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कांग्रेस के शासन में कुछ लोग ATM की तरह करते थे PSBs का इस्तेमाल: राहुल गांधी को सीतारमण का जवाब
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नई दिल्ली:
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन के दौरान कुछ लोग सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस्तेमाल एटीएम की तरह करते थे. साथ ही कहा कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उल्लेखनीय बदलाव देखा है. राहुल गांधी के आरोपों पर आंकड़ों के साथ पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने आधारहीन बयान देने की प्रवृत्ति का एक बार फिर प्रदर्शन किया है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने X अकाउंट से पोस्ट लिखा, “लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आधारहीन बयान देने की प्रवृत्ति चरम पर है. उन्होंने भारत के बैंकिंग क्षेत्र खास तौर पर पब्लिक सेक्टर बैंकों को लेकर झूठे दावे किए हैं. सच्चाई तो ये है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने पीएमओ इंडिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उल्लेखनीय बदलाव देखा है.” सीतारमण ने पूछा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि यूपीए कार्यकाल के दौरान कॉर्पोरेट क्रेडिट की ऊंची दर और बेहिसाब लोन की वजह से पीएसबी की हालत में गिरावट आई है? कांग्रेस के शासन में पब्लिक सेक्टर बैंकों का इस्तेमाल कुछ संदिग्ध बिजनेसमैन ATM की तरह करते थे.”
Leader of the Opposition (LoP) @RahulGandhi‘s penchant for making baseless statements is on full display, yet again.
India’s banking sector, especially Public Sector Banks (PSBs), have seen a remarkable turnaround under @PMOIndia @narendramodiDidn’t the people who met with the…
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) December 11, 2024
करीबियों को ऋण देने के लिए मजबूर किया : सीतारमण
उन्होंने कहा, “यह वास्तव में यूपीए शासन के दौरान था. तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के अधिकारियों ने बैंक कर्मचारियों को परेशान किया. उन्हें फोन बैंकिंग के जरिए अपने दोस्तों-करीबियों को लोन देने के लिए मजबूर किया गया.”
वित्त मंत्री ने पूछा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें नहीं बताया कि हमारी सरकार ने 2015 में यूपीए सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ प्रथाओं का खुलासा करते हुए संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा शुरू की थी? मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में ‘4R’ रणनीति और अन्य सुधारों की शुरुआत की है.”
साथ ही पूछा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि पिछले 10 सालों के दौरान पीएसबी को 3.26 लाख करोड़ रुपये के रि-कैपिटलाइजेशन के जरिए समर्थन दिया गया था?”
प्रॉफिट सिर्फ भारत सरकार के लिए नहीं : सीतारमण
अपने पोस्ट में सीतारमण ने कहा कि पीएसबी में जनता की भी हिस्सेदारी है. प्रॉफिट सिर्फ भारत सरकार के लिए नहीं है, बल्कि निवेशकों के लिए भी ये इनकाम का सोर्स है.
वित्त मंत्री ने कहा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें नहीं बताया कि यूपीए शासन के दौरान इन पीएसबी ने 56534 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था? नागरिक केंद्रित शासन और समावेशी विकास मोदी सरकार का मूल सिद्धांत है.”
आंकड़ों के जरिए राहुल गांधी को घेरा
सीतारमण ने कहा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि प्रमुख वित्तीय समावेशन योजनाओं (पीएम मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, पीएम-स्वनिधि, पीएम विश्वकर्मा) के तहत 54 करोड़ जन धन खाते और 52 करोड़ से अधिक कॉलेटरल-फ्री लोन स्वीकृत किए गए हैं? क्या विपक्ष के नेता से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि पीएम मुद्रा योजना के तहत 68 फीसदी और पीएम-स्वनिधि योजना के तहत 44 फीसदी लाभार्थी महिलाएं हैं. यह मोदी सरकार के दर्शन ‘अंत्योदय’ का प्रमाण है.”
साथ ही कहा, “क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि 10 साल में 10 लाख रुपये तक के त्रण देने में 238 फीसदी की बढोतरी हुई है? और कुल ऋण में उसकी हिस्सेदारी 19 से बढ़कर 23 फीसदी हो गई है? ऐसे ही क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि 50 लाख रुपये से ज्यादा के लोन भी 300 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं. पिछले 10 सालों में उनकी हिस्सेदारी 28 फीसदी से बढ़कर के 42 फीसदी हो गई है?”
मेहनती कर्मचारियों का अपमान : वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मेहनती कर्मचारियों और उन नागरिकों का अपमान किया है जो एक साफ-सुथरी, मजबूत बैंकिंग प्रणाली से लाभान्वित होते हैं. अब समय आ गया है कि कांग्रेस विपक्ष के नेता की शासन के बारे में समझ को बढ़ाने का काम करे.”
उन्होंने रोजगार सृजन के संबंध में कहा, ‘‘सरकार ने सार्वजनिक बैंकों समेत केंद्र सरकार के सभी विभागों में लाखों रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्ति अभियान और रोजगार मेले की पहल की है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2014 के बाद से 3.94 लाख कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है.”
सीतारमण ने कहा कि अक्टूबर 2024 तक, 96.61 प्रतिशत अधिकारी और 96.67 प्रतिशत अधीनस्थ कर्मचारी पदों पर हैं. बैंकों में बहुत कम पद खाली हैं और उन्हें भी भरने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि महिलाएं बैंकिंग क्षेत्र में प्रबंध निदेशक, सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) और प्रमुख के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता न केवल नीति में बल्कि व्यवहार में भी स्पष्ट है.
उन्होंने कहा, ‘‘वित्तीय सेवा विभाग के 26 नवंबर, 2024 को सभी बैंकों को जारी किए गए आदेश से साफ पता चलता है कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बैंक महिला कर्मचारियों, उनकी भलाई और चिंताओं का ध्यान रखें.”
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ताकतवर कारोबारी समूहों के लिए ‘निजी फाइनेंसर’ के रूप में तब्दील कर दिया है. उन्होंने बैंकिग क्षेत्र के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद यह आरोप लगाया. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रत्येक भारतीय तक ऋण की सुविधा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था. मोदी सरकार ने जनता की इन जीवनरेखाओं को केवल अमीर और शक्तिशाली समूहों के लिए निजी ‘फाइनेंसर’ में बदल दिया है.”
राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोगों के मुकाबले लाभ को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर किया जा रहा है और इस प्रकार वे प्रभावी ढंग से जनता की सेवा करने में असमर्थ हैं. कर्मचारियों की कमी और कामकाज के खराब माहौल के साथ उनसे समान अवसर के बिना असंभव लक्ष्यों को हासिल करने की उम्मीद की जाती है.”
साथ ही आरोप लगाया कि महिला कर्मचारियों को समान अवसर या पदोन्नति नहीं दी जाती और बैंक कर्मियों को असंतुष्ट जनता के आक्रोश का भी सामना करना पड़ता है.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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