Connect with us

Blog

संविधान पर सियासत से लेकर अदाणी ग्रुप को टारगेट करने तक… राहुल गांधी ने की ये 7 गलतियां, उठ रहे 7 सवाल

Published

on

Spread the love

[ad_1]

k2n6l63o_rahul-gandhi-_625x300_23_November_24 संविधान पर सियासत से लेकर अदाणी ग्रुप को टारगेट करने तक... राहुल गांधी ने की ये 7 गलतियां, उठ रहे 7 सवाल


नई दिल्ली:

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर बेबुनियाद आरोप लगाते हैं. जब उस पर मीडिया उनसे सवाल करता है, तो चुप्पी साध लेते हैं. राहुल गांधी ने अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को लेकर अदाणी ग्रुप पर कई संगीन आरोप लगाए. लेकिन अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) ने स्टॉक एक्सचेंज में अपनी फाइलिंग में बता दिया है कि अमेरिका में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जो आरोप उसपर लगे थे, वे पूरी तरह गलत हैं. इससे मार्केट और अदाणी ग्रुप के शेयरों में गजब की उछाल देखने को मिल रही है. वहीं, राहुल गांधी अपनी बातों को लेकर घिरते जा रहे हैं.

देश का नाम विदेश में बदनाम करने के लिए राहुल गांधी एक के बाद एक कई गलतियां करते रहे हैं. आइए हाल-फिलहाल में की गई राहुल गांधी की गलतियों पर एक नजर डालते हैं:-

1. अदाणी ग्रुप पर लगाए बेबुनियाद आरोप
राहुल गांधी ने बिना सबूत अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाने, निवेशकों में भ्रम फैलाने से लेकर देश की साख बिगाड़ने की कोशिश जैसी गलती की है.

2. हिंडनबर्ग की संदिग्ध रिपोर्ट को ही मान पूरा सच
इससे पहले हिंडनबर्ग की संदिग्ध रिपोर्ट को ही राहुल गांधी ने पूरा सच घोषित कर दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से इस पर अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट मिल गई. 

कैसी घटिया मानसिकता… राहुल गांधी ने नहीं किया अभिवादन तो BJP ने लगाया राष्ट्रपति के अपमान का आरोप

3. औद्योगिक वातावरण को खराब करने की कोशिश
फिर राहुल गांधी विदेशी साजिश का हिस्सा बने, जिसे सेबी और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर भरोसा नहीं हो. इससे करोड़ों निवेशकों को नुकसान पहुंचा. देश के औद्योगिक वातावरण को भी खराब किया गया. 

4. सेबी और सुप्रीम कोर्ट पर उठाए सवाल
सेबी प्रमुख पर हिंडनबर्ग के आरोप लगे, तो राहुल गांधी ने सेबी की सुचिता पर ही सवाल उठा दिए. जबकि हिंडनबर्ग का कथित खुलासा बेहद संदिग्ध निकला. राहुल ने किसी व्यक्ति की जगह पूरी संस्था को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. इससे करोड़ों निवेशकों के मन में शक पैदा हुआ.

5. HAL को बर्बाद करने का लगाया आरोप
उससे पहले उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL को बर्बाद करने का आरोप लगाया था, जबकि HAL के स्टॉक 5 साल में 5 गुना तक बढ़ गए. ऐसे आरोप लगाकर राहुल ने देश को गुमराह किया. HAL जैसे फर्म की इमेज खराब की. देश की सुरक्षा तैयारियों में अड़ंगा लगाया गया.

6. राफेल डील में कमीशनखोरी का लगाया आरोप
उसी तरह राफेल डील में राहुल गांधी ने कमीशनखोरी का आरोप लगाया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राफेल डील में पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ था. राहुल ने आरोप लगाकर सुरक्षा तैयारियों में बाधा डालने की कोशिश की. उन्होंने देश की छवि बिगाड़ने की कोशिश की.

क्या राहुल गांधी की भारत की नागरिकता खत्म होगी? 19 दिसंबर को कोर्ट में होगा फैसला

7. संविधान पर भी की सियासत
 संविधान पर भी राहुल गांधी ने सियासत की. उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान और आरक्षण खत्म करने की कोशिश हो रही है, जबकि जनता ने लोकसभा से लेकर हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव तक राहुल के नैरेटिव को नकार दिया. इसमें राहुल ने फेक नैरिटिव फैलाने, ट्रोल बन जाने, जनहित के मुद्दों से कटने, विपक्ष को ही कमजोर करने और इसके साथ लोकतंत्र को कमजोर करने की गलती की.

राहुल गांधी से 7 सवाल
राहुल गांधी की इन गलतियों को लेकर उनपर 7 सवाल उठ रहे हैं:-

1. जब रिश्वत में अदाणी का नाम ही नहीं, तो राहुल गांधी ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर क्यों पेश किया?

2. विदेश में आरोप लगता है कि राहुल गांधी अभियान चलाते हैं, क्या ये एक पैटर्न नहीं है?

3. क्या राहुल गांधी भारतीय कॉरपोरेट विरोधी इंटरनेशनल गैंग के ‘देसी पार्टनर’ बन गए हैं?

4. क्या राहुल गांधी जानबूझकर या बेवकूफी में देश के खिलाफ साजिश रचने वालों के हाथों खेल रहे हैं?

5.हिंडनबर्ग केस में देश के निवेशकों को नुकसान पहुंचा शॉर्ट सेलर ने मुनाफा कमाया. राहुल इसके हिस्सेदार क्यों बनें?

6. अमेरिका में ‘रिश्वत केस’ से फिर से निवेशकों का नुकसान हुआ है. पैसा किसने बनाया, इसकी जांच क्या नहीं होनी चाहिए?

7. क्या भ्रम फैलाने वाले व्यक्ति को विपक्ष के नेता जैसे संवैधानिक पद पर होना चाहिए?

अदाणी समूह की फाइलिंग से हुआ साफ, राहुल गांधी और खरगे कर रहे भ्रम फैलाने की राजनीति

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस पूरे मामले को लेकर NDTV ने सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील महेश जेठमलानी से बात की. राहुल गांधी ने अदाणी मामले में इतनी जल्दी क्यों दिखाई? इसके जवाब में जेठमलानी ने कहा, “गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिका में रिश्वत का मामला कंफर्म नहीं है. कोई सबूत नहीं है. राहुल झूठे आरोप लगा रहे हैं. जब वहां रिश्वत देने के कोई सबूत ही नहीं हैं, तो ये बात कहां से आई कि देश में हमारे एजेंसियों को अलर्ट होना चाहिए. अमेरिका में ये इल्जाम नहीं है कि किसी को पैसे खिलाए गए.”

क्या राहुल गांधी देश विरोधी ताकतों के गोद में बैठे है? इसके जवाब में महेश जेठमलानी कहते हैं, “ऐसा लगता है कि राहुल गांधी में अदाणी के खिलाफ निजी नफरत इतनी है कि वो कुछ भी कहने के लिए तैयार हैं. बिना सबूतों के वह अनाप-शनाप आरोप लगाते रहते हैं.”

राहुल गांधी ने बगैर सबूत देखे भ्रम फैलाया, लाखों निवेशकों को हुआ नुकसान: अदाणी समूह पर लगे आरोपों पर बोले महेश जेठमलानी

जेठमलानी कहते हैं, “राहुल गांधी जो कर रहे हैं, उसका किसी को फायदा नहीं है. लेकिन नुकसान देश को है, देश के निवेशकों को है.”हमारे रिटेल इंवेस्टर्स को हिंडनबर्ग रिसर्च ने जिस तरह से नुकसान पहुंचाया और अब तो अमेरिकी जांच को लेकर हमले हुए हैं… उसे किसे नुकसान हुआ? सबसे ज्यादा नुकसान तो रिटेल इंवेस्टर्स को हुआ है.”

खुद मार्केट से कमाई करते हैं राहुल गांधी?
राहुल गांधी एक तरफ तो मार्केट और म्यूच्युअल फंड को लेकर बेबुनियाद आरोपों से दूसरों को डराते हैं, लेकिन खुद शेयर मार्केट से कमाई करते हैं. बीते 5 महीने में राहुल गांधी ने शेयर मार्केट से 46.49 लाख रुपये की कमाई की है. उनके पोर्टफोलियो की वैल्यू 15 मार्च 2024 को 4.33 करोड़ रुपये थी. 12 अगस्त 2024 में इनकी कीमत 4.80 करोड़ हो गई है.

निवेशकों ने दिखाया अदाणी ग्रुप पर भरोसा
जिस वक्त विपक्ष के नेता राहुल गांधी अदाणी ग्रुप के जरिए देश के विकास की गति को रोकने पर आमादा हैं, उसी वक्त दुनिया भर की बड़ी बड़ी निवेशक कंपनियां भारतीय बाजार से लेकर अदाणी ग्रुप के शेयरों में पूरा भरोसा जता रही हैं. उसका ही नतीजा है कि आरोपों के तीखे तीर भी अदाणी ग्रुप के शेयरों के उछाल को छलनी नहीं कर सके. लेकिन आर्थिक जानकार मानते हैं कि पश्चिम की कारोबारी दुनिया को भारत का आर्थिक विकास पच नहीं रहा है, इसलिए झूठे हथकंडे आजमाए जा रहे हैं.

इकोनॉमिक गुरु डॉ. अमन चुग कहते हैं, “अभी ग्लोबलाइजेशन (Globalisation) स्लोबलाइजेशन (Slobalisation) की तरफ जा रहा है. स्लोडाउन यानी मंदी के लिए स्लोबलाइजेशन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. अभी ओवरऑल मंदी का फेज है. वेस्टर्न वर्ल्ड पर इससे बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. इसलिए वो ये पसंद नहीं करेंगे कि भारत की इकोनॉमी बढ़े.”

अश्विनी दुबे ने कहा, “देश जिस तरह से प्रगति कर रहा है, उसको रोकने के लिए और खासतौर पर कारोबारियों को टारगेट करने का एक फैशन बन गया है. अगर आरोप लगाते हैं, तो जवाब भी पढ़ना चाहिए.”

अदाणी के जवाब के बाद भी अड़े राहुल गांधी, बोले – सरकार कंपनी को बचाने की कोशिश कर रही


[ad_2]

Source link

Share this content:

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Blog

न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

Published

on

By

Spread the love

[ad_1]

mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



[ad_2]

Source link

Share this content:

Continue Reading

Blog

अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

Published

on

By

Spread the love

[ad_1]

240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

[ad_2]

Source link

Share this content:

Continue Reading

Blog

काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

Published

on

By

Spread the love

[ad_1]

a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




[ad_2]

Source link

Share this content:

Continue Reading

Trending

Copyright © 2017 Zox News Theme. Theme by MVP Themes, powered by WordPress.