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गाजा की बर्बादी, हमास-हिज्बुल्लाह के खात्मे के बाद क्या महफूज हो जाएगा इजरायल? 3 डेप्लोमेट्स ने समझाया
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नई दिल्ली/यरूशलम/गाजा:
इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच एक साल से भी ज्यादा वक्त से चल रहे युद्ध में गाजा पट्टी (Gaza Strip) पूरी तरह से तबाह हो गई है. वहां एक विशाल बस्ती थी, जो अब मलबे में तब्दील हो चुकी है. इजरायल के मुताबिक, हमास खत्म हो चुका है. हमास तो फिर भी इजरायल (Israel-Hamas War) पर हमले का ज़िम्मेदार था, लेकिन इजरायल ने लेबनान के मिलिशिया ग्रुप हिज्बुल्लाह को भी टारगेट किया. इजरायली सेना (IDF) के हमलों से हिज्बुल्लाह की पूरी लीडरशिप खत्म हो गई है. यही नहीं, इजरायल ने ईरान के खिलाफ भी मोर्चा खोला. हालांकि, हजारों लोगों की मौत और लाखों लोगों को बेघर करके भी इजरायल सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है. उसका कहना है कि जब तक वह पूरी तरह सुरक्षित नहीं होगा, ये हमले होते रहेंगे. भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत टिम रोमर ने भी यही बात दोहराई. समिट में आए अन्य डेप्लोमेट की भी ऐसी ही राय थी.
NDTV वर्ल्ड समिट में आए दिग्गज और वर्ल्ड लीडर इस बात को रेखांकित करते रहें कि युद्ध रुकना चाहिए, लेकिन रुक नहीं रहा. इजरायल अपनी सुरक्षा के नाम पर इस युद्ध को जारी रखे हुए है. 21 और 22 अक्टूबर को नई दिल्ली में हुए NDTV वर्ल्ड समिट 2024 में भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा, “जाहिर है, इतनी तबाही और बर्बादी के बीच भी इजरायल खुद को सुरक्षित क्यों महसूस नहीं कर रहा? क्या ये सारी तबाही इजरायल में अलोकप्रिय हो रहे बेंजामिन नेतन्याहू ने बस अपनी कुर्सी बचाने और मज़बूत करने के लिए की?”
इजरायल और हिजबुल्लाह कौन किस पर पड़ रहा भारी, कहां जा रही लड़ाई
हमास-हिज्बुल्लाह को खत्म कर क्या सेफ हो जाएगा इजरायल?
इस सवाल पर टिम रोमर कहते हैं, “सच्चाई ये है कि आप हमास, हिज्बुल्लाह को खत्म कर दें. लेबनान और गाज़ा को तबाह कर दें. स्थायी शांति की सोचें, तो उससे हल नहीं निकलेगा. दुनिया भर का अनुभव है कि ऐसे टूटे-बिखरे संगठन फिर छापामार लड़ाइयों की शरण लेते हैं और मुल्कों को तबाह करते हैं. तो क्या ये युद्ध इज़रायल को कुछ और सुरक्षित रखेगा या उसे और अकेला छोड़ देगा? जाहिर तौर पर हमास और हिज्बुल्लाह को खत्म करके भी इजरायल सेफ नहीं हो सकता.”
क्या भारत जंग रोकने में कर सकता है मदद?
इस सवाल पर पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने कहा, “भारत विशेष रूप से क्या कर सकता है? मुझे नहीं लगता कि वो इस समय मध्यस्थ है. मुझे लगता है कि वे संयोजक हैं. PM नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करें कि जब वो ईरानियों से मिले, तो इजरायल के साथ तनाव कम करने का प्रयास करे. जब वो इजराइल से मिले, तो वो ये भी कह सके कि हम ईरान के साथ तनाव कैसे कम कर सकते हैं. मुझे नहीं लगता कि इजरायल अभी ऐसी स्थिति में है, जहां वो पीछे हटने वाला है और वो युद्ध विराम के लिए सहमत होने वाला है.”
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हमास ने चुकाई बहुत बड़ी कीमत
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कहते हैं, “हमास और हिज्बुल्लाह की तबाही के बाद भी इजरायल पहले से ज़्यादा असुरक्षित रहेगा. क्षेत्र में इजरायल ने अपने मिलिट्री ऑपरेशन तेज कर दिए हैं. अगर आप गाजा को देखें, तो जाहिर तौर पर वहां इजरायल ने हमास को नुकसान पहुंचाया है. हमास को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. वहां, करीब 43 हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं.”
ईरान ने बनाई इजरायल के 10 लीडर की हिट लिस्ट
बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने बाकायदा 10 नेताओं की हिट लिस्ट जारी की है. इसमें इजरायल के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम सेनाओं के अध्यक्ष और सलाहकार शामिल हैं:-
-ईरान की हिट लिस्ट में इजरायल के PM बेंजामिन नेतन्याहू हैं, जो हमास के खात्मे तक जंग रोकने को तैयार नहीं हैं.
-लिस्ट में दूसरा नंबर इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट का हैं. इन्होंने एक साल से चल रहे युद्ध की योजना से लेकर रणनीति तक तैयार की है.
-तीसरे नंबर पर इजरायली सेना प्रमुख हेरज़ी हालेवी हैं. इन्होंने कहा था कि हमास की मदद करने पर हिज्बुल्लाह को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
-चौथा नंबर इजरायल के वायुसेना कमांडर तोमेर बार का है. इन्होंने हमास के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑर्चर्ड’ को अंजाम दिया था.
-लिस्ट में पांचवां नाम इजरायल के नौसेना कमांडर सलामा का है. हमास के गोताखोरों को रोकने में इन्होंने स्क्वाड्रन 916 में अहम भूमिका निभाई.
-छठा नंबर थल सेना प्रमुख तामिर यादई का है. ये IDF के ग्राउंड फोर्सेज कमांड की कमान संभालते हैं.
-ईरान की हिट लिस्ट में सातवां नाम इजरायल के डिप्टी चीफ जनरल स्टाफ आमिर बाराम का है. दक्षिण लेबनान में जवाबी गुरिल्ला अभियानों में ब्रिगेड की टोही कंपनी का नेतृत्व इन्हीं ने किया था.
-सैन्य खुफिया महकमा के चीफ आहरोन हालिवा लिस्ट में आठवें नंबर पर हैं. 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास हमले की विफलताओं के बाद इस्तीफा दे दिया था.
-लिस्ट में नौवें नंबर पर ओरी गॉर्डिन का नाम है, जो उत्तरी कमान के प्रमुख हैं.
-10वें नंबर पर एलाइज़र तोलेदानो हैं, जो दक्षिणी कमान के प्रमुख हैं.
हिजबुल्लाह की इस ताकत ने उड़ा दिए हैं इजरायल के होश
आइए इजरायल के हमलों में मारे गए हमास और हिज्बुल्लाह कमांडरों की लिस्ट पर एक नज़र डालते हैं:-
हमास के मारे गए कमांडरों की लिस्ट
1. याह्या सिनवार
इस्माइल हानिया की मौत के बाद हमास की टॉप लीडरशिप में सिर्फ सिनवार ही बचा था. इसे गुरुवार को IDF ने मार गिराया. IDF को सेंट्रल गाजा की एक बिल्डिंग में हमास के 3 लड़ाके होने की सूचना मिली थी. इसके बाद एक रूटीन ऑपरेशन में उस पर स्ट्राइक की गई थी. मरने वालों के शव को देखा गया तो उनमें एक याह्या सिनवार का था.
याह्या सिनवार को ‘खान यूनिस का कसाई’ भी कहा जाता है. अमेरिका ने 2015 में उसे आतंकी घोषित किया था. सिनवार को ईरान का करीबी माना जाता है. ऐसी कई रिपोर्ट हैं, जिसमें दावा किया गया है कि ईरान उसे फंडिंग और प्रोटेक्शन देता है.
2. मोहम्मद दाएफ
इजराइल की मिलिट्री ने इससे पहले गाजा में हमास के ठिकानों पर हमले किए थे. गाजा के खान यूनिस इलाके में 13 जुलाई को ये हमले किए गए. इस दौरान हमास के टॉप कमांडर मोहम्मद दाएफ की मौत हो गई थी. इजरायल ने इससे पहले दाएफ को मारने की 7 बार कोशिश की थी.
मोहम्मद दाएफ को 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए रॉकेट हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था. इस दिन हमास ने गाजा की जमीन से इजरायल की तरफ कम से कम 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इन हमलों के बाद गाजा में जंग शुरू हो गई थी. हालांकि, हमास ने अब तक दाएफ की मौत की पुष्टि नहीं की है.
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3. इस्माइल हानिया
हमास चीफ इस्माइल हानिया की 31 जुलाई को ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई थी. वो ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में शामिल होने गए थे. समारोह के बाद हानिया तेहरान के अति सुरक्षा वाले सैन्य परिसर में रुके थे. रात में सोते समय उन्हें निशाना बनाया गया. ईरान ने इस हत्या का आरोप इजरायल पर लगाया था. हालांकि, इजरायल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
4. सालेह अल-अरौरी
2 जनवरी 2024 को बेरूत के दक्षिणी इलाके दहियाह पर एक इजरायली ड्रोन हमले में हमास के डिप्टी चीफ सालेह अल-अरौरी की मौत हो गई थी. अरौरी हमास के आर्मी विंग क़सम ब्रिगेड के संस्थापक भी थे.
हिज्बुल्लाह के मारे गए कमांडरों की लिस्ट
1. इब्राहिम कुबैसी
लेबनान के दो सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, 24 सितंबर को बेरूत के दक्षिणी इलाकों में इजरायल के किए गए हवाई हमलों में हिज्बुल्लाह के रॉकेट डिवीजन के कमांडर इब्राहिम कुबैसी की मौत हो गई.
2. इब्राहिम अकील
इजरायल ने 20 सितंबर को बेरूत के दक्षिण हिस्से में एयर स्ट्राइक की थी. इसमें हिज्बुल्लाह के ऑपरेशंस कमांडर इब्राहिम अकील की मौत हो गई. अकील हिज्बुल्लाह के टॉप मिलिट्री बॉडी जिहाद काउंसिल का मेंबर भी था.
अमेरिका ने इब्राहिम अकील को अप्रैल 1983 में बेरूत स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए ट्रक बम विस्फोट का संदिग्ध बताया था. इस विस्फोट में 63 लोग मारे गए थे. जबकि उसके छह महीने बाद अमेरिकी मरीन बैरक में हुए बम विस्फोट में 241 लोग मारे गए.
3. फउद शुकर
हिज्बुल्लाह के चीफ कमांडर फउद शुकर की 30 जुलाई को मौत हो गई थी. इजरायल ने बेरूत के दक्षिणी भाग में एयर स्ट्राइक की थी. इसी दौरान शुकर की भी मौत हो गई. शुकर हिज्बुल्लाह चीफ सयैद हसन नसरल्लाह का राइट हैंड बताया जाता था. फउद शुकर 4 दशक से भी ज्यादा समय तक हिज्बुल्लाह के प्रमुख चेहरों में शामिल रहा था.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2015 में फउद शुकर पर बैन लगा दिया था. वह 1983 में बेरूत में अमेरिकी मरीन बैरक पर बमबारी का प्रमुख संदिग्ध था. इस हमलों में 241 अमेरिकी सैन्यकर्मियों की मौत हो गई थी. फउद शुकर को 2019 में अमेरिका ने इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित किया था. उसके बारे में जानकारी देने पर अमेरिका ने 5 मिलियन डॉलर (करीब 42 करोड़) का इनाम रखा था.
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4. मोहम्मद नासिर
हिज्बुल्लाह के कमांडर मोहम्मद नासिर की 3 जुलाई को हुए हवाई हमलों में मौत हो गई थी. दक्षिण पश्चिम लेबनान में हुए इन हमलों की इजरायल ने जिम्मेदारी ली थी. नासिर हिज्बुल्लाह का सीनियर कमांडर था. वो फ्रंटियर में हिज्बुल्लाह के सारे ऑपरेशंस की देखरेख करता था.
5. तलेब अबदल्लाह
हिज्बुल्लाह के सीनियर फील्ड कमांडर तलेब अबदल्लाह की 12 जून को हुए हवाई हमलों में मौत हो गई थी. इन हमलों की जिम्मेदारी इजरायल ने ली थी. इजरायल ने बताया था कि उसके सैनिकों ने दक्षिणी लेबनान में कमांड और कंट्रोल सेंटर पर हमले किए थे.
लेबनान में सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि अबदल्लाह दक्षिणी सीमा पट्टी के मध्य क्षेत्र के लिए हिजबुल्लाह का कमांडर था. उसकी रैंक नासिर के बराबर थी.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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