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एक्सीडेंट में दिव्यांग हुई बच्ची को 19 साल बाद कोर्ट ने दिलाया मुआवज़ा, अब इतने रूपये मिलेंगे

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0rrknue8_india_625x300_10_October_24 एक्सीडेंट में दिव्यांग हुई बच्ची को 19 साल बाद कोर्ट ने दिलाया मुआवज़ा, अब इतने रूपये मिलेंगे


नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर से जुड़े एक मामले में 19 साल पहले ट्रक एक्सीडेंट में 75 प्रतिशत तक विकलांग हो चुकी दो साल की बच्ची की याचिका पर 17 साल बाद उसके हक में फैसला सुनाते हुए उसकी मुआवजे की राशि को 22 लाख बढ़ाकर इन्श्योरेन्स कंपनी को देने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता बच्ची द्वारा दायर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दावा न्यायाधिकरण (Claims Tribunal) के निर्णय को संशोधित करते हुए दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को 1,08,875 रुपए से बढ़ाकर 23,69,971 रुपए कर दिया है. यह आदेश जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित ने बुलंदशहर की बच्ची कुमारी चीनू की तरफ से बतौर गार्जियन उसकी मां द्वारा दाखिल अपील (First Appeal From Order) पर दिया है.

मामले के अनुसार एक्सिडेंट की ये घटना 22 अगस्त 2005 की है जब अपीलकर्ता अपने माता-पिता के साथ मारुति कार से आगरा से बुलंदशहर के रास्ते में जा रही थी तभी कार की ट्रक से आमने-सामने भिड़ंत हो गई थी. इस दुर्घटना में दो साल की बच्ची 75 प्रतिशत तक विकलांग हो गई थी. बुलंदशहर के मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (Motor Accident Claims Tribunal) में पीड़ित परिवार ने क्लेम दाखिल किया था लेकिन मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के अपर जिला न्यायाधीश की कोर्ट ने दोनों गाड़ियों की गलती मानते हुए बच्ची को 2 लाख 17 हजार 715 रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया था. 

नाबालिग बच्ची ने अपनी मां रूबी के माध्यम से ये क्लेम किया था. ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 8 अगस्त 2007 को अपने फैसले में दावेदार-अपीलकर्ता को एक्सीडेंट के बाद लगी चोटों के कारण उसको 6% ब्याज सहित 1,08,875 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए बच्ची की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी.

अपीलकर्ता के अधिवक्ता एसडी ओझा का कहना था कि क्लेम ट्रिब्यूनल ने दोनों वाहन चालकों को योगदाई उपेक्षा (Contributory Negligence) का दोषी ठहराते हुए मुआवजे के निर्धारण में गलती की है. कहा गया कि इस घटना में योगदाई उपेक्षा नहीं थी बल्कि गल्ती ट्रक के ड्राइवर की थी. हाईकोर्ट ने अपील में बच्ची की दुर्घटना में हुई 75 प्रतिशत अपंगता, उसके साथ रहने वाले सहयोगी का चार्ज , भविष्य की इनकम, विवाह ख़र्च आदि पर विचार कर मुआवजा राशि बढ़ा दी है और ओरिएंटल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड को बच्ची को 23 लाख 69 हजार 971 रूपए देने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि इस दुर्घटना के बाद 100 विकलांगता के कारण लड़की की शादी की संभावनाएं भी खत्म हो गई. यह मुआवजा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को बच्ची को देना है जिस ट्रक से एक्सिडेंट हुआ था उसका इन्श्योरेन्स ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने किया था. हाईकोर्ट ने 17 साल पुरानी याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला देते हुए अपीलकर्ता को 22 लाख ज्यादा मुआवजा बढ़ाकर यानी 1,08,875 रुपए से बढ़ाकर 23,69,971 रुपए देने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता जो उस समय नाबालिग थी उसकी 100% विकलांगता ने उसके विवाह की संभावनाओं को काफी नुकसान पहुंचाया है जिससे वह हताशा और अवसाद में है. 

हाईकोर्ट ने विवाह की संभावनाओं के नुकसान के लिए तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा की दावा न्यायाधिकरण यह विचार करने में भी विफल रहा कि 100% विकलांगता के कारण दावेदार-अपीलकर्ता की विवाह की संभावनाएं काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो गई थी और दावेदार-अपीलकर्ता को हताशा, निराशा, परेशानी और असुविधा का सामना करना पड़ा था लेकिन दावेदार-अपीलकर्ता को उसके खाते में कुछ भी नहीं दिया गया है.

हाईकोर्ट ने कहा की दावा न्यायाधिकरण(Claims Tribunal) ने विकलांगता प्रमाण पत्र पर भरोसा करते हुए कमाई की क्षमता में 75% की हानि को स्वीकार करने में भी गलती की है जो दावेदार की 75% विकलांगता को पुख्ता कर रही है जबकि दावा न्यायाधिकरण के समक्ष दावेदार द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के अनुसार अपीलकर्ता 100% की सीमा तक स्थायी रूप से विकलांग हो गई है. आय की हानि 100% स्वीकार की जाती है. 

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अपीलकर्ता पीड़ा और कष्ट के लिए 30,000 रुपए की भी हकदार है. कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने इस मद में उसे केवल 5,000 रुपए देने में भी गलती की है. हालांकि ट्रिब्यूनल कोर्ट में उसकी माँ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष 36,05,000 रुपए के मुआवजे का दावा करते हुए दावा याचिका दायर की थी.

ट्रिब्यूनल ने 8 अगस्त 2007 को अपने आदेश में दोनों ड्राइवरों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जिस वैन में दावेदार बैठा था उसके ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस नहीं था. कुल मुआवज़ा 2,17,715 रुपए निर्धारित किया गया था हालाँकि 50% कटौती के बाद ट्रक के बीमाकर्ता के खिलाफ़ 1,08,875 रुपए की राशि तय की गई. इस फैसले को दावेदार-अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने माना कि MACT द्वारा 50% कटौती गलत तरीके से की गई थी.

कोर्ट ने प्रतिवादी संख्या दो ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को फैसले से दो महीने के अंदर दावेदार-अपीलकर्ता को ब्याज सहित बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया. ऐसा न करने पर प्रतिवादी इंश्योरेंस कंपनी बढ़ी हुई राशि पर 10% की दर से ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी.


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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