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Exclusive : कैसे भारत से बिगड़े कनाडा के रिश्ते? वहां से लौटे भारतीय राजदूत ने बताया

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j7ttfktg_sanjay-kumar-verma-_650x400_24_October_24 Exclusive : कैसे भारत से बिगड़े कनाडा के रिश्ते? वहां से लौटे भारतीय राजदूत ने बताया


नई दिल्ली:

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा (Sanjay Verma) ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयानों के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया था. गुरुवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का कोई हाथ नहीं है.” संजय वर्मा ने कहा कि मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते.

संजय कुमार वर्मा 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं. कनाडा से पहले उन्होंने जापान, सूडान, इटली, तुर्किए, वियतनाम और चीन में काम किया है. साल 2022 में वो कनाडा के हाई कमिश्नर नियुक्त हुए थे.

कैसे हैं भारत और कनाडा के रिश्ते?
संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा और भारत का रिश्ता हमेशा से अच्छा था. आगे भी अच्छा रहेगा. इस समय थोड़ा सा विवाद हो गया है. ये वहां के PM जस्टिन ट्रूडो और उनकी टीम की सोच के कारण है. ऐसा नहीं है कि मामला अचानक से बढ़ गया है. कनाडा में बैठे खालिस्तानी और कट्टरपंथी हमेशा से ही भारत पर वार कर रहे थे. वो हमेशा से ये चाहते थे कि कनाडा और भारत के रिश्ते में खटास आए. लेकिन सरकारों का ये काम है कि वो ऐसी स्थितियों को अच्छे से संभाले और चीजों को बैलेंस करे. फिर रिश्तों के आगे लेकर जाए. आखिरकार हम दोनों जनतंत्र हैं. लेकिन, बदकिस्मती से ऐसा नहीं हो रहा है.”

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निज्जर की हत्या में भारत सरकार का कोई रोल नहीं
संजय वर्मा ने कहा, “मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं…खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कैसे हुई, किसने की और क्यों हुई? ये जांच का विषय है. जांच चल रही है… मेरे ख्याल से तब तक वो जांच खत्म नहीं हो जाती है, तब तक हम ये नहीं कह पाएंगे कि ये हत्या क्यों हुई और किसने की? एक ही चीज मैं कहना चाहूंगा भारत सरकार का उस हत्या में कोई हाथ नहीं है.”

ट्रूडो सरकार ने निज्जर की हत्या को लेकर शेयर नहीं किए सबूत
संजय वर्मा ने एक बार फिर दोहराया कि कनाडाई अधिकारियों ने निज्जर की हत्या को लेकर एक भी सबूत शेयर नहीं किया है. यह वास्तव में भारत था, जिसने जस्टिन ट्रूडो सरकार के साथ कनाडा की धरती पर सक्रिय कट्टरपंथी और चरमपंथी समूहों के बारे में डिटेल सबूत शेयर किए थे. लेकिन, वहां की सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

बिना सबूत पूछताछ करना चाहती थी कनाडा की पुलिस
ट्रूडो सरकार ने संजय वर्मा को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट कहा था. वहां की पुलिस उनसे पूछताछ करना चाहती थी. इसकी वजह पूछने पर संजय वर्मा ने कहा, “यहीं मैं उनसे जानना चाहता था. क्योंकि, जब आप किसी से पूछताछ करना चाहते हैं, तो सबसे पहले उन्हें बताएंगे कि आप क्यों पूछताछ करना चाहते हैं. आखिरकार उनके पास कौन से सबूत हैं, जिसकी वजह से वो मुझसे पूछताछ करना चाहते हैं. अगर वो मुझे दिखाते और मुझे बताते तो मैं समझता… लेकिन बिना सबूत दिखाए मुझे धमकाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आज का भारतीय डरने वाला नहीं है.”

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खालिस्तानी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक 
कनाडा के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा ने कहा कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी आतंकी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक हैं. ये लोग कनाडा की जमीन से भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि कनाडा सरकार ऐसे लोगों के साथ काम नहीं करे. ये भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं.

संजय वर्मा ने कहा, “भारत से जब बच्चों को कनाडा भेजा जाता है, तो यह समझकर भेजा जाता है कि वो वहां सुरक्षित रहेंगे. कनाडा की सोसाइटी बिल्कुल भारत की सोसाइटी जैसी ही है. वो अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं. लेकिन, अभी की सरकार से हमें ऐसा महसूस हुआ कि भारत का वहां स्वागत नहीं है.” 

क्या कनाडा की सियासत में चल रहे मतभेद?
PM ट्रूडो ने वहां की संसद में कहा कि कोई निज्जर के मर्डर को लेकर कोई हार्ड सबूत नहीं है. इसपर इंटेलिजेंस काम कर रहे हैं. लेकिन पुलिस का वर्जन PM के वर्जन से अलग क्यों है? इस सवाल के जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, “वहां के संस्थान, विभाग और पुलिस अपना अपना काम करती है. जहां तक सूचना इकट्ठा करने की बात है, तो ये दो तरह से की जाती है. एक ऐसी सूचना जो ओपन सोर्स से उपलब्ध है, जिसे हम अखबरों में पढ़ सकते हैं. सोशल मीडिया में पढ़ सकते हैं. दूसरी सूचना पब्लिक डोमेन में नहीं होती. इन सूचनाओं के लिए हमें बहुत उल्टे सीधे काम करने पड़ेंगे. हमने कूटनीति के किसी भी सिद्धांत को तोड़ा नहीं है. कनाडाई तो हमसे ज्यादा ये काम करते हैं. ये लोग तो इससे ज्यादा अंदर घुसकर काम करते हैं. हम लोगों के पास अभी भी ऐसी सूचनाएं हैं, जिसमें इनके राजनयिक हमारे समाज के अंदर घुसकर ऐसे कई काम किए हैं, जो किसी भी राजदूत को शोभा नहीं देता है.”

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खालिस्तानी आतंकियों के बारे में डिटेल खंगालते रहेंगे
संजय वर्मा ने कहा, “हम खालिस्तानी आतंकियों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा कर रहे थे और करते रहेंगे. क्योंकि ये हमारे दुश्मन हमारे देश की सुरक्षा का मसला है. कनाडा में कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां का सिस्टम खराब कर रहे हैं. खालिस्तानी भारतीय लोगों को डराते-धमकाते हैं. ताकि भारत के लिए अलग इमेज बने.”

प्रत्यर्पण के केस खुद कार्रवाई नहीं करता कनाडा
विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 26 आरोपियों के प्रत्यर्पण के केस हमने उन्हें 10-12 सालों में सौंपे हैं. भारत सरकार चाहती है कि वहां की सरकार इन लोगों को पकड़े और हमें सौंपे. ऐसा क्यों नहीं किया जाता? इसके जवाब देते हुए वर्मा ने कहा, “इसके दो पहलू हैं. कुछ मामलों में वो ज्यादा डिटेल मांगते हैं, जो हम देते भी हैं. लेकिन काम नहीं होता. दूसरा पहलू ये है कि कनाडा हमसे वो उम्मीद करता है, जो वो खुद नहीं करता. फिर ये प्रत्यर्पण की बातें क्यों होती हैं. इन 26 लोगों में ज्यादा कनाडा के नागरिक हैं. इसलिए कनाडा को कार्रवाई करनी चाहिए.”

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क्या पाकिस्तान की तरह कनाडा में घूम रहे यहां के मोस्ट वॉन्टेड?
इसके जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, “पाकिस्तान के बारे में तो जितना कहें उतना कम है. उसे तो हम बहुत अरसे से जानते हैं. लेकिन, कनाडा से हमारी ऐसी उम्मीदें नहीं हैं. क्योंकि वो हमारी तरह से प्रजातंत्र है. रूल ऑफ लॉ हमारी तरह फॉलो करते हैं. वहां भी कानून का पालन करते हैं. उस देश से ऐसी आशा नहीं थी. अफसोस की बात है कि जो हम देखते हैं कि वो कोशिश करते हैं कि भारत के वॉन्टेड लोग जो वहां पर रह रहे हैं, उन पर कोई आंच ना आए.” 

क्या खालिस्तानियों के सपोर्ट से ट्रूडो को सियासी फायदा मिलेगा?
संजय वर्मा कहते हैं, “खालिस्तानी आतंकी हैं. वो बहुत छोटी संख्या में है. लेकिन, दूसरों को डराकर अपने साथ ले लेते हैं. मैं सिख भाई और बहनों से कहूंगा कि खालिस्तानी सिख है ही नहीं… दूसरों को अनैतिक तरीके से मारना ये तो सिख धर्म का सिद्धांत ही नहीं है. खालिस्तानियों को मैं सिख नहीं मानता. वो खालिस्तानी हैं. आतंकी हैं और कट्टरपंथी हैं. ऐसा नहीं है कि वो सभी लोग खालिस्तान का समर्थन करते हैं. इसलिए जहां तक सियासी फायदे का सवाल है, तो ऐसा किया जाता है. ट्रूडो की पार्टी और उनकी कैबिनेट इससे फायदा उठाती है.”

संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा में जस्टिन ट्रूडो और उनकी पार्टी की लोकप्रियता घटती जा रही है. पार्टी के अंदर भी तमाम चुनौतियां उभर रही हैं. उनकी पार्टी के कुछ लोग अपना नेता बदलना चाहते हैं.”

क्या ट्रूडो सरकार हिंदुस्तान को तोड़ना का सपना देख रही?
कनाडा के पूर्व हाई कमिश्नर ने कहा, “अगर कनाडा की सरकार कट्टरपंथियों और खालिस्तानियों पर कोई एक्शन नहीं लेती, तो मैं मानूंगा कि आप उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं. आप उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं. जब तक वो वैसा करते रहेंगे और एक्शन नहीं लेंगे, तब तक मामला ऐसे ही चलता रहेगा. मैं ये मानूंगा कि भारतीय होने के नाते कि आप भारत पर हमला कर रहे हैं…”

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क्या भारत क्यूबेक मामले में दखल नहीं दे सकता?
कनाडा के क्यूबेक प्रॉविन्स में तमाम दिक्कतें चल रही हैं. वहां के लोग चाहते हैं कि कनाडा से अलग हो जाएं. ऐसे में क्या भारत वैसा नहीं कर सकता, जैसा कनाडा करता आया है? इस सवाल के जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, “भारत एक जिम्मेदार प्रजातंत्र है. जिम्मेदार प्रजातंत्र दूसरे पर वार नहीं करता है. ये उनकी समस्या है. इस समस्या का समाधान उन्हें निकालना है. अगर कोई बाहर का देश ऐसा करता है, तो उन्हें कैसा लगेगा. ये उन्हें सोचने की जरूरत है. कनाडा को सोचना चाहिए कि भारत को क्या महसूस हो रहा होगा, जब उसकी अखंडता पर कोई बुरी नजर डालता है.”

क्या कनाडा की जनता के पास ट्रूडो के अलावा कोई ऑप्शन नहीं?
उन्होंने कहा, “हमारे ख्याल से तो वहां 4 करोड़ लोग हैं. उनमें से एक लाख ही तो ऐसे हैं जो खालिस्तानी हैं. बाकियों से तो कोई परेशानी नहीं है. मेरे ख्याल से इन्हें थोड़ा आतंमचिंतन करना चाहिए. उन्हें देखना चाहिए कि कनाडा के लिए क्या अच्छा है. भारत से रिश्ता बनाना अच्छा है या नहीं. अगर इन्हें लगता है कि अच्छा नहीं है, तो ये लोग खुलकर बता दें. आज का भारत पुराना भारत नहीं है. नया भारत अपनी पहचान बना चुका है. अगर ये पहचान इन्हें पसंद नहीं है तो हम आगे सोचेंगे.”

संजय वर्मा ने कहा, “हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है. जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए. कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे हैं. ये कट्टरपंथी पैसे का लालच देकर और डराकर भारतीयों को भारत विरोधी प्रदर्शन में ले जाते हैं. कुछ लोग इसलिए भी प्रदर्शन में आते है कि अगर वो भारत विरोधी प्रदर्शन में तस्वीर आ जाती है, तो वो लोग असाइलम के लिए एप्लाई कर पाएंगे. वहां का सिस्टम इस तरह की गलतियों को पकड़ भी नहीं पाता है. निज्जर ने भी यही किया था.”

निज्जर की हत्या की निंदा पर भी दी सफाई
संजय वर्मा ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की निंदा की थी. अब सफाई दी है. उन्होंने कहा, “किसी की भी जिंदगी अमूल्य है. उसके लिए और उसके परिवार के लिए. अगर उसकी हत्या की गई है तो वो निंदनीय है. हत्या किसलिए की गई और क्यों की गई ये जांच का विषय है. अगर कोर्ट अगर किसी अपराधी को फांसी पर चढ़ाती है, तो मैं उसकी निंदा नहीं करता. लेकिन अगर उसका खुलेआम मर्डर हुआ है, तो वो न्यायिक दृष्टिकोण से सही नहीं है.”

बता दें कि कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत ने 14 अक्टूबर को कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश से वापस जाने का आदेश दे दिया. इन अधिकारियों को देश छोड़ने के लिए 19 अक्टूबर की रात 12 बजे तक का समय दिया गया है. उधर, कनाडा ने भी भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा. इसमें संजय वर्मा भी शामिल थे. 

ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई. इसमें भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया गया था. हालांकि, कनाडाई नागरिक की जानकारी नहीं दी, लेकिन इसे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है.

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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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