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देवेंद्र फडणवीस को तीसरी बार क्यों मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी? जानें वो 7 कारण
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मुंबई :
Devendra Fadnavis 3.0: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने तीसरी बार शपथ ग्रहण की है. इसके बाद बीजेपी के अगले मुख्यमंत्री की पसंद को लेकर पिछले 12 दिनों से चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया. फडणवीस के समर्थकों को डर था कि अगर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व अगर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर कोई गैर-लोकप्रिय नेता चुनता तो फडणवीस मौका गंवा सकते थे. हालांकि यह संशय उस वक्त दूर हो गया जब मंगलवार को उन्हें विधायी दल का नेता चुना गया.
भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने का मौका क्यों दिया? आइए जानते हैं वो सात कारण जिन्होंने देवेंद्र फडणवीस को एक बार फिर इस पद तक पहुंचाया.

1. चुनाव में पार्टी को जीत दिलाना
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बीजेपी ने फडणवीस के नेतृत्व में लड़ा. उन्होंने पार्टी के लिए रणनीति बनाई, गठबंधन दलों के साथ सीटों का बंटवारा तय किया और उम्मीदवारों का चयन किया. लोकसभा चुनावों में मराठा आंदोलन और किसानों के गुस्से के कारण खराब प्रदर्शन के बावजूद फडणवीस पार्टी को जीत की ओर ले गए.
2. राजनीतिक विरोधियों को कमजोर करना
फडणवीस ने खुलकर स्वीकार किया है कि उन्होंने महाराष्ट्र में बीजेपी के दो बड़े राजनीतिक विरोधियों शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने में भूमिका निभाई. दोनों पार्टियों में बगावत हुई, जो उनके समर्थन से हुई थी. शिवसेना और एनसीपी के अलग हुए गुट 2022 और 2023 में सरकार में शामिल हुए. खासकर फडणवीस ने 2022 में एकनाथ शिंदे को अपने पक्ष में लाकर बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई.

3. आरएसएस का मजबूत समर्थन
फडणवीस को बीजेपी के वैचारिक संगठन आरएसएस का मजबूत समर्थन प्राप्त है. उन्होंने आरएसएस द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ाई की और वहीं से सार्वजनिक जीवन में कदम रखा. लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से आरएसएस नाराज था. हालांकि फडणवीस ने शीर्ष आरएसएस नेताओं से अपने अच्छे संबंधों का उपयोग किया, जिससे चुनाव प्रचार और मतदान के दिन संगठन का समर्थन मिला. आरएसएस नेतृत्व ने फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन दिया.
4. पार्टी के प्रति फडणवीस की निष्ठा
दो बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद फडणवीस ने 2022 में सत्ता में वापसी के बाद डिप्टी सीएम बनने के लिए सहमति दी. उन्होंने पहले घोषणा की थी कि वह सरकार से बाहर रहेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतिम समय के कॉल पर उन्होंने एकनाथ शिंदे के डिप्टी के रूप में शपथ ली. इस फैसले ने उनकी पार्टी के प्रति वफादारी की छवि को मजबूत किया.

5. बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड
अपने पहले कार्यकाल में फडणवीस ने मोदी के काम करने की शैली अपनाकर बेहतरीन प्रदर्शन किया. समृद्धि सुपर हाईवे जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स उनके कार्यकाल में शुरू या पूरे हुए. उन्होंने मराठवाड़ा में सूखे से निपटने के लिए ग्रामीण जलशिवार योजना शुरू की. 2017 में बीएमसी चुनाव में बीजेपी को सिर्फ दो सीटें कम मिली और एमएनएस के समर्थन से मेयर बना सकती थी. हालांकि उद्धव ठाकरे के अनुरोध पर फडणवीस ने पीछे हटना चुना.
मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 48 में से 42 सीटें जीतीं. विपक्ष के नेता रहते हुए भी (2019-2022) फडणवीस ने उद्धव सरकार को एंटीलिया केस और अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप जैसे कई मुद्दों पर जमकर घेरा था.

6. मोदी के भरोसेमंद नेता
2014 में फडणवीस को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला था. उस समय “केंद्र में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र” का नारा काफी लोकप्रिय हुआ था. 2017 में यह चर्चा थी कि फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है, लेकिन मोदी से मुलाकात के बाद उनकी स्थिति मजबूत हो गई.
7. महायुति में सबके लिए स्वीकार्य चेहरा
बीजेपी को महाराष्ट्र की त्रिपक्षीय गठबंधन सरकार के लिए एक मजबूत और अनुभवी नेता की जरूरत थी. इस गठबंधन में एकनाथ शिंदे और अजित पवार जैसे बड़े नेता हैं. फडणवीस का दोनों से अच्छा तालमेल है. साथ ही, मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल का नेतृत्व करना होता है, जहां वरिष्ठ नेता शामिल हैं. ऐसे में किसी जूनियर नेता को यह जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती थी.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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