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‘सीरियल किलर’ नर्स, जिसने कई नवजात बच्चों को मार डाला
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Serial Killer Nurse: लूसी लेटबाय (Lucy Letby) के चेहरे को देखकर यकीन नहीं होगा कि उसने कई नवजात बच्चों को मार डाला है. पुलिस ने आरोप लगाया था कि वो समय से पहले या कमजोर पैदा हुए या बच्चों को मार देती है. यह काम वो अक्सर रात की शिफ्ट के दौरान करती थी. नवजात बच्चों को या तो हवा के साथ इंजेक्शन देकर या फिर उन्हें बहुत ज्यादा दूध पिलाकर या उन्हें इंसुलिन के साथ जहर देकर मार देती थी. फिलहाल वो जेल में बंद है और सात नवजात शिशुओं की हत्या और सात अन्य को मारने का प्रयास करने के दोषी होने के बाद आजीवन उम्रकैद की सजा काट रही है.अब फिर ब्रिटेन की पुलिस ने जेल में उससे दो अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत के बारे में पूछताछ की है. लूसी इन दोनों अस्पतालों में बतौर नर्स काम करती थी. चेशायर पुलिस ने बताया, “34 वर्षीय लुसी लेटबाय से हाल ही में चेस्टर अस्पताल और लिवरपूल महिला अस्पताल में बच्चों की मौत की जांच के सिलसिले में पूछताछ की गई है. यह पहली बार है जब लिवरपूल अस्पताल के मामलों पर लूसी से पूछताछ की गई है. अभी उसे काउंटेस ऑफ़ चेस्टर हॉस्पिटल के मामले में सजा मिली है. हालांकि, लूसी की वकील हमेशा उसे बेगुनाह बताती रहती है. लूसी की वकील ने बीबीसी को बताया कि वह स्वेच्छा से साक्षात्कार में शामिल हुई थी और उसे इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है.
ऐसे हुआ शक

लूसी लेटबाय की तस्वीर.
काउंटेस ऑफ़ चेस्टर हॉस्पिटल में जून 2015 से पहले साल में दो या तीन नवजातों की मौत होती थी. लेकिन जून में कुछ अजीब घटनाएं घटीं. दो हफ़्ते के अंदर तीन नवजात शिशुओं की मौत हो गई. डॉ. ब्रेयरे ने यूनिट मैनेजर इरियन पॉवेल और अस्पताल के डायरेक्टर एलिसन केली के साथ मीटिंग बुलाई. ब्रेयरे ने बीबीसी को बताया, “हर बारीक़ पहलुओं पर हमने ग़ौर किया. हमें पता चला कि तीनों मौतों के दौरान लूसी लेटबाय ड्यूटी पर थी. मुझे याद है कि किसी ने कहा कि नहीं.. लूसी नहीं हो सकती, वो अच्छी इंसान है.” हालांकि, तीनों मौतों में कुछ भी कॉमन नहीं था और डॉ. ब्रेयरे समेत किसी को भी किसी गड़बड़ी का संदेह नहीं हुआ, लेकिन अक्टूबर 2015 में फिर दो शिशुओं की मौत हुई और उस दौरान भी लूसी ही ड्यूटी पर थी. पहली बार डॉ. ब्रेयरे को लूसी पर शक हुआ कि हो न हो वही बच्चों को नुक़सान पहुंचा रही है. उन्होंने यूनिट मैनेजर इरियन पावेल से शंका जाहिर की लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थी. अक्टूबर 2015 के एक ईमेल में उन्होंने मौतों को दुर्भाग्यपूर्ण कहा लेकिन साथ ही लेटबाय के साथ इनके संबंधों को संयोग बताया. डॉ. ब्रेयर ने डायरेक्टर एलिसन केली से भी बात की, लेकिन वहां भी उनकी नहीं सुनी गई. डॉ. ब्रेयर के साथी डॉक्टर भी चिंतित थे, क्योंकि इन मौतों के अलावा वार्ड में नवजात शिशु बिना कारण गंभीर रूप से बीमार हो रहे थे. शिशुओं को अचानक क्रिटिकल केयर या ऑक्सीजन देने की ज़रूरत पड़ रही थी और हर बार ड्यूटी पर लेटबाय होती थी.
उसके हटते ही रुक गईं मौतें

लूसी लेटबाय की एक अन्य तस्वीर.
एक अन्य डॉक्टर रवि जयराम ने बीबीसी को बताया कि फरवरी 2016 में उन्होंने लूसी लेटबाय को एक बच्चे (जिसे ‘बेबी के’ नाम दिया गया था) के सामने खड़े देखा. उसने सांस लेना बंद कर दिया था. डॉक्टर ब्रेयरे ने तत्काल अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर इयान हार्वे और एलिसन केली से संपर्क किया. मार्च में उन्होंने इरियन पॉवेल से मीटिंग करने की बात कही, लेकिन तीन महीने गुज़र गए और मई में दो शिशु लगभग मरते मरते बचे. इसके बाद वरिष्ठ मैनेजरों के साथ डॉ. ब्रेयरे की मीटिंग हुई. उनकी बात सुनी गई, लेकिन नर्स को काम जारी रखने की इजाज़त दे दी गई. जून 2016 तक एक और नवजात शिशु की मौत हो गई और इसी महीने के अंत में समय से पहले पैदा हुए ट्रिपलेट में से अचानक दो नवजातों की मौत 24 घंटे के अंतराल पर हो गई. दोनों ही मौतों के दौरान ड्यूटी पर लेटबाय थी. सदमे और हताशा से भरे पूरे स्टाफ़ की मीटिंग बुलाई गई. डॉ. ब्रेयरे ने बताया कि “जब लेटबाय से कहा गया कि वो छुट्टी ले लें, उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया और दूसरे दिन ड्यूटी पर आने को कहा. वो काफ़ी खुश थी और दूसरे दिन काम पर आने के लिए आत्मविश्वास से भरी थी.” यही वो पल था जब डॉ. ब्रेयरी और उनके साथी डॉक्टरों का शक यक़ीन में बदला. उन्होंने ड्यूटी एक्जीक्युटिव कारेन रीस से लेटबाय को ड्यूटी से हटाने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. दूसरे दिन एक और शिशु, ‘बेबी क्यू’ इतना बीमार पड़ा कि उसे मुश्किल से बचाया जा सका. उस समय भी ड्यूटी पर लेटबाय ही थी. इस घटना के बाद लूसी ने तीन और ड्यूटी की, तब जाकर उसे उस वार्ड से हटाया गया. इसके बाद वार्ड में आश्चर्यजनक रूप से ये रहस्यमयी मौतें रुक गईं, लेकिन लूसी लेटबाय को निलंबित करने की बजाय अस्पताल के रिस्क एंड पेशेंट सेफ़्टी ऑफ़िस में ट्रांसफर कर दिया गया. यहां नवजात वार्ड के संवेदनशील काग़ज़ों तक उसकी पहुंच थी और साथ में कुछ सीनियर मैनेजरों तक भी, जो उनकी जांच कर रहे थे.
ऐसे पुलिस ने शुरू की जांच

लूसी लेटबाय.
29 जून 2016 को नवजात शिशु युनिट के एक डॉक्टर ने मेल भेजकर जांच में पुलिस की मदद लेने की बात कही, लेकिन अस्पताल के मैनेजर राज़ी नहीं थे. मेडिकल डायरेक्टर इयान हार्वे ने जवाब दिया कि ‘कार्यवाही की जा रही है, अब आगे इस बारे में कोई मेल नहीं.’ इसके दो दिन बाद डॉक्टरों की मैनेजमेंट के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई, जिसमें उन्हें पुलिस बुलाने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी गई और कहा गया कि अस्पताल की छवि खराब होगी, लेकिन इस मीटिंग में रॉयल कॉलेज ऑफ़ पीडियाट्रिक्स एंड टाइल्ड केयर (आरसीपीएसीएच) से नवजात वार्ड का रिव्यू कराने को कहा. आरसीपीएसीएच ने नवंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट पूरी की, जिसमें हर अनपेक्षित मौतों की विस्तृत जांच का सुझाव दिया गया. इस बीच इयान हार्वे ने एक अन्य चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. जडेन डाउडॉन से मामले को देखने का आग्रह किया, जिन्होंने चार मौतों की फ़ारेंसिक जांच कराने का सुझाव दिया था, लेकिन ये नहीं हुआ. जनवरी 2017 में अस्पताल बोर्ड की मीटिंग हुई, जिसमें उलटे वार्ड के नेतृत्वकारी डॉक्टर के साथ समस्या और समय से हस्तक्षेप न करने का नतीजा निकाला गया. इसके कुछ ही हफ़्ते बाद वार्ड के सभी सात डॉक्टरों को बुलाया गया, जिसमें सीईओ टोनी चैंबर्स भी थे. चैंबर्स ने लूसी लेटबाय से इन लोगों को माफ़ी मांगने को कहा और मामले को यहीं ख़त्म करने की चेतावनी दी.मैनेजरों के फ़रमान के सामने डॉक्टर झुके नहीं और आख़िरकार पुलिस को जांच करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस ने काउंटेस ऑफ़ चेस्टर हॉस्पिटल में नवजातों के रहस्यमयी मौतों की आपराधिक जांच शुरू कर दी और इसका नाम रखा ‘ऑपरेशन हमिंगबर्ड.’
आखिरकार हुई सजा
सीईओ टोनी चैंबर्स ने बीबीसी पैनोरमा को बताया कि मीटिंग में हुई उनकी बातों को बिना संदर्भ के निकाला गया और जब जून 2016 में उन्हें मामले का पता चला तभी तत्काल कार्यवाही की गई और रिव्यू के आदेश दिए गए. पुलिस को डॉ. ब्रेयरे पूरी मदद कर रहे थे. तभी उन्हें एक मृतक शिशु के खून की जांच रिपोर्ट मिली, जिसमें इंसुलिन की मात्रा बहुत अधिक दिख रही थी. शरीर में अगर अधिक इंसुलिन बनता है तो साथ में सी-पेप्टाइड भी बनता है, लेकिन रिपोर्ट में सी-पेप्टाइड की रीडिंग शून्य थी. डॉ. ब्रेयरे याद करते हुए कहते हैं, “ये देख कर मुझे धक्का लगा. ये बिल्कुल साफ़ था कि शिशु को इंसुलिन देकर मारने की कोशिश की गई थी.” इसके कुछ महीने बाद नर्स लूसी लेटबाय को गिरफ़्तार कर लिया गया और अस्पताल से निलंबित कर दिया गया. लेकिन ये सब होने में तीन साल गुज़र गए. जनवरी 2018 में सीईओ चैंबर्स को इस्तीफ़ा देना पड़ा और चीफ़ एक्जीक्युटिव के रूप में डॉ. सुसान गिल्बी को नियुक्त किया गया. गिल्बी ने बीबीसी को बताया कि जब उन्हें ज़िम्मेदारी मिली तो हार्वे ने उनसे नवजात वार्ड के डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का इशारा किया था. हालांकि हार्वे ने इससे इनकार किया है. नर्स लूसी लेटबाय पर जून 2015 से जून 2016 के बीच सात हत्याओं और 15 हत्या की कोशिशों के आरोप तय हुए. उन पर सात हत्याओं और सात हत्या की कोशिशों के दोष सिद्ध हुए.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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