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चीन के दुश्मन को दी ब्रह्मोस, अमेरिका को पहुंचाए बोइंग के पार्ट्स, समझिए कैसे डिफेंस सेक्टर में ‘आत्मनिर्भर’ बन रहा भारत

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नई दिल्ली:

पिछले एक दशक में भारत ग्लोबल आर्म्स इंडस्ट्री में तेजी से मौजूदगी दर्ज करा रहा है. इन 10 सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना तक बढ़ गया है. कभी दूसरे देशों से हथियार खरीदने वाला भारत आज इतना ‘आत्मनिर्भर’ बन चुका है कि अब 90 देशों को डिफेंस के प्रोडक्ट बेच रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने साल 2019 में अपनी रिपोर्ट में पहली बार भारत को दुनियाभर के टॉप 25 आर्म्स एक्सपोर्टर देशों की लिस्ट में जगह दी थी. इस लिस्ट में भारत को 23वें नंबर पर रखा गया था. लेकिन देश डिफेंस सेक्टर में नई ऊंचाइयां छूने को तैयार है. 2025 तक भारत ने 35,000 करोड़ रुपये के डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट सेट किया है. 

आइए समझते हैं पिछले 10 साल में 30 गुना कैसे बढ़ा भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट? कौन-कौन से डिफेंस प्रोडक्ट बेचता है भारत? कौन है हमारे हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार? हथियारों के सबसे बड़े निर्माता रूस-अमेरिका भी भारत में दिलचस्पी क्यों दिखा रहे हैं…

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2023-24 में बने 1.27 लाख करोड़ रुपये के मेड इन इंडिया हथियार
PIB की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2023-24 में सरकारी और प्राइवेट कंपनियों ने मिलकर 1.27 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के स्वदेशी हथियार बनाए हैं. इनमें से 21,083 करोड़ रुपये के हथियार एक साल में बेचे गए हैं. 2022-23 में भारत ने 15,920 करोड़ रुपये का हथियार बेचा था. 2023-24 में यह 32.5% तक बढ़ गया है. हथियारों के एक्सपोर्ट में देश की प्राइवेट कंपनियों का योगदान 60% है, जबकि सरकारी कंपनियों का योगदान 40% है.

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2016-17 से अब तक कितना गुना बढ़ा डिफेंस सेक्टर?

साल डिफेंस बिजनेस (करोड़ रुपये में)
2016-17 1521
2017-18 4682
2018-19 10745
2019-20 9115
2020-21  8434
2021-22 12841
2022-23 15920
2023-24 21083

(डेटा 1 अप्रैल 2024 तक का है)

भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट में क्यों हुआ इतना इजाफा?
इस सवाल का सीधा सा जवाब जंग है. रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से जंग चल रही है. जबकि इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास 7 अक्टूबर 2023 से जंग लड़ रहे हैं. इस जियो-पॉलिटिकल टेंशन ने छोटे देशों को भी अपने बॉर्डर को सुरक्षित करने के लिए लिहाज से हथियारों की जरूरत महसूस होने लगी है. आज छोटे देश भी अपनी मिलिट्री ताकत मजबूत करके रखना चाहते हैं. चूंकि दोनों युद्धों के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ा है. इसलिए ये देश नए एक्सपोर्टर की तलाश में हैं. भारत इन्हीं एक्सपोर्टरों में एक है. 

हाल के समय में भार इन छोटे देशों के लिए बड़े सप्लायर के तौर पर उभरा है. 2024-25 के पहले क्वॉर्टर में ही भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 78% तक पहुंच चुका है. पहले क्वॉर्टर में भारत ने 6915 करोड़ रुपये का डिफेंस प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किया. जबकि बीते साल इसी अवधि में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 3885 करोड़ रुपये था.

भारत ने बनाया खुद का ‘Iron Dome’
भारत ने 14 अक्टूबर को राजस्थान के पोखरण में खुद के बनाए ‘आयरन डोम’ (Iron Dome) का सफल परीक्षण किया है. यह चौथी पीढ़ी की कम दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. इसे आसमान में भारत का स्वदेशी रक्षक भी कह सकते हैं. तकनीकी भाषा में इसे वेरी शार्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (Very Short Range Air Defence System) या VSHORADS कहते हैं. आम भाषा में इसे कंधे से दागे जाने वाली विमान भेदी मिसाइल भी कह सकते हैं.

भारत ने किस देश को क्या बेचा?
-19 अप्रैल 2024 को हमारे देश ने साउथ चाइना सी में चीन के दुश्मन फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें बेची थी. जनवरी 2022 में भारत से फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 375 मिलियन डॉलर की डील की थी.
-10 मई 2024 को ‘लाइव मिंट’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि बीते 6 से 8 महीने में रूस ने भारत से 33 हजार करोड़ रुपये का गोला-बारूद और रक्षा से जुड़े दूसरे सामान खरीदे हैं.
-भारत ने म्यांमार को कई मिसाइलें एक्सपोर्ट की हैं. SIPRI के मुताबिक, साल 2000 से 2023 के बीच म्यांमार भारत से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश है. भारत से सबसे ज्यादा 31% हथियार म्यांमार एक्सपोर्ट होते हैं.
-इसी साल जुलाई में भारत ने पहली बार किसी दूसरे देश को स्नाइपर राइफल्स एक्सपोर्ट की थी. बेंगलुरु की फर्म ‘SSS डिफेंस’ को भारत के एक मित्र देश से करीब 400 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला था. 
-ये ऑर्डर 338 लापुआ मैग्नम कैलिबर वाली स्नाइपर राइफल के लिए दिया गया है. 338 लापुआ मैग्नम कैलिबर वाली स्नाइपर राइफल दुनिया की सबसे सटीक और भरोसेमंद स्नापर राइफल में से एक है. भारत समेत 30 देशों की सेना इस राइफल का इस्तेमाल करती हैं.

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-SIPRI के मुताबिक, बीते साल भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजरायल और ब्राजील समेत 34 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट बेचे हैं. 
-UAE, मिस्र, इंडोनेशिया और थाईलैंड समेत 10 देशों ने भारत से 5.56 mm से 155 mm के बीच गोला-बारूद खरीदे हैं.
-वहीं, अमेरिका, UK और फ्रांस जैसे देशों ने हथियारों में इस्तेमाल होने वाले छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदे हैं. भारत मॉरीशस, सेशेल्स और मालदीव को ऑटोनॉमस फास्ट इंटरसेप्टर बोट यानी वॉरशिप एक्सपोर्ट करता है.
-पिछले चार सालों में आर्मेनिया ने भारत के साथ कई रक्षा सौदे किए हैं. इन सौदों में मिसाइल, तोप, रॉकेट सिस्टम, हथियारों का पता लगाने वाले रडार, बुलेट प्रूफ जैकेट और नाइट विजन डिवाइसेस शामिल हैं. आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को खरीदने वाला आर्मेनिया पहला देश बन गया है. 

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अमेरिका को क्या बेच रहा भारत?
भारत अभी अमेरिका को डायरेक्ट हथियार तो नहीं बेच रहा, लेकिन हथियारों के सब-सिस्टम और पार्ट्स जरूर बेच रहा है. अमेरिका भारत से अपनी जरूरत का करीब 50% सामान खरीदता है. इनमें बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी दिग्गज ग्लोबल डिफेंस कंपनियां शामिल हैं. ये कंपनियां अपने ग्लोबल सप्लाई चेन नेटवर्क के साथ-साथ ऑफसेट कमिटमेंट के तहत भारत से विमान और हेलीकॉप्टरों के लिए मेन बॉडी पार्ट, विंग्स और अन्य पार्ट्स खरीदती हैं. बोइंग का टाटा के साथ ज्वॉइंट वेंचर है. टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड (TBAL) बोइंग AH-64 अपाचे हेलिकॉप्टर के लिए एयरो स्ट्रक्चर मैन्युफैक्चर करती है.

सबसे ज्यादा वॉरशिप और एयरक्राफ्ट बेचता है भारत
-भारत सबसे ज्यादा वॉरशिप्स एक्सपोर्ट करता है. SIPRI के 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने एक साल में कुल 61% वॉरशिप्स एक्सपोर्ट किया.
– इसी दौरान भारत ने 14% सेंसर, 20% एयरक्राफ्ट भी बेचा है. भारत ने 2.8% आर्मर्ड व्हीकल बेचा.
-आर्टिलरी की बात करें, तो हमारे देश ने विदेश में 1.1% आर्टिकली की बिक्री की. हमने इस दौरान 0.9% मेड इन इंडिया मिसाइल भी बेचा है. भारत ने 0.1% इंजन भी एक्सपोर्ट किया है.

किन हथियारों की सबसे ज्यादा मांग
-ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
-डोर्नियर-228 एयरक्राफ्ट
-आर्टिलरी गन
-रडार
-आकाश मिसाइल
-पिनाका रॉकेट और बख्तरबंद गाड़ियां

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भारतीय हथियारों के टॉप खरीददार?
म्यांमार 31%
श्रीलंका 19%
मॉरीशस 12%
सेशेल्स 9%
आर्मेनिया 5.10%
नेपाल 5.9%
मालदीव 4.3%
वियतनाम 4.2%
इक्वाडोर 3.9%
अफगानिस्तान 2.2%
अन्य देश 3.2%

आज रतन टाटा होते तो बहुत खुश होते…; टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्पलेक्स के उद्घाटन पर पीएम मोदी

तेजस एयरक्राफ्ट की भी बढ़ रही मांग
भारत के तेजस एयरक्राफ्ट की मांग दुनियाभर के देशों में बढ़ रही है. दिसंबर 2023 में देश की सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL के डायरेक्टर सीबी अनंतकृष्ण ने कहा था कि LCA तेजस के लिए तीन देशों अर्जेंटीना, फिलीपींस और नाइजीरिया के साथ डील को लेकर बात आगे बढ़ गई है. बोत्सवाना और मिस्र ने भी तेजस में दिलचस्पी जताई है.

दुनिया का सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर भी है भारत
स्टॉकहोम ‎‎इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार ‎‎आयातक देश भी है. बीते पांच साल में ‎‎उसने दुनिया में सर्वाधिक हथियार ‎खरीदे हैं. पांच साल में भारत‎ की ​हथियार खरीदी 4.7% बढ़ गई.‎ भारत के साथ ही ए​शिया में जापान में ‎‎हथियार आयात 155% बढ़ा. वहीं,‎ चीन के हथियार आयात में 44% की ‎गिरावट रही. पाकिस्तान पांचवां सबसे ‎बड़ा हथियार आयातक रहा. भारत फ्रांस के हथियार का सबसे‎ बड़ा खरीदार रहा जो कुल निर्यात‎ का लगभग 30% था. पहली बार रूस हथियार निर्यात में ‎तीसरे स्थान पर चला गया है. रूस ‎का हथियार निर्यात 2014-18 और ‎2019-23 के बीच 53% गिरा है.‎

Explainer: इजरायल के मल्टी-टीयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम के सामने ईरानी हथियार कितने कारगर?


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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