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किसानों के ‘दिल्ली कूच’ पर 24 घंटे का ब्रेक… सरकार को अल्टीमेटम- हम टकराव नहीं बातचीत के पक्षधर | Farmers Protest : 24 hour break on farmers delhi march, Ultimatum to the government, said

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नई दिल्‍ली:

पंजाब-हरियाणा सीमा पर आंसू गैस के गोले लगने से कुछ किसानों के घायल (Farmers Injured) होने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च शुक्रवार को स्थगित कर दिया. किसान संगठनों ने सरकार को 24 घंटे का वक्त दिया है. उन्‍होंने कहा कि मांगें नहीं मानी गई तो 24 घंटे बाद फिर शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा. किसान संगठनों, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर 101 किसानों का एक जत्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर शंभू सीमा स्थित अपने विरोध स्थल से आज दोपहर एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया. हालांकि, उन्हें कुछ मीटर की दूरी पर हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए बहुस्तरीय अवरोधक के कारण रुकना पड़ा. जब कुछ किसान अवरोधकों के पास पहुंच गए तो सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

शंभू बॉर्डर पर पानी की बौछारें करने वाले वाहन भी तैनात किए गए हैं. हरियाणा पुलिस ने किसानों से आगे न बढ़ने को कहा और अंबाला जिला प्रशासन द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया. निषेधाज्ञा के बावजूद किसानों ने अवरोधकों को पार करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें रोक दिया गया. सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के कई गोले दागे और उन्हें पंजाब के शंभू में अपने विरोध स्थल पर वापस जाने के लिए मजबूर किया.

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लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़े

कुछ किसान सड़क से लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़ते नजर आए और उन्होंने धुएं से बचने के लिए गीले जूट के बोरे से अपने चेहरे ढके हुए थे. अपने यूनियन (किसान संघ) के झंडे थामे हुए जत्थे के कई किसानों ने शुरुआती अवरोधकों को आसानी से पार कर लिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके.

विभिन्न किसान यूनियन के झंडे थामे कुछ किसानों ने घग्गर नदी पर बनाए गए पुल पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाई गई लोहे की जाली को नीचे धकेल दिया. प्रदर्शनकारियों में से एक टिन शेड की छत पर चढ़ गया, जहां सुरक्षा बल तैनात थे. उसे नीचे उतरने के लिए मजबूर किया गया.

8 किसानों के घायल होने का किया दावा 

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शाम को कहा कि आंसू गैस के गोले दागने से कम से कम आठ किसान घायल हुए हैं, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं. उन्होंने हरियाणा सरकार पर ‘‘किसानों के खिलाफ ज्यादती करने” का आरोप लगाया. घायलों में किसान नेता सुरजीत सिंह फुल भी शामिल हैं. किसान नेताओं ने कहा कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया.

पंढेर ने मार्च शुरू करने वाले 101 किसानों को ‘मरजीवड़ा’ (ऐसे लोग, जो किसी मकसद के लिए जान भी देने को तैयार हों) कहा था.

पंढेर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ किसानों के घायल होने के मद्देनजर हमने आज के लिए जत्थे को वापस बुला लिया है.” उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो वह हमसे बातचीत करे या हमें दिल्ली जाने की अनुमति दे. वे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम किसी दूसरे देश के दुश्मन हों. पंजाबियों और किसानों ने देश के लिए सबसे ज्यादा बलिदान दिया है.”

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उन्होंने हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा किए गए ‘‘बल प्रयोग” को ‘‘अनुचित” बताया. पंढेर ने दावा किया, ‘‘उन्होंने इस जगह (शंभू बॉर्डर) को पाकिस्तान या चीन के साथ लगी भारत की सीमा जैसा बना दिया है.”

अगले कदम के बारे में किसान नेता ने कहा कि जत्था अब रविवार को दिल्ली के लिए रवाना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव आता है तो हम कल तक इंतजार करेंगे. अब केंद्र बातचीत करना चाहता है या नहीं, यह उसका फैसला होगा, हम चाहते हैं कि बातचीत हो.”

उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं और हम अपना (दिल्ली चलो) मार्च शांतिपूर्ण जारी रखेंगे.”

किसानों के पास दिल्‍ली में धरने की इजाजत नहीं : विज 

किसान आंदोलन पर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसानों के पास दिल्ली में धरने की इजाजत नहीं है. यदि कोई धरना या प्रदर्शन करना है तो इसकी इजाजत लेनी होती है. अपने शहर में प्रदर्शन के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. किसानों ने अनुमति नहीं ली है और जब तक अनुमति नहीं ली है, तब तक उनको जाने कैसे दिया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि किसान दिल्ली में प्रदर्शन करने की इजाजत ले ले, हरियाणा सरकार उन्हें जाने से नहीं रोकेगी. 

उन्‍होंने किसानों की मांगों के संबंध में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी इस दिशा में काम कर रही है. किसानों से पंजाब  सरकार को बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि उन्‍हीं की धरती पर वे धरने पर बैठे हैं, लेकिन पंजाब की सरकार किसानों से कोई बातचीत नहीं कर रही है. उन्‍होंने कहा कि पंजाब सरकार किसानों से बातचीत करके कोई समाधान निकाले. 

उन्‍होंने कहा कि हिंदुस्‍तान की पहचान है कि जो भी आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से किए गए हैं, उनका समाधान निकला है. उग्र तरीके से प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होता है. 

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कानून व्‍यवस्‍था को कायम रखना हमारी जिम्‍मेदारी : राणा

हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि किसान पंजाब बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कमेटी बनाने को कहा था.  रास्ता निकालने के लिए ही किसानों की डिमांड पर यह कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार करके न्यायालय में पेश कर दी है और कोर्ट में इसकी 13 दिसंबर को सुनवाई है. मैं समझता हूं कि किसानों को कोर्ट की पालना करनी चाहिए. किसान पंजाब में बैठे हैं, हमारे हरियाणा में कोई दिक्‍कत नहीं है. हरियाणा सरकार तो पहले ही 24 फसलों पर एमएसपी दे रही है. 

उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानीपत आ रहे हैं. कानून व्यवस्था को कायम रखना हमारी जिम्‍मेदारी है. 

उन्‍होंने कहा कि पंजाब में किसानों के आंदोलन के कारण कई इंडस्‍ट्रीज उत्तर प्रदेश शिफ़्ट हो गई है. पंजाब के किसानों को एमएसपी की बात अपने मुख्यमंत्री से करनी चाहिए. 

सड़कों को अवरुद्ध करना असंवैधानिक और अमानवीय : अरोड़ा 

पंजाब के मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा ‘‘दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों को अवरुद्ध करना असंवैधानिक और अमानवीय है.” उन्होंने केंद्र से किसानों की मांगों पर तत्काल ध्यान देने की अपील की.

अंबाला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है.

पत्रकारों से बातचीत में पंढेर ने किसानों के खिलाफ ज्यादती करने और उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र की आलोचना की. उन्होंने पूछा, ‘‘केंद्र ने (हमारे खिलाफ) बल प्रयोग किया. क्या आपने हमारे पास कोई हथियार देखा?”

उन्होंने कहा, ‘‘हमें केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों, ड्रोन और अन्य साजो-सामान की तैनाती जैसे इंतजामों के बारे में पता था. हम जानते थे कि हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे. केंद्रीय मंत्रियों और राज्य भाजपा नेताओं ने पूर्व में कहा था कि उन्हें किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ मार्च करने पर आपत्ति है, हम देश और दुनिया को दिखाना चाहते थे कि किसान इनके बिना भी दिल्ली आ सकते हैं.”

पंढेर ने कहा, ‘‘अब जब हम पैदल मार्च कर रहे थे, तो आपत्ति क्या थी और उन्होंने हमें अनुमति क्यों नहीं दी.” उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कल कहा था कि अगर शांतिपूर्वक पैदल मार्च कर रहे जत्थे को रोका जाता है तो यह किसानों की नैतिक जीत होगी.”

पंढेर ने कहा कि किसानों ने अंबाला के अधिकारियों को मांगों का एक पत्र सौंपा है, जिसे आगे भेजने का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि किसान केंद्र द्वारा उनके साथ किए जा रहे व्यवहार के बारे में अब पंजाब के भाजपा नेताओं से पूछेंगे.

किसानों की एमएसपी के साथ कर्ज माफी सहित कई मांगें 

किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर शंभू और खनौरी में रोक दिया था.

किसानों के मार्च के पहले हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई लोगों को संदेश भेजने की सुविधा ‘बल्क एसएमएस सेवा’ पर नौ दिसंबर तक रोक लगा दी.

किसान एमएसपी के अलावा कर्ज माफी, किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं. वे 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय”, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं.
 


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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