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चुने गए 15 पाकिस्तानी, लेकिन सब पर भारी पड़ गए अपने ये 29 हिंदुस्तानी, देखिए लिस्ट
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Indian MP In Britain House Of Commons: ब्रिटेन चुनाव में लेबर पार्टी ने कंजर्वेटिव पार्टी की 14 साल की सत्ता को खत्म कर बागडोर अपने हाथों में ले ली है. कीर स्टार्मर देश के 58वें प्रधानमंत्री बने हैं. हाउस ऑफ कॉमन्स की 650 सीटों में से लेबर पार्टी ने 412, सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने 121, लिबरल डेमोक्रेट्स ने 71, अन्य ने 11, SNP-9, सिन फिन ने 7, रिफॉर्म यूके ने 5, डीयूपी ने 5, ग्रीन (ई&डब्लू) ने 4 और प्लेड सिमरू ने 4 सीटों पर जीत हासिल की है. खास बात यह है कि ब्रिटेन चुनाव में इस बार भारतीयों का दबदबा रहा है. इस साल भारतीय मूल के रिकॉर्ड 29 सांसद चुने गए हैं. जिनमें लेबर पार्टी के 19, कंजर्वेटिव पार्टी के 7, निर्दलीय 2 और एक डेमोक्रेटिक सांसद हैं. वहीं वहीं बात अगर पाकिस्तान की की जाए तो ब्रिटेन चुनाव में पाकिस्तानी मूल के संसदों की संख्या 15 है. मतलब भारतीय यहां भी पाकिस्तानियों पर भारी पड़ते दिखे हैं. पाकिस्तानी सासंदों से भारतीय मूल के 14 सांसद ज्यादा हैं. इस तरह से ब्रिटेन में भी भारतीयों का डंका बजा है.
लेबर पार्टी के भारतीय मूल के सांसदों में 12 चेहरे नए हैं और 6 ने अपनी पिछली सीटों पर ही जीत हासिल की है. वहीं कंजर्वेटिव में 2 नए चेहरे हैं और सुनक समेत पांच टोरी सांसदों ने अपनी सीटें बरकरार रखी हैं. अब हाउस ऑफ कॉमन्स में 29 भारतीय मूल के दिखाई देंगे.
लेबर पार्टी के नए सांसद (भारतीय मूल)
1-बग्गी शंकर: एक सिख सांसद हैं. उन्होंने डर्बी साउथ सीट पर जीत हासिल की है. वह शुरुआत से ही लेबर पार्टी में हैं. उनका जन्म यूके में ही गुआ और वह यहीं पर पले-पढ़े हैं. उनके पिता 1950 के दशक में यूके आए थे और एक फाउंड्री में काम करने लगे. वह रोल्स-रॉयस के लिए काम करते हैं. साथ ही वह लेबर काउंसलर भी हैं. वह 18 जून तक डर्बी सिटी काउंसिल के लेबर नेता थे, लेकिन विपक्षी पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था.

2-गुरिंदर सिंह जोसन: ने 51 साल की उम्र में स्मेथविक की सुरक्षित सीट से जीत हासिल की है. उन्हें साल 2019 में नए साल के सम्मान में “राजनीतिक सेवा के लिए” सीबीई नियुक्त किया गया था. वह गुरु नानक गुरुद्वारा, स्मेथविक के ट्रस्टी भी रहे, जहां पिछले साल अवतार सिंह का अंतिम संस्कार हुआ था.

3-हरप्रीत उप्पल: एक ब्रिटिश सिख सांसद हैं. उन्होंने हडर्सफ़ील्ड सीट पर जीत हासिल की है. इस निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिस करने वाली ये पहली महिला सांसद हैं. उप्पल का जन्म फारटाउन में हुआ था. वह वहीं पर पली-बढ़ी हैं. वह टेक्सटाइव वर्कर लम्बर सिंह उप्पल और उनकी पत्नी सतविंदर की बेटी हैं. उनके पिता 1962 में भारत से यूके आए थे और यहीं बस गए.

4-जस अठवाल: 60 साल के जस अठवाल ने इलफ़र्ड साउथ सुरक्षित सीट से जीत हासिल की है. अठवाल का जन्म पंजाब में एक पंजाबी जाट सिख परिवार में हुआ था. जब वह 7 साल के थे, तभी उनका परिवार इलफ़र्ड में आकर बस गया था. तब से वह यहीं रह रहे हैं.

5-जीवुन संधेर: 33 साल के जीवुन संधेर ने लॉफबोरो सीट से जीत हासिल की है. उनका जन्म ब्रिटेन में हुआ था. उनका उनका परिवार पंजाब के जालंधर के पास से ताल्लुक रखता है. वह एक ब्रिटिश सिख हैं और थिंक टैंक न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन में अर्थशास्त्र टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. वह पहले ट्रेजरी में काम करते थे. उससे पहले वह सोमालीलैंड के वित्त मंत्रालय में अर्थशास्त्री थे, जहां उन्होंने उनकी राष्ट्रीय विकास योजना और बजट का सह-लेखन किया था.

6-कनिष्क नारायण: 34 साल के कनिष्क नारायण ने वेले ऑफ़ ग्लेमोर्गन सीट से जीत हासिल की है. पहले यह सीट कंजर्वेटिव पार्टी के पास थी. वह वेस्टमिंस्टर में वेल्श निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए फर्स्ट एथनिक अल्पसंख्यक सांसद बन गए. उनका जन्म बिहार में हुआ था. 12 साल की उम्र में वह परिवार के साथ वेल्स आकर बस गए. उनकी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड से हुई. वह कैबिनेट कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार और पर्यावरण सचिव के विशेषज्ञ सलाहकार थे. वह एक टेक्नोलॉडी कंसल्टेंट हैं, जिन्होंने जलवायु और फिनटेक स्टार्ट-अप में निवेश किया है.

7-किरिथ एंटविस्टल: किरिथ एंटविस्टल ने बोल्टन नॉर्थ ईस्ट सीट से जीत हासिल की है. वह एक ब्रिटिश पंजाबी हैं. उनका जन्म साउथहॉल में हुआ था. उनके भारत में जन्मे नाना-नानी 1970 के दशक में केन्या से ब्रिटेन चले गए थे. उनके पिता 1980 के दशक में दिल्ली से यूके आकर बस गए थे.

8-सतवीर कौर: सतवीर कौर भी ब्रिटिश सिख सांसद हैं. उन्होंने साउथेम्प्टन टेस्ट से जीत हासिल की है. वह साउथेम्प्टन सिटी काउंसिल की पार्षद और पूर्व लेबर नेता हैं, तब वह इस सीट का नेतृत्व करने वाली पहली एथनिक अल्पसंख्यक सदस्य थीं.

9-वारिंदर जस: वारिंदर जस एक सिख हैं. उन्होंने वॉल्वरहैम्प्टन वेस्ट सीट पर जीत हासिल की है. उन्होंने इस सीट को कंजर्वेटिवो से छीन कर कब्जा जमा लिया है.

10-सोजन जोसेफ: सोजन जोसेफ केरल से ताल्लुक रखते हैं. वह मूल रूप से केरल के कोट्टायम के कैपुझा के रहने वाले हैं, उन्होंने काउंटी के एशफोर्ड क्षेत्र से जीत हासिल की है. उन्होंने 22 साल पहले यूके में रहने आए थे. इस दौरान उन्होंने यहां पर एनएचएस नर्स के रूप में काम किया. बाद में वह लेबर काउंसलर बन गए.

11-सोनिया कुमार: सोनिया कुमार सिख कम्यूनिटी से ताल्लकु रखती हैं. उन्होंने अपने कंजर्वेटिव प्रतिद्वंद्वी मार्को लोंघी को हराकर डुडले सीट से जीत हासिल की है. उन्होंने ब्रिटिश पाकिस्तानी कॉन्टीट्यूएंट को चिट्ठी लिखकर संसद में कश्मीर का प्रतिनिधित्व करने और अपने नाम को रेखांकित करने को लेकर सवाल उठाया था.

12-सुरीना ब्रैकेनरिज: सुरीना ब्रैकेनरिज ने वॉल्वरहैम्प्टन नॉर्थ से जीत हासिल की है.

13-प्रीत कौर गिल: प्रीत कौर गिल ने बर्मिंघम एजबेस्टन सीट पर जीत हासिल की है. उन्होंने सुरक्षित लेबर सीट पर 16,599 वोट हासिल किए . 44.3 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की है. उनका जन्म बर्मिंघम में हुआ था.उनके माता-पिता भारतीय हैं. उनके पिता गुरुनानक गुरुद्वारा, स्थिथविक के प्रजिडेंट रह चुके हैं, जो कि यूके का पहला गुरुद्वारा था.

14-तन्मनजीत सिंह ढेसी: मूल रूप से पंजाब के जालंधर के रहने वाले तनमनजीत सिंह ने स्लोघा सीट से जीत हासिल की है.

15-नवेंदु मिश्रा: नवेंदु मिश्रा ने स्टॉकपोर्ट सीट से जीत हासिल की है. वह मूल रू से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं. उनका ननिहाल गोरखपुर से हैं. उन्होंने ब्रिटेन चुनाव में दूसरी बार जीत हासिल की है.
16-सीमा मल्होत्रा: सीमा मल्होत्रा फेल्थम एंड हेस्टम सीट से लेबर पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की है.
17-वालेरी वैज: मूल रूप से गोवा मूल की रहने वाली वालेरी वाज ने वाल्सॉल और ब्लॉक्सविच सीट से जीक हासिल की है. वह कीथ वाज की बहन हैं.
18-लीसा नंदी: लीसा नंदी ने विगान सीट से भारी वोटों से जीत हासिल की है. उनको कीर स्टार्मर की कैबिनेट में संस्कृति, मीडिया एवं खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
19-नादिया व्हिटोम: नादिया व्हिटोम ने नॉटिंघम ईस्ट से लेबर पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की है. वह समलैंगिक सिख सांसद हैं. उन्होंने इस सीट से दोबारा जीत हासिल की है.
लिव डेम्स
20- मुनीरा विल्सन: मुनीरा विल्सन ने ट्विकेनहैम सीट से एक बार फिर से जीत हासिल की है.

निर्दलीय उम्मीदवार
21-इक़बाल मोहम्मद: इक़बाल मोहम्मद ने के माता-पिता 1960 के दशक में भारत से ब्रिटेन आकर बस गए थे. उन्होंने ड्यूसबरी और बैटले सीट से जीत हासिल की है.
22-शौकत आदम: शौकत आदम ने लीसेस्टर साउथ सीट से जीत हासिल की है. वह 3 साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ मलावी से यूके आ गए थे.
कंजर्वेटिव सांसद (भारतीय मूल)
23-ऋषि सुनक: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे ऋषि सुनक भले ही आम चुनाव हार गे हों लेकिन वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने रिचमंड एंड नॉर्थएलर्टन सीट से
47.5 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की है.

24-सुएला ब्रेवरमैन: सुएला ब्रेवरमैन ने कंजर्वेटिक पार्टी के टिकट पर फेयरहम और वाटरलूविले सीट से जीत हासिल की है. लेकिन अपनी पार्टी की हार पर उन्होंने देश की जनता से माफी मांगते हुए कहा क् हम अपने वादे पूरे नहीं कर सके.

25-प्रीति पटेल: प्रीति पटेल ने कंजर्वेटिव पार्टी के टिकट पर विथम इन एसेक्स सीट से जीत हासिल की है.

26-गगन मोहिंद्रा: गगन मोहिंद्रा ने साउथ वेस्ट हर्टफोर्डशायर सीट पर जीत हासिल की है.
27-शिवानी रजा: ने लीसेस्टर ईस्ट निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है.
28-नील शास्त्री-हर्स्ट : नील ने इंग्लैंड के सोलिहुड और सिर्ले सीट से जीत हासिल की है. वह मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता का जन्म वडोदरा में हुआ था लेकिन वह 1970 के दशक में यूके आ गए थे.यहां उन्होंने एक ब्रिटिश महिला से शादी कर ली. नील का जन्म भी यूके में ही हुआ था.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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