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बाइडेन से आखिरी मुलाकात में जिनपिंग के चेहरे पर हावी रही ‘ट्रंप वाली’ टेंशन
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नई दिल्ली:
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कैबिनेट में कई प्रमुख नियुक्तियां कर चुके हैं. उनके कैबिनेट पर दुनियाभर की नजरें टिकी है. इसकी एक वजह ये है कि ट्रंप के कार्यकाल में किस देश को कैसी तवज्जों मिलेगी. ये कुछ हद तक उनके कैबिनेट में शामिल लोगों के कामकाज के तरीके पर भी निर्भर करेगा. इसमें गौर करने वाली बात ये होगी कि कौन सा मंत्री किस देश का समर्थक है. जाहिर सी बात है कि ट्रंप जो नियुक्तियां कर रहे हैं, इसलिए दुनियाभर के देश उस पर करीबी नजर रखे हुए हैं. अमेरिका और चीन के रिश्ते कितने तल्खियांभरे हुए हैं, ये किसी से छिपा नहीं है. इस बार ट्रंप कार्यकाल में चीन का अमेरिका के साथ कैसा संबंध रहेगा, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. ट्रंप पहले कार्यकाल में चीन के प्रति काफी सख्त थे, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप फिर से वहीं रणनीति अख्तियार करेंगे, जो उन्होंने पहले की थी.
बाइडेन और जी जिनपिंग की मुलाकात
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच संभवत ये आखिरी मुलाकात होगी. ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले तनाव कम करने का उनका लक्ष्य साइबर अपराध, व्यापार, ताइवान और रूस को लेकर नए विवादों के कारण चुनौतीपूर्ण हो गया है. व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि, बाइडेन और शी ने सात महीनों में पहली बार बातचीत की, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान पेरू के लीमा में हुई. इसी बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. चीनी राष्ट्रपति ने कहा, “चीन नए अमेरिका के साथ बातचीत बनाए रखने, सहयोग का विस्तार करने और मतभेदों को दूर करने के लिए काम करने के लिए तैयार है, ताकि चीन-अमेरिका संबंधों के बदलाव के लिए प्रयास किया जा सके.”
दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर हुई बातचीत
शी जिनपिंग और जो बाइडेन ने व्यापार से लेकर ताइवान तक के मुद्दों पर तनाव कम करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है, और शनिवार की आमने-सामने की मुलाकात पिछले साल कैलिफोर्निया में शिखर बैठक के बाद से उनकी दूसरी मुलाकात थी. ये कुल मिलाकर उनकी तीसरी मुलाकात थी. जो बाइडेन ने कहा कि हम दोनों ने मिलकर बातचीत में जो प्रगति की है, उस पर उन्हें बहुत गर्व है. दोनों देश इस प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदल सकते, यह हमारी जिम्मेदारी है और पिछले चार वर्षों में मुझे लगता है कि हमने साबित कर दिया है कि यह रिश्ता संभव है.
ट्रंप की वापसी से क्या और गहरी होगी खाई
ट्रंप की वापसी और शीर्ष पदों पर चीन के प्रति सख्त रवैया रखने वाली नियुक्तियों ने इस आशंका को जन्म दिया है कि दोनों देशों में तनाव फिर से बढ़ सकता है. अपने पहले व्हाइट हाउस कार्यकाल में, ट्रंप ने चीन के साथ एक भीषण व्यापार युद्ध में भाग लिया, आयात पर टैरिफ लगाया. जिसका बीजिंग ने भी कड़ा जवाब दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बीजिंग के प्रति टकरावपूर्ण दृष्टिकोण रखने का संकेत दिया है. डेमोक्रेट कमला हैरिस के खिलाफ अभियान के दौरान ट्रंप ने चाइनीज सामानों के आयात पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं, ऐसे में चीन की मुसीबत बढ़ना तय है.
शी जिनपिंग ने मुलाकात में क्या कहा
शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और अमेरिका को पूरी दुनिया के हित को ध्यान में रखना चाहिए और अशांत दुनिया में अधिक निश्चितता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना चाहिए. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि दोनों नेता ताइवान – जिसे चीन अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और दक्षिण चीन सागर पर तनाव पर भी चर्चा करेंगे. जहां बीजिंग समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से पर दावा करता है. यह चर्चित बैठक 21 सदस्यीय एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के बाद हुई, जिसमें शी जिनपिंग और बाइडेन दोनों ने भाग लिया था. अपनी मुलाकात से पहले, दोनों ने कनाडा, चिली, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और जापान सहित देशों के अन्य APEC नेताओं के साथ बंद कमरे में “रिट्रीट” में भाग लिया था.
ट्रंप की वापसी से क्या कुछ बदलेगा
ट्रंप की वापसी से कुछ प्रमुख बैठक पर अनिश्चितता के बादल छाए हैं और अगले सप्ताह रियो डी जेनेरियो में G20 नेताओं की बैठक पर भी यही होगा. जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन के दौर में पहुंच गई है. उन्होंने APEC शिखर सम्मेलन में जापान और दक्षिण कोरिया सहित प्रमुख अमेरिकी सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की. ट्रंप की वापसी से यूक्रेन और मध्य पूर्व में युद्धों से लेकर जलवायु परिवर्तन और व्यापार तक के मुद्दों पर जो बाइडेन द्वारा बनाए गए गठबंधनों को खतरा है. इस बीच अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के टैरिफ न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को बल्कि अमेरिका और उसके व्यापारिक भागीदारों को भी नुकसान पहुंचाएंगे. ट्रंप जलवायु परिवर्तन पर जो बाइडेन की नीतियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, जिसमें उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को छोड़ने और जीवाश्म ईंधन के लिए ड्रिलिंग बढ़ाने की धमकी दी है. बाइडेन अमेजन रेनफॉरेस्ट का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे, जब वह रविवार को जी-20 बैठक के लिए रियो जाते समय ब्राजील के शहर मनौस में रुकेंगे, जहां शी जिनपिंग भी भी जा रहे हैं.
परमाणु हथियारों पर हुई क्या बातचीत
व्हाइट हाउस के अनुसार, जो बाइडेन ने शनिवार दोपहर को शी जिनपिंग से मुलाकात की और इस समझौते पर पहुंचे कि परमाणु हथियारों के उपयोग पर फैसला इंसान को लेना चाहिए, न कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को. ऐसा माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पहले दोनों नेताओं के बीच यह आखिरी मुलाकात थी. इससे पहले दोनों ने पेरू में वार्षिक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर एक होटल में मुलाकात की, जहां दोनों नेता एक-दूसरे से हाथ मिलाते नजर आए थे. दोनों नेताओं ने संभावित जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार करने और विवेकपूर्ण और जिम्मेदार तरीके से सैन्य क्षेत्र में एआई तकनीक विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
दोनों देशों ने नवंबर में परमाणु हथियारों पर आधिकारिक स्तर की वार्ता फिर से शुरू की थी, लेकिन तब से वे वार्ताएं रुकी हुई हैं, जिसमें एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से चीन की प्रतिक्रिया के बारे में निराशा जाहिर की थी. चीन के तेजी से परमाणु हथियारों के निर्माण के बारे में अमेरिकी चिंताओं के बावजूद, औपचारिक परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता जल्द ही होने की उम्मीद नहीं है. चुनावी अभियान के दौरान, ट्रंप ने चीन के प्रति आक्रामक रुख रखा, चीनी आयात पर टैरिफ को 60% तक बढ़ाने का वादा किया. ट्रंप ने यूक्रेन में रूस के युद्ध को 24 घंटे में समाप्त करने का भी वादा किया है, जिसका मतलब कुछ लोगों को डर है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता कम हो जाएगी.
ट्रंप कैबिनेट में शामिल प्रमुख चेहरे चीन के खिलाफ
ट्रंप कैबिनेट में फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो और रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज को प्रमुख पद मिले हैं. इन दोनों का ही रुख चीन के प्रति सख्त रहा है. जिनपिंग ने इस महीने की शुरुआत में ट्रंप को चुनाव में जीत के लिए बधाई देते हुए कहा कि उनके दोनों देशों को नए युग में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए. वहीं अमेरिकी अधिकारी हाल के हफ्तों में एफबीआई की जांच को लेकर चिंतित हैं, जिसमें दिखाया गया है कि चीनी सरकार ने अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों और राजनेताओं की जानकारी चुराने के लिए अमेरिकी नेटवर्क को हैक करने की कोशिश की थी. अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि चीन से जुड़े ऑपरेशनों ने कमला हैरिस के कर्मचारियों के साथ-साथ ट्रंप और उनके साथी जेडी वेंस के फोन को निशाना बनाया.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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