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Exclusive: वो रूठकर गए, लेकिन उनकी बुनियाद JMM से ही… कल्पना सोरेन ने क्यों जताई जेठानी और चंपई की वापसी की उम्मीद

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0hfeokf_kalpana-soren-hemant-soren-ani_625x300_30_January_24 Exclusive: वो रूठकर गए, लेकिन उनकी बुनियाद JMM से ही... कल्पना सोरेन ने क्यों जताई जेठानी और चंपई की वापसी की उम्मीद


रांची:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) विधानसभा चुनाव से अपना पॉलिटिकल डेब्यू करने जा रही हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने उन्हें गांडेय सीट से उम्मीदवार बनाया है. कल्पना सोरेन ने कहा कि ‘मईयां सम्मान स्कीम’ के कारण उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. उन्होंने JMM को आधी आबादी (महिलाओं के वोट) का समर्थन मिलने का दावा भी किया. इस दौरान कल्पना सोरेन ने अपनी जेठानी सीता सोरेन और चंपई सोरेन की JMM में वापसी की उम्मीद भी जताई.

NDTV के साथ खास इंटरव्यू में कल्पना सोरेन ने कहा, “चंपई सोरेन बड़े हैं और मेरे आदरणीय भी. मेरी जेठानी सीता सोरेन भी बड़ी हैं. हम अभी भी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. आखिरकार परिवार परिवार ही होता है. भले ही आप अपनी पार्टी से किसी वजह से रूठकर चले गए हैं, लेकिन आपकी बुनियाद आपकी पार्टी से रहती है. इसलिए उस तरफ आप कभी ना कभी जरूर वापस आएंगे.”

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बंटी-बबली की जोड़ी के आरोपों का दिया जवाब
कल्पना ने कहा, “लोकसभा चुनाव में मेरी ट्रेनिंग हो चुकी है. अब मैं पूरी मजबूती के साथ झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए खड़ी हूं.” विपक्ष की ओर से लगाए गए बंटी-बबली की जोड़ी के आरोपों पर कल्पना सोरेन ने कहा, “आज झारखंड में जितनी भी योजनाएं चल रही हैं….  सर्वजन पेंशन, अबुआ आवास, बिरसा हरित ग्राम योजना, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, बच्चों के लिए विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप योजना… इसका सभी को फायदा हुआ. अब मईयां योजना का लाभ भी महिलाओं को मिलेगा. बाकी विपक्ष क्या कहता है उससे हमें मतलब नहीं.”

कल्पना ने कहा, “हमारी जो भी परफॉर्मेंस दिखेगी वो ढाई साल की दिखेगी. अगर 2.5 साल में हेमंत सोरेन ने इतनी लंबी और गाढ़ी लकीर खींची है, तो ये पता लगता है कि हेमंत सोरेन कितने दूरगामी सोच वाले हैं. झारखंड को 25 साल 30-40 साल के लिए किस तरह से आगे बढ़ाना चाहते हैं, ये उनका एक तरह से रूपरेखा उनके माइंड में ऑलरेडी सेट है.”

कल्पना सोरेन ने कहा, “मैं जानती हूं कि इस तरह की बातें मेरे ससुर जी शिबु सोरेन के लिए कही गई थी. मेरे पति के बारे में भी यही कहा गया. हम देख सकते हैं कि आज राजनीति में किस तरह के पर्सनल अटैक होते हैं. मैं कहना चाहूंगी कि 2.5 साल में हमारी सरकार ने इतना जबरदस्त काम किया है कि लोगों का साथ जरूर मिलेगा.” 

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बांग्लादेशी घुसपैठ पर क्या कहेंगी?
कल्पना सोरेन कहती हैं, “अगर अभी की बात करें, तो जो रिपोर्ट्स हैं वो मेरे पास नहीं है. मेरा कहना है कि पहले गणना करवा लें, उसके बाद बात करेंगे. जब आपकी सरकार थी, डबल इंजन की सरकार थी, तो किसी ने नहीं बोला. जब हमारी सरकार है तो बोल रहे हैं. ये उन राज्यों में सबसे ज्यादा हमला करते हैं. जहां इनकी सरकार नहीं होती है. सारी ED और CBI इनको उन्हीं राज्यों में दिखता है, जहां इंडिया गठबंधन की सरकार होती है. मुझे लगता है कि इन्हें पावर का इस्तेमाल सही जगह और सही दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “JMM एक आंदोलन से उपजी पार्टी है. हम प्रतिबद्ध हैं. झारखंड के चाहे आदिवासी हों, चाहे हमारे मूल वासी हों… सबकी रक्षा करना हमारा धर्म है. झारखंड को हम कैसे मजबूत बना सकते हैं? उसे कैसे आगे ले जा सकते हैं? ये हमारा फ्यूचर प्लान है. रांची में हमने बहुत कम समय में फ्लाईओवर बनवा दिए हैं. एजुकेशन, हेल्थ सेक्टर में तेजी से काम किया जा रहा है. हम आगे भी बहुत कुछ करना चाहते हैं. इसलिए लोगों को हमपर भरोसा करना होगा.”

चुनावी रेवड़ियां चुनावी मुद्दा
कल्पना सोरेन ने कहा, “2014 में जब डबल इंजन की सरकार थी. तब इन्होंने हमेशा कहा कि झारखंड में पहली बार BJP ने अकेले पांच साल पूरे किए. उसके बाद झारखंड में आप अनुमान लगाएं, तो अभी 24 साल हम पूरे करने जा रहे हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा सरकार किसकी रही. झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही रही है. 20 साल तक BJP की सरकार रही. आज हमें 24 साल हो रहे हैं.”

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कल्पना कहती हैं, “झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासियों के बारे में सोचा है. उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं लेकर आई है. बेशक चुनाव में योजना सब लेकर आ रहे हैं. मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि 20 साल तो आपने राज किया, तो आप हमारी महिलाओं को कैसे भूल गए? आपकी मानिसकता ये ही है कि इन्हें घर में बैठाकर रखो. हेमंत सोरेन की सोच है कि झारखंड की आधी आबादी को सशक्त करना है.” 

उन्होंने कहा, “BJP वाले अपने एजेंट से भी हमारी सरकार की योजनाओं के खिलाफ PIL करवाते हैं. ऐसा इसलिए करवाते हैं, ताकि हमारी महिलाओं को खुशियां ना मिले. उसके बाद ये अपनी योजनाएं लाते हैं, तो ये दोनों तरफ से गेम खेलते हैं. बात योजना में मिलने वाली राशि की नहीं हो रही है. बात ये है कि झारखंड की आधी आबादी को सशक्त करने का पहला काम किसी ने किया है, तो वो हेमेंत सोरेन ने किया है.”

क्या चंपई सोरेन और सीता सोरेन के पाला बदलने का होगा नुकसान?
कल्पना सोरेन ने कहा, “JMM का चुनाव चिह्न तीर-धनुष है. उसमें झारखंड का इतिहास छुपा हुआ है. इसमें हमारे गुरुजी का संग्राम छिपा है. इसमें हेमंत सोरेन की हिम्मत छिपी है. झारखंड की आवाम का अटूट विश्वास है. अगर चुनाव में कोई खड़ा होता है, तो उम्मीदवार से ज्यादा हमारा चुनाव चिह्न खड़ा होता है. तीर-धनुष हमें बताता है कि ये झारखंड झुकने वाला नहीं है. झारखंड लड़ने वाला राज्य रहा है. ये संग्रामशील और यहां क्रांतिकारी भरे हुए हैं. यहां तीर धनुष का मान हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति से भरा है. किसी के पाला बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता.” 

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चंपई सोरेन को चुनाव से पहले क्यों हटाया गया?
कल्पना सोरेन कहती हैं, “चंपई सोरेन को हटाने की बात नहीं थी. झारखंड की जनता और हमारे गठबंधन की सोच की वजह से ये फैसले लिया गया था. JMM आलाकमान ने ये फैसला लिया था. तब तो मैं पार्टी में नहीं आई थी. इसलिए मैं इस सवाल का जवाब देने के लिए परफेक्ट पर्सन नहीं हूं.”

क्या चंपई सोरेन और सीता सोरेन की कमी नहीं खलती?
कल्पना कहती हैं, “पार्टी छोड़कर जाना, उनका निजी फैसला था. उन्होंने व्यक्तिगत फैसला लेकर अपनी विचारधारा बदली. हमारी विचारधारा JMM की है. हम उसी के लिए लड़ते हैं. झारखंड की जनता जानती है कि JMM का हर एक व्यक्ति जुझारु हैं. JMM का कार्यकर्ता चाहे पुरुष हो या महिला… वो हर वक्त जनता के साथ खड़ा है. हम उनके हक और उनके अधिकारों के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे.”

BJP छोड़कर आए नेताओं का JMM में स्वागत क्यों?
क्या JMM में उम्मीदवारों या नेताओं की कमी है कि BJP से जो भी आ रहा है, उसका स्वागत हो रहा है? इसके जवाब में कल्पना सोरेन कहती हैं, “हमारे पास नेताओं की कोई कमी नहीं है. वहां से जो लोग आ रहे हैं, वो असंतुष्ट होकर आ रहे हैं. उन्होंने लंबे समय तक पार्टी की सेवा की, लेकिन चुनाव के समय उनका पत्ता काट दिया गया. इसलिए वो लोग डरे हुए हैं. हेमंत सोरेन के कामों से BJP के लोग डरे हुए हैं. इसलिए ऐसे नेता JMM में अपना भविष्य देख रहे हैं. जाहिर तौर पर झारखंड की जनता ‘अपने भाई अपने बेटे’ को चुनने वाली है.”

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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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