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BJP या कांग्रेस, महाराष्ट्र के ‘महा-रण’ के ‘छोटे’ खिलाड़ी आखिर किसका बिगाड़ेंगे गेम?
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नई दिल्ली:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) की तारीख का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. 20 नवंबर को एक ही चरण में राज्य की सभी 288 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. महाराष्ट्र में इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी और महायुती के बीच मुख्य मुकाबला होना है. दोनों ही गठबंधन की तरफ से सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है. हालांकि इन सबके बीच कुछ छोटे दल भी हैं जिनके पास अपना एक आधार वोट है. महाराष्ट्र की राजनीति में इस चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की बहुजन आघाड़ी और मनोज जरांगे पाटिल दोनों ही गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं.
मनोज जरांगे क्या करेंगे बड़ा खेल?
जरांगे अब एक बड़े गठजोड़ बनाने की तैयारी में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि अब मुद्दा सिर्फ मराठों का नहीं है अब मुसलमानों, दलितों और किसानों को भी हम एकजुट करके महायुती सरकार को उखाड़ फेकेंगे.
जरांगे हो सकते हैं बड़ा फैक्टर?
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर किए गए बड़े आंदोलन के कारण जरांगे की मराठा के क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जा रही है. खासकर युवाओं के बीच उनकी अच्छी लोकप्रियता है. मराठावाड़ की सीटों पर वो इस चुनाव में असर कर सकते हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मराठावाड़ की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के कई दिग्गज नेता भी इस क्षेत्र में चुनाव हार गए.

मराठा में मराठाओं की आबादी करीब 32 प्रतिशत है. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मराठा वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ था. हालांकि 2024 के चुनाव में मराठा वोटर्स बीजेपी गठबंधन से कुछ हद तक दूर गए जिसका नुकसान एनडीए को उठाना पड़ा.
जरांगे AIMIM के साथ कर सकते हैं गठबंधन
विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही छोटे दलों के बीच भी गठबंधन को लेकर चर्चा तेज हो गयी है. एआईएमआईएम की तरफ से जरांगे को गठबंधन के लिए ऑफर दिए गए हैं. एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे के साथ गठबंधन करने का संकेत दिया. जलील ने जरांगे से मंगलवार शाम को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मुलाकात की थी. इसके बाद इस बात की चर्चा तेज हो गयी कि इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों के लिए छोटे दल सकंट उत्पन्न कर सकते हैं.

प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी से MVA को खतरा
जिस तरह मनोज जरांगे महायुती के लिए इस चुनाव में खतरा बन सकते हैं. ठीक उसी तरह प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी से महाविकास अघाड़ी को खतरा हो सकता है. लोकसभा चुनाव में भी अंतिम समय में गठबंधन को लेकर बातचीत फाइनल नहीं होने के बाद प्रकाश आंबेडकर ने अलग रास्ता अपना लिया था. हालांकि लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर बहुत अधिक असर नहीं डाल पाए थे. उनकी पार्टी ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन मात्र 2 सीटों पर उनके उम्मीदवार अपना जमानत बचाने में सफल रहे थे. प्रकाश आंबेडकर स्वयं भी अकोला लोकसभा क्षेत्र में बुरी तरह हार गये थे. प्रकाश आंबेडकर 2,76,747 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि राजनीति के जानकारों का मानना रहा है कि लोकसभा की तुलना में विधानसभा चुनाव के मुद्दे और परिणाम अलग हो सकते हैं.
| राजनीतिक दल | वोट प्रतिशत (2019) |
| बीजेपी | 25.75% |
| शिवसेना | 16.41% |
| कांग्रेस | 15.87% |
| एनसीपी | 16.71% |
| वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) | 4.57% |
| एमएनएस | 2.25% |
साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में वंचित बहुजन अघाड़ी ने 4.57% प्रतिशत वोट हासिल किया था. पार्टी ने 236 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में भी उसने कांग्रेस और एनसीपी के उम्मीदवारों के लिए कई जगहों पर समस्या उत्पन्न की थी. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस चुनाव में समीकरण काफी बदल गए हैं.
प्रकाश आंबेडकर ने कई सीटों पर इंडिया गठबंधन का बिगाड़ा था खेल
लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखने के बाद पता चलता है कि लोकसभा चुनाव में भले ही प्रकाश आंबेडकर की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया लेकिन उसके अलग लड़ने का असर इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन पर देखने को मिला. कम से कम 7 ऐसी सीटे थी जहां प्रकाश आंबेडकर की पार्टी ने इंडिया का खेल बिगाड़ दिया.

राज ठाकरे ने अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान
बात जब छोटे दलों की हो रही है तो राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी राज्य में कुछ जगहों पर एक फैक्टर रही है. हालांकि किसी भी चुनाव में उन्हें अच्छी सफलता नहीं मिली. लोकसभा चुनाव के दौरान राज ठाकरे की पार्टी ने महायुति को समर्थन करने का ऐलान किया था. हालांकि विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे ने कार्यकर्ताओं को अकेले दम पर 200 से 225 सीटों पर तैयारी करने का आदेश दिया है.

राज ठाकरे ने साल 2006 में एमएनएस की स्थापना की थी, उसके बाद साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में एमएनएस ने 13 सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस का सिर्फ एक विधायक ही जीत कर आया पाया. लेकिन राज्य भर में उसे मिले तकरीबन दो फीसदी मतों ने दूसरों दलों के उम्मीदवारों के हार जीत पर असर डाला था.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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