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बिलकिस बानो से लेकर राम मंदिर तक…भारतीय न्याय व्यवस्था में डीवाई चंद्रचूड़ होना क्यों आसान नहीं, समझिए
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नई दिल्ली:
भारतीय न्याय व्यवस्था में धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) एक ऐसा नाम है, जिन्हें हमेशा उनके फैसलों के लिए याद किया जाएगा. डी वाई चंद्रचूड़ देश के 50वें चीफ जस्टिस रहे. आज वह इस पद से रिटायर हो रहे हैं. उन्होंने 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (DY Chandrachud) का पद संभाला था. अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान भी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने ऐसे कई फैसले सुनाए हैं, जो एक नजीर बनें. आज भले वह सीजेआई के पद से रिटायर हो रहे हैं लेकिन उनके द्वारा सुनाए गए बड़े फैसलों की वजह से वह हमेशा याद किए जाते रहेंगे. चलिए आज हम आपको सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के उन बड़े फैसलों से रूबरू कराते हैं जिनकी वजह से भारतीय न्याय व्यवस्था में उनकी एक अलग छवि स्थापित कर गई.

बिलकिस बानो के मामले पर सुनाया था बड़ा फैसला
भारत के सीजेआई के तौर पर नवंबर 2022 में पद संभालने के बाद डीवाई चंद्रचूड़ ने पहला सबसे बड़ा फैसला बिलकिस बानो मामले में सुनाया था. उस दौरान उन्होंने सामूहिक बलात्कार और हत्या को लेकर उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी. इसके बाद कई महीनों की सुनवाई के बाद 2024 की शुरुआत में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों की रिहाई के फैसले पर रोक लगा दी थी.

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है. मतदाता को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है. कोर्ट ने अपने फैसले में इन बॉन्ड्स को खरीदने वालों की लिस्ट को भी सार्वजनिक करने की बात कही थी. कोर्ट ने आगे कहा था कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. हमे लगता है कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1) ए का उल्लंघन है.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर सुनाया था बड़ा फैसला
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला बरकरार रखा था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य को दर्जा जितनी जल्दी बहाल किया जा सकता है उतनी जल्दी कर देना चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है.कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था. इसके टेक्स्ट को देखें तो भी पता भी चलता है कि ये अस्थाई प्रावधान था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने उस दौरान कहा था कि कोर्ट अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति और लद्दाख को अळग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को वैध मानता है.

चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर कोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
चंडीगढ़ मेयर चुनाव की धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था. सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली को लेकर अपनी नाराजगी भी जताई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इसे लोकतंत्र का हत्या बताया था. इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के सामने बैलेट पेपर और वीडियोग्राफी समेत सभी रिकॉर्ड संरक्षित करने का आदेश दिया था.
बतौर जज भी कई बड़े फैसले दे चुके हैं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
डीवाई चंद्रचूड़ ने बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज रहते भी कई बड़े फैसले देने में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है. चलिए एक नजर उनके उन फैसलों पर भी देते हैं जिन्हें उन्होंने बतौर जज रहते सुनाया था.
राम मंदिर को लेकर सुनाया था फैसला
बतौर जज अगर डीवाई चंद्रचूड़ के बड़े फैसलों की बात करें तो इस सूची में सबसे पहले नंबर पर आता है राम मंदिर पर सुनाया गया फैसला.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच का हिस्सा थे जिसने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इस बेंच की अगुवाई उस समय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे.

निजता का अधिकार को लेकर दिया गया फैसला
निजता के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ा फैसला सुनाया था. उन्होंने इस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य फैसला लिखते समय लोकतांत्रिक समाज में निजता के महत्व पर जोर भी दिया था. 24 अगस्त 2017 को न्यायालय ने सर्वसम्मति से घोषणा की थी कि निजता का अधिकार वास्तव में मौलिक अधिकार है, जो किसी भी शख्स की गरिमा और स्वायत्तता से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है.
धारा 377 पर सुनाया बड़ा फैसला
सप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आईपीसी की धारा 377 पर एतेहिसाक फैसला सुनाते हुए कहा था कि सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को हम इसे अपराध की श्रेणी से बाहर मानते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सुनाए गए इस फैसले में आगे कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.संविधान पीठ ने कहा था कि धारा 377 को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया क्योंकि इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है.

फैसला सुनाते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि यौन प्राथमिकताओं को 377 के जरिए निशाना बनाया गया है और LGBT समुदाय को भी दूसरों की तरह समान अधिकार है. समलैंगिगता कोई मानसिक विकार नहीं है और LGBT समुदाय को बिना किसी कलंक के तौर पर देखना होगा. सरकार को इसके लिए प्रचार करना चाहिए. अफसरों को सेंसेडाइज करना होगा.
अविवाहित महिलाओं के लिए गर्भपात का अधिकार
29 सितंबर 2021 को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस पर एक प्रगतिशील फैसला सुनाता हुए सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी अधिनियम के तहत गर्भपात के अधिकार को अविवाहित महिलाओं तक भी बढ़ा दिया था. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि कानून को वैवाहित स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं को एक समान अधिकार दे रहे हैं .
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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