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6000 में बेच देते हैं ईमान, कौन हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार? समझें नए इलाकों में कैसे फैल रहा मॉड्यूल

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देश के लिए जान देना राष्ट्र के प्रति सबसे बड़ा समर्पण माना जाता है. डोडा में सोमवार को कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय की शहादत हो गई.  डोडा मुठभेड़(Doda Encounter) में जख्मी पुलिसकर्मी की भी मंगलवार को शहादत हो गई है. हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसके कई कारण हैं. सबसे अहम कारणों में एक माना जा रहा है जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जडे़ं जितनी मज़बूत होती है, सीमापार हलचल उतनी ही तेजी से बढ़ती है. और इसके बाद आतंक की फैक्ट्री से निकलने वाले आतंकी कश्मीर की हवा में बारूद फैलाने की कोशिश करते हैं…पड़ोसी देश की ताज़ा परेशानी यही है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने वाले है.

आतंकी घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार? 
इस वक्त डोडा में पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली गई है. सेना और जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस का साझा ऑपरेशन भी चल रहा है. लेकिन सवाल ये है कि जब घर के अंदर ही आस्तीन के सांप छिप कर बैठे होंगे, तब आप दुश्मनों से कैसे लड़ेंगे. कुछ दिन पहले जब श्रद्धालुओं की बस पर आतंकी हमला हुआ था, उसी वक्त ये खुलासा हुआ था कि आतंकियों को गाइड करने वाले स्थानीय व्यक्ति ने सिर्फ 6 हजार रुपये की खातिर खुद को बेच दिया था. आशंका है कि चंद लोग लगातार इसी तरह से आतंकियों के लिए जासूसी कर रहे हैं. और आस्तीन के सांप बनकर देश का नुकसान कर रहे हैं.

क्या जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकियों ने अपनी साजिश का पैटर्न बदल लिया है? 

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी कश्‍मीर की जगह जम्‍मू पर फोकस कर रहे हैं. जरा इन आंकड़ों पर ध्यान दीजिए.

  1. सोमवार यानी 15 जुलाई को जम्मू के डोडा में 4 शहादत हुई.
  2. 8 जुलाई को जम्मू के ही कठुआ में 5 जवान शहीद हुए.
  3.  9 जून 2024 को जम्मू के ही रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला हुआ. जिसमें 9 जानें गईं.
  4. 4 मई 2024 को भी जम्मू के ही पुंछ में वायुसेना के क़ाफ़िले पर हमला हुआ.
  5. पिछले 32 महीनों में सिर्फ जम्मू क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने 48 शहादत दी है.

25 आतंकियों ने की है घुसपैठ
गलवान और डोकलाम के बाद चिनाव वैली…यानी जम्मू डोडा, किश्ववाड़, रियासी और कठुआ इलाके से सेना की टुकड़ियां निकाली गई थीं. जब गृह मंत्रालय का सिक्योरिटी ऑडिट हुआ था तब उसमें बताया गया था कि इस इलाके में सेना घट गई है. तो क्या ये मान लिया जाए कि इसी के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी अपनी साजिशें बढ़ाने में लग गए? एक सूचना के मुताबिक, लगभग 25 आतंकियों का ग्रुप पूरे इलाके में घुसपैठ कर चुका है, जो आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है. ये पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी हैं, जो नाम बदलकर ऑपरेट कर रहे हैं.  

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महज 6 हजार रुपये के लिए आंतकियों को मदद?
घने जंगल और पहाड़ों के बीच ऑपरेशन आसान नहीं होता…जिन आतंकियों ने हमला किया, वो जंगल में भाग गए…लेकिन, कहा जा रहा है कि लोकल सपोर्ट…यानी स्थानीय लोगों की मदद के बिना ये आतंकी अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सकते…रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर जो हमला हुआ था, उसमें ये बात साबित भी हो गई थी…सिर्फ 6 हजार रुपये के लिए एक स्थानीय व्यक्ति ने दहशतगर्दों के लिए वो मदद मुहैया कराई, जिसके बिना आतंकी कामयाब नहीं हो सकते थे. साफ है कि स्थानीय लोगों की मदद के बिना आतंकी अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सकते.

इस मुद्दे पर रिटायर्ड मेजर जनरल ए.के. सिवाच का कहना है कि मछली तब तक ही पानी में रह सकती है जब तक पानी है. वैसे ही आतंकी तब तक ही किसी क्षेत्र में रह सकते हैं जब तक कि उन्हें स्थानीय लोगों का सपोर्ट हो. यह सच्चाई है कि इन आतंकियों को स्थानीय लोगों का सपोर्ट है. कुछ कारण धर्म है और कुछ कारण आर्थिक है. कुछ लोग पैसों से बिक जाते हैं.

डोडा के भौगोलिक विविधता का फायदा उठा रहे हैं आतंकी
डोडा के घने जंगलों में आतंकी घात लगाकर बैठे थे.  आतंकियों को इस बात का फायदा मिला…क्‍योंकि वो पहले से ही वहां छिपे बैठे थे. सेना के जवान जब घटनास्‍थल पर पहुंचे, तो उन पर हमला हो गया. दरअसल, अमरनाथ यात्रा की वजह से कश्‍मीर में सेना ने सुरक्षा काफी कड़ी कर रखी है. ऐसे में वहां आतंकियों को मौका मिल पाना बेहद मुश्किल है. यही वजह है कि जम्मू के अलग-अलग इलाकों में आतंकी साजिश रची जा रही है.

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अलग-अलग नामों से सामने आ रहे हैं आतंकी संगठन
डोडा बहुत बड़ा इलाका है. यहां पहाड़ भी हैं, और घने जंगल भी हैं. इस क्षेत्र में कई प्राकृतिक गुफाएं हैं, जहां आसानी से छिपा जा सकता है. घने जंगल होने की वजह एरियल सर्वे भी बेहद मुश्किल है. ऐसे में आतंकियों के छिपने के लिए इसे मुफीद जगह कहा जा सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकियों का कैरेक्‍टर बदल गया है. आतंकी अब नाम बदलकर भी हमले कर रहे हैं. डोडा हमले की जिम्‍मेदारी भी ‘कश्‍मीर टाइगर’ नामक आतंकी संगठन ने ली है. अब ऐसे में आतंकियों को लोकल सपोर्ट भी मिलने लगे तो भला सेना उनसे कैसे निपटे?

सोमवार को ही कुपवाड़ा के केरन में सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर तीन आतंकियों को मार गिराया…उनके पास भारी मात्रा में हथियार भी मिले. जाहिर है सेना के सामने चुनौतियां कई तरफ से हैं. और समाधान हर हाल में निकालना है.

ये भी पढ़ें-: 

‘देश पर कुर्बान हुआ बेटा, ताबूत को सलामी दूंगा’… डोडा में शहीद कैप्टन बृजेश थापा के माता-पिता की हिम्मत को सलाम है


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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