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नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे युवा, NDTV की पड़ताल में देखिए कितना व्‍यापक है ‘ड्रग्‍स का जाल’

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rkj6qmrg_drugs_625x300_06_July_24 नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे युवा, NDTV की पड़ताल में देखिए कितना व्‍यापक है 'ड्रग्‍स का जाल'


नई दिल्‍ली:

देश भर में ड्रग्‍स (Drugs) का जाल लगातार फैल रहा है. उत्तर प्रदेश से महाराष्‍ट्र और तेलंगाना तक ड्रग्‍स के खिलाफ सरकारें और एजेंसियां काम कर रही हैं. बावजूद इसके नशे के कारोबारी अपना जाल फैलाते जा रहे हैं. यहां तक की नशे का कारोबार युवाओं के बीच से अब स्‍कूली बच्‍चों तक ले जाने की कोशिश की जा रही है. नशे के कारोबारी नए-नए तरीके अपना रहे हैं.  उत्तर प्रदेश से महाराष्‍ट्र और तेलंगाना तक फैलते ड्रग्‍स के जाल को लेकर देखिए एनडीटीवी की खास पड़ताल ‘ड्रग्‍स का जाल’. 

ड्रग्‍स कारोबारियों पर यूपी पुलिस का डंडा  

देश भर में नशे के खिलाफ जारी अभियान में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नया मुकाम हासिल किया है. पिछले डेढ़ साल में यूपी पुलिस ने डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ड्रग्स जब्त की है. योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने ना सिर्फ यूपी बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी इस अभियान में मदद की है. ड्रग्‍स के कारोबार में शामिल लोगों पर यूपी पुलिस का डंडा चल रहा है. भले ही आरोपी सेलिब्रिटी हो, लेकिन कानून अपना काम कर रहा है. 

सांपों का जहर बेचने के आरोपी एल्विश यादव ने यादव ने कभी सोचा नहीं होगा कि उसकी यह दशा होगी. उत्तर पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ड्रग्‍स या नारकोटिक्स की जो घटनाएं हो रही हैं उसको रोकने के लिए कितनी सीरियस है. ड्रग पेडलर्स के लिए भी हमारी स्पेशल यूनिट्स जो है वह उन चीजों को देखती है और कार्रवाई करती है. 

1582 करोड़ रुपये की ड्रग्‍स जब्‍त, 30 हजार गिरफ्तार  

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में 1582 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की जा चुकी है और ड्रग्स रैकेट से जुड़े 30000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है और डेढ़ साल में कुल 2474 केस दर्ज किए गए हैं. इतना ही नहीं यूपी पुलिस ड्रग्स पर लगाम लगाने के लिए दूसरे राज्यों की भी मदद कर रही है. 

उन्‍होंने कहा, “कुछ विदेशी लोग भी अवैध ड्रग्‍स के धंधे में लिप्‍त हैं. उसकी भी बड़ी रिकवरी की गई है और जो अन्य प्रदेशों से जो मूवमेंट होता है उसे लेकर भी हम अन्य राज्यों की पुलिस और सेंट्रल एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. हम लोगों ने कुछ जगहों में सीजर भी किए हैं जो गैंगस्टर एक्ट में जिस तरह से सीजर के प्रावधान है एनडीपीएस एक्ट में भी सीजर के प्रावधान है. उसमें भी कारवाई की गई है.” 

यूपी पुलिस उन तमाम जगहों पर नजर रखे हुए है जहां ड्रग्स का धंधा फैलने की आशंका है. 25 जून को पुलिस ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कॉलेजों के पास ड्रग्स की सप्लाई करने वाले दो बीटेक पास छात्रों समेत तीन तस्करों को गिरफ्तार किए थे. 24 किलो से ज्‍यादा गांजा बरामद हुआ. पुलिस के मुताबिक, यह व्‍हॉटसएप ग्रुप बनाकर गांजे की सप्लाई करते थे. 

सिर्फ पुलिस कमिश्‍नरेट गौतम बुद्ध नगर की ही बात करें तो नारकोटिक्स सेल बनने के बाद 400 से ज्‍यादा नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया गया है और करोड़ों की ड्रग्स जब्‍त की गई है. ज़ब्त किए गए हैं.

तेलंगाना में स्‍कूली बच्‍चों को निशाना बनाने की कोशिश 

तेलंगाना में नशे के कारोबारी अब स्‍कूली बच्‍चों को निशाना बना रहे हैं. पुलिस के अभियान में यह बात सामने आई है. राज्य पुलिस ने इस साल करीब साढ़े तीन हजार स्कूलों में एंटी-ड्रग कमेटी भी बनाई हैं. राज्य में नशे पर नकेल के लिए पूरी ताकत से ऑपरेशन चलाया जा रहा है.  

चॉकलेट की शक्ल में ये एक ऐसा नशा है, जिसकी लत स्कूली छात्रों को लगाने की कोशिश की जा रही है. हैदराबाद नार्कोटिक्स एनफोर्समेंट विंग ने इस साल के पहले तीन महीने में ही गांजे से भरी 5800 किलो चॉकलेट जब्‍त की है. 

तेलंगाना के 3500 स्कूलों में एंटी-ड्रग्स कमेटी

बच्चों और युवाओं को नशे की लत न लगे, इसके लिए तेलंगाना पुलिस ने करीब 3500 स्कूलों में एंटी-ड्रग्स कमेटी स्‍थापित करने की कोशिश की है. तेलंगाना के उप मुख्‍यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि हम अपने समाज और अपने बच्चों के प्रति समर्पित हैं. वो हमारा भविष्य हैं. हम अपने राज्य में ड्रग्स को नहीं आने देंगे. 

तेलंगाना में छात्रों को ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई के लिए सजग किया जा रहा है. नई सरकार के एजेंडे में साफ है कि ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी. जो भी इस धंधे में शामिल मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 

तेलंगाना स्‍टेट नारकोटिक्‍स ब्‍यूरो के एडीजीपी संदीप शांडिल्‍य ने कहा कि तेलंगाना से हम ड्रग्स का खतरा पूरी तरह खत्‍म करना चाहते हैं. हमारी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है. हम चाहते हैं कि 100 फीसदी दोषियों को सजा मिले. जितने भी बड़े नाम हैं, उन सब पर कार्रवाई होनी चाहिए. अभी सिर्फ 13 प्रतिशत लोगों को ही सजा मिल पाती है और बड़ी मछलियां अक्सर बच जाती हैं. 

5804 गांजा चॉकलेट बरामद, 87 गांजा प्लांट पर कार्रवाई

यह देखा गया है कि ड्रग्स के कारोबारियों के निशाने पर पब, रेस्त्रां से लेकर स्कूल-कॉलेज तक हैं. गरीबों से लेकर सेलिब्रिटीज तक इसे पहुंचाने की कोशिश हो रही है. पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है.  

साल 2024 की ही बात करें तो पहले तीन महीने में 5804 गांजा चॉकलेट बरामद की गईं हैं. 87 गांजा प्लांट पर कार्रवाई हुई है. साथ ही 5.64 किलो हैश ऑयल, 22.3 किलो कोकीन, 251 ग्राम हेरोइन, 166 ग्राम MDMA और 32 LSD टैबलेट जब्‍त की गई हैं.  

तेलंगाना पुलिस को भरोसा है कि बड़ी मात्रा में ड्रग्स की एंट्री राज्य में होना मुश्किल है, लेकिन ये भी सच है कि छोटी-छोटी मात्रा में सप्लाई भी आगे चल कर बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है.  

महाराष्‍ट्र के पुणे में मच गया घमासान 

महाराष्ट्र के एक प्रमुख शहर पुणे के नाइट क्लब में ड्रग्स ले रहे दो युवाओं की तस्वीर वायरल होने के बाद बवाल मच गया. विपक्ष ने ड्रग्स के काले कारोबार पर अंकुश लगा पाने में शिंदे सरकार को असफल बताया तो वहीं सरकार ने गैरकानूनी नाईट क्लबों पर बुलडोजर चलाने शुरू कर दिये. महाराष्ट्र में भी ड्रग्स की समस्या कितनी विकराल होती जा रही है. 

पुणे शहर के किसी पब पर बुलडोजर चल रहा है तो किसी पर हथौड़ा. देर रात तक गुलजार रहने वाली इन जगहों पर फिलहाल सन्नाटा छाया हुआ है. वजह है बीते हफ्ते वायरल एक वीडियो. इस वीडियो में दो शख्स पुणे के फर्गुसन कॉलेज रोड पर स्थित पब Liquid Leisure Lounge में ड्रग्स लेते नजर आ रहे हैं. वीडियो वायरल होते ही बवाल मच गया और पुणे की नाईट लाईफ और ड्रग्स के मेल ने पुणे पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया. एक तो नियमों की अनदेखी कर ये पब देर रात तक चल रहा था और उस पर वहां धड़ल्‍ले से युवा ड्रग्स ले रहे थे. 

पुणे पुलिस के साथ साथ इस मामले ने राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया. इसी पुणे में बीते महीने एक बिल्डर के बेटे ने अपनी आलीशान कार से दो युवा आईटी इंजीनियरों को कुचल कर मार दिया था और सत्ताधारी गठबंधन के एक विधायक पर उसे बचाने का आरोप लगा था. कानून व्यवस्था को लेकर खराब हो रही सरकार की छवि बचाने के लिये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कडी कार्रवाई के आदेश दिये. विधानसभा के मानसून सत्र के ठीक पहले मामला उजागर होने के कारण शिंदे सरकार के लिये स्थिति और भी संवेदनशील हो गई. 

जो दो युवा वीडियो में ड्रग्स लेते नजर आ रहे थे, उनकी गिरफ्तारी हुई. इनमें से एक शख्स मुंबई का रहने वाला आर्किटेक्ट है और दूसरा पुणे के आईटी उद्योग से जुड़ा है. पता चला है कि घटना वाली रात उस पब में देर रात तक पार्टी चल रही थी. इन दो गिरफ्तारियों के अलावा पुणे पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से की गई कार्रवाई में कुल 14 लोग धरे गए. घटना वाली रात उस इलाके में तैनात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से आदेश मिलने के बाद ऐसे पबों और रेस्तरां पर प्रशासन ने तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी जो कि अवैध निर्माण कर रहे थे और जो नियमों की अनदेखी करते पाये गए. 

हाल फिलहाल में मुंबई और पुणे में ड्रग्स पकड़े जाने के आंकड़े इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि ड्रग्स माफिया ने बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों को अपनी चपेट में ले रखा है. 

ड्रग्‍स से जुड़े ये मामले बढ़ा रहे हैं चिंता 

इसी साल फरवरी में पुणे पुलिस ने छापा मारकर पास के दौड़ इलाके से मेफेड्रोन नाम के ड्रग्स की एक फैक्‍ट्री का पर्दाफाश किया. यह फैक्‍ट्री एक केमिकल निर्माण की युनिट में चल रही थी. यहां से पुलिस ने 1836 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद की, जिसकी कीमत पौने चार हजार करोड़ रुपये की है. 

इसी साल मई महीने के मुंबई पुलिस के आंकड़े भी चिंता पैदा करते हैं. मुंबई पुलिस ने हेरोईन के 18, चरस के 25, कोकेन के 10, गांजे के 351, मेफेड्रोन के 126 और अन्य प्रकार के ड्रग्स के 40 मामले पकड़े. नारकोटिक्‍स ड्रग्‍स एंड साइकोट्रोपिक सब्‍सटेंस कानून के तहत सिर्फ एक महीने में ही 3502 मामले दर्ज किए गए. ड्रग्स के साथ पाए गए 686 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि ड्रग्स का सेवन करने वाले 2954 लोग गिरफ्तार हुए. कुल मिलाकर 3640 गिरफ्तारियां हुईं. 

मुंबई, पुणे जैसे शहरों में ड्रग्स का मायाजाल किस हद तक फैला है, यह हकीकत कुमैल मर्चंट ने समझाई. कुमैल जांच एजेंसियों को ड्रग्स कारोबार से जुड़ी जानकारी पहुंचाने का काम करते हैं और इनकी ओर से दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस कई बड़ी कामयाबियां हासिल कर चुकी है. उन्‍होंने कहा कि जितने भी पब चलाने वाले हैं, इवेंट कराने वाले हैं, उनकी मर्जी के बिना ड्रग्स अंदर नहीं जा सकता है.

मुंबई और पुणे जैसे शहरों में 1 ग्राम मेफेड्रोन 1,000 से 3,000 रूपये में, कोकेन 3,000 से 15,000 रूपये में और मोरफिन की गोली 1200 से 4,000 रूपये में मिलती है. 

घरों के भीतर ही पैदा किया जा रहा है ड्रग्‍स 

पहले ड्रग्स की बड़े पैमाने  पैमाने पर तस्करी हुआ करती थी, लेकिन अब ड्रग्‍स घरों के भीतर भी पैदा किया जा रहा है. नशेड़ियों के बीच मेफेड्रोन नाम का ड्रग्स काफी लोकप्रिय है. इसे एमडी, मम्मी-डैडी और कैट्स आई भी कहते हैं. यह बाकी ड्रग्स के मुकाबले सस्ता भी है और बड़ी आसानी से मिल जाता है. पुणे मामले में गिरफ्तार दोनों लोगों पर आरोप है कि वे भी एमडी ड्रग्स का सेवन कर रहे थे.

मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक रह चुके समीर वानखेड़े ने बताया कि मेट्रोपॉलिटन सिटीज में मेफेड्रोन का सबसे ज्‍यादा प्रचलन है. इसकी वजह है कि इसे पुअर मैन कोकेन कहा जाता है. सस्‍ता होने के कारण कॉलेज के युवक-युवतियां जो पब्‍स और बार या डिस्‍को में जाते हैं, उनके लिए यह अफोर्डेबल होता है. मेफेड्रोन को एमडी या मियो मियो भी कहते हैं. 

अपने कार्यकाल में वानखेडे चिंकू पठान समेत कई ड्रग्स के सौदागरों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुके हैं. उनसे पूछताछ में पता चला कि ये लगातार अपने काले कारोबार के तौर तरीके बदलते रहते हैं. वानखेडे के मुताबिक, ड्रग्स माफिया पबों और नाइट क्लबों में अपना माल बेचने के लिये महिलाओं का भी खूब इस्तेमाल करते हैं. 

ड्रग्‍स के लिए इसलिए उठाया जाता है इतना रिस्‍क 

वानखेड़े ने कहा कि इसमें मैन्युफैक्चरिंग रेट और इंटरनेशनल मार्केट वैल्यू या फिर स्ट्रीट वैल्यूज में काफी अंतर होता है. यह अंतर लाखों-करोड़ों में होता है. मैन्युफैक्चरिंग प्राइस और सेलिंग प्राइस में इतना अंतर होता है तो लोग रिस्क भी उठाते हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चकमा देने की भी कोशिश करते हैं और सिस्टम के लूप होल्स का फायदा उठाने की भी कोशिश करते हैं. 

जाहिर है कि ड्रग्स का मकड़जाल फैलने से अपराध बढ़ते हैं और कई तरह की सामाजिक समस्याएं पैदा होतीं है, लेकिन जिस शख्स को ड्रग्स के नशे की लत लग जाए उसका क्या हश्र क्‍या होता है. इसे लेकर कुमैल ने अलग-अलग ड्रग्‍स के अलग-अलग प्रभावों के बारे में बताया. उन्‍होंने बताया कि ड्रग्‍स का नशा करने वाले कुछ लोग अपनी ही धुन में चले जाते हैं और उन्‍हें यह पता ही नहीं होता है कि उनके पास में कौन है. वहीं कुछ ड्रग्‍स का सेवन करने के बाद आदमी 10-15 घंटे तक लगातार नाचता रहता है. 

जानकारों का मानना है कि जागरूकता और सरकारी एजेंसियों के कानून पर सख्ती से अमल किये जाने पर ही इस समस्या से निपटा जा सकता है. 

AI का सहारा लेने जा रही है महाराष्‍ट्र सरकार 

महाराष्ट्र सरकार नियमों की अनदगेखी करने वाले नाइट क्लबों पर नकेल कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सहारा लेने जा रही है. इस तकनीक से न केवल नियम तोड़ने वाले नाइट क्‍लबों पर नजर रखी जा सकेगी बल्कि अपने काम में कोताही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई हो सकेगी.

मुंबई के होटल मालिकों के संगठन ने भी अपने सदस्यों से अपील की है कि वे लालच में पड़कर अपने परिसर का इस्तेमाल ड्रग्‍स के कारोबार के लिये न होने दें और कोई ऐसा काम न करें जिससे कि उन पर जांच एजेंसियों की गाज गिरे. 

ये भी पढ़ें :

* 3 राज्य, 3 फैक्ट्रियां और 325 करोड़ की ड्रग्स… कौन है दाऊद का वो खास गुर्गा, जो शान से चला रहा था ड्रग्स कारोबार?
* तम्बाकू छोड़ने के लिए दवाओं और बिहेवियर थेरेपी सबसे ज्यादा प्रभावी : डब्ल्यूएचओ
* कैसे होती है ड्रग्स की ख़रीद-फरोख्त? ड्रग्स के जाल पर NDTV की पड़ताल


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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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