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जानें कैसा है लद्दाख में दुर्घटनाग्रस्त हुआ T-72 टैंक, इसे अधिक दमदार बनाने के लिए क्या किए जा रहे प्रयास
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नई दिल्ली:
लद्दाख (Ladakh) में शनिवार को नदी पार करते समय भारतीय सेना का एक टी-72 टैंक (T-72 tank) दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में पांच जवानों की मौत हो गई. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह टैंक प्रशिक्षण मिशन पर था. यह दुर्घटना लेह से 148 किलोमीटर की दूरी पर रात में करीब एक बजे अभ्यास के दौरान हुई. इस हादसे से भारतीय सेना (Indian Army) में पिछले करीब 50 सालों से सेवाएं दे रहे टी-72 टैंक को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
रूसी टैंक टी-72 बहुद दमदार टैंक माना जाता रहा है. इसे सेना में ‘अजेय’ कहा जाता है. हालांकि भारतीय सेना में अब अत्याधुनिक तकनीक वाले नए टैंक शामिल करने की तैयारी चल रही है. इसके साथ टी-72 टैंकों को भी अपग्रेड करने की तैयारी हो रही है.
रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान रूसी टैंकों को बहुत क्षति पहुंची. इससे रूस में निर्मित टैंकों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है. टी-72 टैंक रूस में निर्मित है और कई दशकों से भारतीय सेना का हिस्सा है. सेना के पास 2000 टी-72 टैंक हैं.
सेना में 70 के दशक में शामिल हुआ था टी-72 टैंक
सेना में 70 के दशक में शामिल हुए टी-72 टैंक का वजन 41 हजार किलोग्राम है. इसकी ऊंचाई 2,190 एमएम और चौड़ाई 3,460 एमएम है. टी-72 टैंक सड़क पर आसानी से अधिकतम 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है. कच्चे रास्तों पर भी यह 35 से 45 किलोमीटर की गति से सफर कर सकता है. इस टैंक में 125 एमएम की तोप होती है, जिसकी मारक क्षमता 4,500 मीटर की दूरी तक है.
टी-72 टैंकों को किया जा रहा अपग्रेड
बताया जाता है कि भारतीय सेना अपने टैंकों को अपग्रेड करने और नए टैंक लाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. टी-72 टैंकों को भी अपग्रेड किया जा रहा है. टी-72 में थर्मल साइट, फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सहित अन्य सिस्टम लगाए जा रहे हैं. बताया जाता है कि, रक्षा मंत्रालय ने सेना के बेड़े में शामिल टी-72 टैंकों में 1000 हॉर्सपावर के इंजन लगाने को मंजूरी दे दी है. इन टैंकों में अभी 780 हॉर्सपावर के इंजन लगे हैं. दूसरी तरफ टी-90एस टैंकों में आटोमैटिक टारगेट ट्रैकर, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर और कमांडर थर्मल इमेजर लगाए जा रहे हैं.
सेना में आएंगे अत्याधुनिक फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल
सेना का इरादा इस साल 57,000 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (RFP) जारी करने का है. इसका लक्ष्य सन 2030 की शुरुआत तक पुराने टी-72 टैंकों का स्थान लेने के लिए 1770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (FRCV) का उत्पादन करना है. एफआरसीवी में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI), ड्रोन इंटीग्रेशन और एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगे. यह व्हीकल नेटवर्क-सेंट्रिक इनवायरांमेंट में जमीन और हवा के सभी तत्वों के साथ तालमेल और इंटीग्रेशन करने में सक्षम होगा.
इसके अलावा सेना में अब तक 1200 टी-90एस ‘भीष्म’ टैंक शामिल किए गए हैं. इस साल 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों में से पहले पांच टैंकों को भी सेना में शामिल किया जाएगा. इन टैंकों में मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए 14 बड़े और 57 छोटे अपग्रेड किए गए हैं.
पहाड़ी इलाकों के लिए स्वदेशी हल्के टैंक
प्रोजेक्ट जोरावर के तहत सेना की योजना करीब 17,500 करोड़ रुपये की लागत के 354 स्वदेशी हल्के टैंकों को शामिल करने की भी है. यह टैंक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध के लिए डिजाइन किए गए हैं. इन 25 टन से कम वजन वाले टैंकों की बेहतर मारक क्षमता है और इनमें सुरक्षा भी मजबूत है.
नदी पार करने के दौरान अचानक आई बाढ़ में फंसा टैंक
लद्दाख में बीती रात में हुए हादसे के बारे में सेना के मुताबिक, “28 जून, 2024 की रात में एक सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के सासेर ब्रांगसा के पास श्योक नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से सेना का एक टी-72 टैंक फंस गया. तेज बहाव और अधिक जल स्तर के कारण बचाव अभियान सफल नहीं हो सका और टैंक के चालक दल के सदस्यों की जान चली गई. भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में अभियानगत तैनाती के दौरान पांच बहादुर जवानों की मौत की घटना पर खेद व्यक्त करती है.”
बताया जाता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दौलत बेग ओडे इलाके में टैंक युद्ध का अभ्यास चल रहा था. इस अभ्यास के दौरान टैंक जिस नदी को पार कर रहे थे, उसमें ऊंचाई वाले इलाके में बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई. एक टैंक बाढ़ में फंस गया और हादसे का शिकार हो गया.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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