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US Election 2024: कब तक आ जाएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे, क्यों होती है घोषणा में देरी
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नई दिल्ली:
आज अमेरिका में नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कराया जा रहा है. इस बार के चुनाव को अमेरिकी इतिहास का सबसे कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है. यह मुकाबला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच है. हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हैं तो ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के. दोनों दल अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं. लेकिन यह भी संभव है कि मतदान खत्म होने के बाद कई दिन तक रिजल्ट का पता ही न चले.यह भी हो सकता है कि एक उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी पर मामूली बढ़त बनाए हुए दिखाई दे. लेकिन बाद में वह रेस में पिछड़ जाए. आइए जानते हैं कि अमेरिकी चुनाव में ऐसा क्यों होता और चुनाव परिणाम कब तक आने की संभावना है.

आमतौर पर उम्मीद की जाती है कि चुनाव के अगले दिन ही परिणाम निकल आए. लेकिन कई बार ऐसा होता नहीं है. दरअसल होता यह है कि कई राज्यों में वोटों की गिनती अलग-अलग समय पर शुरू होती है. इस वजह से परिणाम आने में देरी होती है.हर राष्ट्रपति चुनाव की तरह, इस बार भी ऐसी संभावना है कि सात स्विंग स्टेट ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति का फैसला करेंगे. ये राज्य छह से 11 दिसंबर के बीच चुनाव नतीजों को प्रमाणित करेंगे. इसके बाद 17 दिसंबर को निर्वाचक अपना आधिकारिक वोट डालने के लिए बैठक करेंगे.वोटों की गिनती और परिणामों की पुष्टि करने के लिए कांग्रेस का अधिवेशन कांग्रेस 6 जनवरी, 2025 को आयोजित किया जाएगा. परिणामों की घोषणा के बाद 20 जनवरी, 2025 को नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाई जाएगी.
स्विंग स्टेट कौन कौन से हैं?
राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम सात स्विंग राज्यों के परिणामों पर ही निर्भर करेगा. ये सात राज्य हैं,एरिजोना, पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और विस्कॉन्सिन.चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में इन राज्यों में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप को मिलने वाले समर्थन में मामूली अंतर नजर आया. वहीं अगर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो इनमें से एक को छोड़कर बाकी के छह राज्यों में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन ने बढ़त बनाई थी. लेकिन इस बार इनमें से कुछ राज्यों ने परिणामों की घोषणा में होने वाली देरी से बचने के लिए नए नियम बनाए हैं. लेकिन वोट डालने और गिनती के तरीकों में अंतर यह तय करेगा कि अंतिम परिणाम जल्दी आएगा या देरी से.

इस बार सात स्विंग स्टेट को दो समूहों में बांटा गया है. ये हैं- सन बेल्ट और रस्ट बेल्ट (इन्हें ब्लू वॉल स्टेट के रूप में भी जाना जाता है).सन बेल्ट में नेवादा (6 इलेक्टोरल वोट), एरिजोना (11इलेक्टोरल वोट), उत्तरी कैरोलिना (16 इलेक्टोरल वोट) और जॉर्जिया (16 इलेक्टोरल वोट) हैं. रस्ट बेल्ट स्टेट में विस्कॉन्सिन (10 इलेक्टोरल वोट), मिशिगन (15 इलेक्टोरल वोट) और पेंसिल्वेनिया (19 इलेक्टोरल वोट)हैं.
मतदाता कितने तरह से कर सकते हैं मतदान
अमेरिका में मतदाता के पास वोट डालने के कई विकल्प मौजूद हैं. चुनाव के दिन डाले गए व्यक्तिगत वोटों की गिनती उसी दिन होती है. हालाँकि, कुछ स्टेट व्यक्तिगत रूप से मौजूद होकर समय से पहले ही वोट डालने और कुछ राज्य समय से पहले ईमेल से वोट डालने की भी सुविधा देते हैं. वहीं अलग-अलग राज्यों में अर्ली वोटिंग की अलग-अलग प्रक्रिया और नियम हैं. ये सब परिणाम घोषणा में लगने वाले समय को प्रभावित कर सकते हैं. कुछ राज्य चुनाव वाले दिन के बाद भी कुछ दिन तक विदेश से आने वाले उन मतपत्रों और सैन्य मतपत्रों को स्वीकार करेंगे,जिन पर 5 नवंबर तक का पोस्टमार्क लगा हुआ होगा.

डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाता आमतौर पर मेल वोटिंग को अधिक प्राथमिकता देते हैं. वहीं रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक मेल-इन वोटिंग में कम रुची लेते हैं, क्योंकि ट्रंप इस प्रणाली के मुखर आलोचक हैं. वो इसकी लगातार आलोचना करते आए हैं. वो इसे भ्रष्ट बताते हैं.लेकिन ट्रंप समर्थकों ने इस बार अर्ली वोटिंग में भी भाग लिया है. ट्रंप ने भी इस बार अपने वोटरों से कहा कि वो अपनी मर्जी के मुताबिक वोट करें.
काउंटिंग के शुरू में आ सकते हैं भ्रामक रूझान
मतगणना जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी,शुरुआती रुझान उलट भी सकते हैं.दरअसल 2020 में ऐसा ही हुआ था. इलेक्शन नाइट में शुरुआत में ट्रंप आगे चल रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ी, डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन उनसे आगे बढ़ते गए. इसके बाद ट्रंप ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए वोटों की चोरी की बात करते हुए कहा था कि मतगणना में हुई देरी ही धोखाधड़ी का सबूत है.

यदि मुकाबला बराबरी पर छूटा तो क्या होगा?
अगर मतगणना में दोनों उम्मीदवारों को 269-269 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं तो अमेरिकी संविधान के मुताबिक परिणाम का फैसला कांग्रेस करेगी.इस स्थिति में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव राष्ट्रपति का चयन करेगी और सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करेगी. इलेक्टोरल कॉलेज में 269-269 वोटों की बराबरी असंभव जैसी स्थिति है.यह तब हो सकता है जब हैरिस को विस्कॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिल्वेनिया जैसे प्रमुख राज्यों में जीत मिलती है और ट्रंप को जॉर्जिया, एरिजोना, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और नेब्रास्का में एक कांग्रेस जिले में जीत हासिल कर लेते हैं तो हर उम्मीदवार को ठीक 269 इलेक्टोरल वोट मिलेंगे.
ये भी पढ़ें: अमेरिका में खालिस्तानी आतंकियों का काल बनेंगे ट्रंप… हिंदू संगठन के नेता ने क्या बताया
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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