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NDTV वर्ल्ड समिट : UNSC से UK को हटना चाहिए… BRICS और G7 में कौन ताकतवर? किशोर महबूबानी से समझिए

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oq1rqj88_kishore-mahbubani_625x300_22_October_24 NDTV वर्ल्ड समिट : UNSC से UK को हटना चाहिए... BRICS और G7 में कौन ताकतवर? किशोर महबूबानी से समझिए

India-China Relations: किशोर महबूबानी (Kishore Mahbubani) सिंगापुर के राजनयिक और भू-राजनीतिक सलाहकार रहे हैं.उन्होंने 1984 और 1989 के बीच और फिर 1998 और 2004 के बीच संयुक्त राष्ट्र में सिंगापुर के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और 2001 और 2002 के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष भी रहे. NDTV वर्ल्ड समिट में पहुंचे किशोर महबूबानी ने भारत-चीन संबंधों (India-China Relations) और सुरक्षा परिषद (UNSC) सहित जी7 (G7)की ताकत को लेकर बात की.उन्होंने बताया कि भारत-चीन का सीमा विवाद को लेकर एक समझौते पर पहुंचना एक बड़ी सफलता है. यह सफलता पाना वास्तव में काफी आश्चर्यजनक है, क्योंकि भारत और चीन के बीच संदेह की गहराई बहुत गंभीर थी.

भारत-चीन दोस्ती का असर

महबूबानी ने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, 2020 में गलवान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग नियमित रूप से मिलते थे, लेकिन इसके बाद वे चार साल से नहीं मिले हैं. उम्मीद है कि अब वे ऐसा कर सकेंगे.यह दुनिया में हो रहे एक बड़े वैश्विक परिवर्तन का हिस्सा है. हम सदियों की तुलना में अब कहीं अधिक बड़े बदलाव का अनुभव कर रहे हैं. अब पश्चिम का प्रभुत्व नहीं है. पश्चिम अब दुनिया को नहीं चला सकता. वस्तुतः पश्चिम स्वयं को खो रहा है और फिर अचानक दुनिया बहुध्रुवीय हो गई है. इस संसार में अन्य शक्तियां भी उभर रही हैं. अब यह बहुपक्षीय भी हो रहा है. तो यह एक अलग दुनिया है.

ब्रिक्स-जी7 में कौन मजबूत

किशोर ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि ब्रिक्स (BRICS) एक सनराइज क्लब है. हर कोई ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है. इसके विपरीत, G7 दुनिया एक सनसेट संगठन है. इसकी शक्ति और प्रभाव कम हो रही है. वैश्विक जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी कम हो रही है. जब इस सदी की शुरुआत हुई, तो G7 अर्थव्यवस्थाएं ब्रिक्स से बहुत बड़ी थीं. अब वे इससे छोटे हैं.साल 2000 में जापान की अर्थव्यवस्था आठ गुना बड़ी थी. एशिया अब 1.3 गुना बड़ा है. दुनिया में संरचनात्मक बदलाव हो रहे हैं. चीन और भारत वास्तव में एशियाई देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं और एशिया का व्यापक उत्थान हो रहा है.

सुरक्षा परिषद से ब्रिटेन क्यों हटे

महबूबानी ने कहा कि मेरा फाइनेंशियल टाइम्स में एक कॉलम प्रकाशित हुआ था. उसमें मैंने लिखा था, अब समय आ गया है कि यूनाइटेड किंगडम अपनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट भारत के लिए छोड़ दे. यह कोई फालतू बात नहीं है. यह बहुत गंभीर बात है. मैं 10 वर्षों से अधिक समय तक संयुक्त राष्ट्र में राजदूत रहा. मैं संयुक्त राष्ट्र के इतिहास और पृष्ठभूमि को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं. जब संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने वीटो की अवधारणा बनाई, तो वे उस समय की महान शक्तियों को वीटो देना चाहते थे, कल की महान शक्तियों को नहीं. है ना? इसीलिए जर्मनी और जापान को 1945 के  इतने वर्षों के बाद भी वीटो नहीं मिला. स्पष्ट रूप से, आज की महान शक्तियों की संरचना को बदलने का समय आ गया है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत पहले से ही आज की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक है. इसकी अर्थव्यवस्था अब दुनिया में पांचवें नंबर पर है. इस दशक के अंत तक, यह तीसरे नंबर पर होगा, और जैसा कि आप जानते हैं, यूके नीचे खिसक रहा है और संभवतः दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं से बाहर हो जाएगा. एक देश के रूप में ब्रिटेन खो गया है. 

संयुक्त राष्ट्र कमजोर क्यों

किशोर महबूबानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता कभी इतनी अधिक नहीं रही, लेकिन संयुक्त राष्ट्र कमजोर क्यों है? संयुक्त राष्ट्र संयोग से नहीं, बल्कि योजना और महान शक्तियों के कारण कमजोर है. पी फाइव (सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य) ने इस बात पर जोर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को रीढ़विहीन होना चाहिए. अब, यदि आप महासचिवों को चुनते हैं तो यह स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर होने जा रहा है. लेकिन अब, जब संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता बढ़ रही है, तो हमें उस समय की महान शक्तियों को मनाना होगा. अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें और कोफी अन्नान जैसे मजबूत गतिशील महासचिवों का चयन करें तो फिर संयुक्त राष्ट्र मजबूत हो जाएगा. यकीन मानिए, संयुक्त राष्ट्र का कोई विकल्प नहीं है.

क्वाड का क्या 

महबूबानी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बाकी दुनिया के साथ खुलना और एकीकृत होना महत्वपूर्ण है. आर्थिक अध्ययनों से पता चलता है कि अगर भारत पूर्वी एशिया के साथ एकीकृत हो जाता है तो उसकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर जुड़ जाएंगे. आज अधिकांश विनिर्माण पूर्वी एशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, आसियान से आता है. वे एफडीआई के सबसे बड़े स्रोत हैं.भारत के लिए अवसर शानदार हैं, और यदि परिस्थितियां सही रहीं तो कई निर्माता भारत आना पसंद करेंगे. आपको अभी भी कुछ हद तक चीन के साथ एकीकृत होना होगा. यह वास्तव में बहुत अच्छा होगा यदि क्वाड आर्थिक एकीकरण में अपनी भागीदारी बढ़ाए. यह एक बहुत ही सकारात्मक विकास होगा. लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, क्वाड घोषणा करता है कि उसकी प्राथमिक भूमिका मानवीय उपक्रमों में एक-दूसरे की मदद करना है.क्वाड की स्थापना चीन को संतुलित करने के लिए की गई थी, और इसलिए क्वाड (QUAD) के लिए उस क्षेत्र में आगे बढ़ना पूरी तरह से स्वाभाविक है, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, जापान और ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका पहले से ही पूर्वी एशिया के साथ एकीकृत हैं. वास्तव में, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया पूर्वी एशिया के साथ जो कुल व्यापार करते हैं, वह भारत के साथ होने वाले व्यापार से कहीं अधिक है. अगर भारत क्वाड के साथ अपना व्यापार बढ़ाता है, तो यह एक सकारात्मक विकास है.


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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