में भी कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ. बीजेपी ने 2015 की तुलना में अपना वोट बढ़ाते हुए 32.78 फीसदी से 40.57 फीसदी कर लिया. लेकिन करीब आठ फीसदी वोट बढ़ने के बाद उसकी सीटें केवल पांच ही बढ़ीं. बीजेपी ने 2015 में तीन सीटें जीती थीं, उसे 2020 में आठ सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस के वोटों का गिरना जारी रहा. साल 2015 में 9.70 फीसदी वोट लाने वाली कांग्रेस का वोट घटकर 4.63 फीसदी रह गया. वहीं आप का प्रदर्शन थोड़ा खराब तो हुआ.  लेकिन ऐसा नहीं था कि जिसे शानदार प्रदर्शन न कहा जाए. आप ने 2015 में 54.59 फीसदी वोटों के साथ 67 सीटें जीतने वाली आप इस चुनाव में 53.57 फीसदी वोटों के साथ 62 सीटें जीतनें में कामयाब रही. उसे पांच सीटों और 1.02 फीसदी वोटों का नुकसान उठाना पड़ा.

दिल्ली में कौन बनाता है सरकार

दिल्ली के चुनावों के इस ट्रेंड पर मनोज मिश्र कहते हैं कि दिल्ली में जो दल वोटों का विभाजन करा पाने में कामयाब होता है, उसे सत्ता मिलती है.इसका उदाहरण देते हुए 1993 के चुनाव का जिक्र करते हैं, जब दिल्ली में अंतिम बार बीजेपी की सरकार बनी थी. उस चुनाव में बीजेपी को 42.82 फीसदी वोट के साथ 49 सीटें मिली थीं.वहीं कांग्रेस को 34.48 फीसदी वोट और 14 सीटें मिली थीं.वह चुनाव जनता दल ने भी लड़ा था. उसे चार सीटें और 12.65 फीसदी वोट मिले थे.वोटों का बंटवारा या त्रिकोणीय मुकाबला होने का फायदा बीजेपी को मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब रही.इसी ट्रेंड को हम पिछले तीन विधानसभा चुनाव में भी देख सकते हैं. 

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दिल्ली में न्याय यात्रा निकालते कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव और अन्य नेता.

मनोज मिश्र कहते हैं कि दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरी हुई है.पिछले दिनों हुए हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिसकी उम्मीद की जा रही थी.मिश्र कहते हैं कि इससे आप ने अनुमान लगाया होगा कि अगर कांग्रेस की हरियाणा में सरकार होती तो, उसे उसका फायदा दिल्ली में मिलता. लेकिन ऐसा न होने की वजह से अब कांग्रेस को कोई फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है.इससे आप को कांग्रेस से गठबंधन का कोई फायदा नजर नहीं आया होगा. इसलिए उसने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 

दिल्ली में कांग्रेस का भविष्य

मिश्र एक और बात की ओर इशारा करते हैं.वो कहते हैं कि अगर कांग्रेस और आप में समझौता हो जाता तो हो सकता है कि कांग्रेस को कुछ सीटें मिल जाती है. इससे कांग्रेस के लिए दिल्ली में स्पेश मिल जाता है, जहां वह शून्य पर है.लेकिन कांग्रेस के मजबूत होने का नुकसान आप को ही उठाना पड़ता.इसलिए भविष्य में होने वाले किसी नुकसान या मिलने वाली चुनौती से बचने के लिए ही आप ने कांग्रेस से समझौता न करने को बेहतर समझा है.  

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होते बीजेपी के नेता.

मिश्र कहते हैं कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 45 फीसद से अधिक वोट लाना जरूरी है. उनकी यह बात पिछले तीन चुनावों में नजर भी आती है. दिल्ली में वोट तीन हिस्सों में बंट जाने की वजह से 2013 के चुनाव में किसी पार्टी को साफ बहुमत नहीं मिला था.आप ने 2015 और 2020 के चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट लाकर प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई थी.इस बार की संभावना के सवाल पर मिश्र कहते हैं कि बीजेपी अभी भी आप के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाई है. दिल्ली का मध्य वर्ग,झुग्गी झोपड़ी, पूर्वांचली, मुसलमान जैसे वोट बैंक अभी भी उसके साथ बना हुआ है. वो कहते हैं कि बीजेपी अपना वोट बैंक बढ़ा भी नहीं पाई है. ऐसे में वह 30-35 फीसदी वोट तो जरूर ले लेंगी. लेकिन केवल उतने से सरकार बन जाए, उसमें संदेह है.कांग्रेस के संभावना के सवाल पर मिश्र कहते हैं कि कांग्रेस अभी नेतृ्त्व के संकट से गुजर रही है.उसके पास जमीनी नेताओं की कमी है. उसके कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके हैं.ऐसे में इस चुनाव में भी कांग्रेस के लिए बहुत कुछ नजर नहीं आ रहा है. 

ये भी पढ़ें: IAS एग्जाम में फेल और मां ने घर से निकाला… जानिए बचपन से AAP तक अवध ओझा सर की पूरी कहानी


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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