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डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस? किसके पास जाएगा सुपर पावर, US इलेक्शन 2024 के 10 अपडेट
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वॉशिंगटन:
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में सबसे ताकतवर नेता या राष्ट्रपति को चुनने के लिए मंगलवार को वोटिंग चल रही है. 47वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अमेरिकी समय के हिसाब से सुबह 6 बजे (भारतीय समय के हिसाब से शाम 4:30 बजे) वोटिंग शुरू हुई. अमेरिका में वोटिंग रात 8 बजे (भारतीय समय के हिसाब से 6 नवंबर की सुबह 6:30 बजे) तक चलेगी. राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से भारतवंशी कमला हैरिस (Kamala Harris) मैदान में हैं. कमला हैरिस अभी जो बाइडेन (Joe Biden) की सरकार में उप-राष्ट्रपति हैं. जबकि डोनाल्ड ट्रंप, बाइडेन से पहले राष्ट्रपति रह चुके हैं.
रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए जेडी वेंस (JD Vance) मैदान में हैं. जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) ने टिम वॉल्ज़ (Tim Walz) को उपराष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बनाया है. इसके साथ ही कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लेटेस्ट अपडेट:-
- अमेरिकी न्यूज चैनल CNN के मुताबिक, इस चुनाव में करीब 8.2 करोड़ यानी 40% वोटर्स पहले ही पोस्टल वोटिंग के जरिए वोट कर चुके हैं. वोटिंग खत्म होने के बाद काउंटिंग शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही एग्जिट पोल के नतीजे भी आने लगेंगे. जबकि फाइनल रिजल्ट आने में एक या दो दिन लग सकते हैं.
- अमेरिका के 50 राज्यों और राजधानी वॉशिंगटन डीसी में कुल 538 इलेक्टोरेल वोट्स यानी सीटें हैं. इस चुनाव में कुल 7 स्विंग स्टेट्स हैं. यानी ये राज्य कभी भी किसी के पक्ष में भी बाजी पलट सकते हैं. रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी का सबसे ज्यादा जोर इन्हीं राज्यों पर है. अकेले स्विंग स्टेट में ही 93 सीटें हैं. अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस को 270 सीटें जीतना जरूरी है.
- न्यू हैम्पशायर के डिक्सविल नॉच में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों प्रमुख उम्मीदवारों को बराबर-बराबर वोट्स मिले हैं. दोनों को 3-3 वोट मिले. डिक्सविल नॉच में रात को वोटिंग शुरू हुई थी. यहां पर सिर्फ 6 वोट डाले गए. वोटिंग शुरू होने के 12 मिनट बाद ही चुनाव परिणाम आ गए. अमेरिका में चुनावी नियमों के तहत 100 से कम आबादी वाले क्षेत्रों में आधीरात को पोलिंग शुरू कर दी जाती है.
- राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा में वोट डाला है. वोटिंग के बाद उन्होंने अपनी जीत को लेकर भरोसा जताया. ट्रंप ने कहा- “मैंने बहुत अच्छी कैंपेनिंग की. अगर वो बैलेट पेपर का इस्तेमाल करेंगे, तो यह सब शाम 10 बजे तक (US समयानुसार) पूरा हो जाएगा. चुनाव नतीजों को कुछ राज्यों में प्रमाणित करने में काफी समय लगेगा. निश्चित तौर पर हमारी जीत पक्की है.”
- अमेरिकी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन डोनाल्ड ट्रंप ने स्विंग स्टेट्स नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और मिशिगन में रैलियां कीं. वहीं, कमला हैरिस ने पेंसिल्वेनिया के फिलाडेलफिया और पिट्सबर्ग में अपनी आखिरी रैली की. दोनों उम्मीदवार स्विंग स्टेट्स में डेरा जमाए हुए हैं.
- सभी राज्यों में वोटिंग की टाइमिंग अलग है. एक बार सभी राज्यों में वोटिंग खत्म हो जाने के बाद वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. अमेरिका में काउंटिंग का प्रोसेस भी अलग है. उम्मीदवारों के बीच वोटों का अंतर ज्यादा होने से नतीजे जल्द आ जाते हैं. लेकिन अगर किसी राज्य में दोनों उम्मीदवारों के बीच 50 हजार से अधिक वोटों का अंतर है और गिनती करने के लिए सिर्फ 20 हजार वोट ही बचे हैं, तो आगे चल रहे उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर दिया जाता है. इससे नतीजे जल्द आने में मदद मिलती है.
- अगर दोनों के बीच जीत का अंतर कम रहता है, तो अमेरिकी कानून के मुताबिक नतीजों को पुख्ता करने के लिए दोबारा गिनती की जाएगी. अमेरिका के संविधान के हिसाब से टाई होने की स्थिति में फैसला कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद के हाथ में चला जाएगा. खासतौर पर कांग्रेस में चुने गए नए प्रतिनिधि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनेंगे. पिछला कंटिनजेंसी इलेक्शन 1800 में हुआ था. इस समय थॉमस जेफरसन और जॉन एडम्स में टाई हुआ था.
- एक तरफ जहां कांग्रेस या हाउस राष्ट्रपति को चुनता है. वहीं, सीनेट उपराष्ट्रपति का चुनाव करता है. हर सिनेटर के पास एक मताधिकार होता है और जो यहां पर जीतता है वह उपराष्ट्रपति बन जाता है. रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जेडी वेंस ने ओहायो के सिनसिनाटी में मंगलवार सुबह वोट डाला. वेंस ने कहा कि वे जीत की उम्मीद कर रहे हैं.
- अमेरिका में भारतीयों की आबादी करीब 52 लाख है. इनमें करीब 23 लाख वोटर हैं. ये दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह है. ‘स्विंग स्टेट्स’ जैसे पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलिना, जॉर्जिया, मिशिगन में भारतीयों की अच्छी तादात है.
- इसबार US इलेक्शन में मुख्य मुद्दे अर्थव्यवस्था, महंगाई, इमिग्रेशन, अबॉर्शन, हेल्थ केयर, विदेश नीति, बढ़ते अपराध, गन पॉलिसी और लोकतंत्र की रक्षा है. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास के बीच जंग को रोकना भी मुद्दे में शामिल है.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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