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अब फ्लाइट में मिलेगा मोबाइल इंटरनेट, मस्क के रॉकेट से पहली बार लॉन्च होगा ISRO का सैटेलाइट, जानें GSAT N-2 की खासियतें

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126v5i98_gsat_625x300_17_November_24 अब फ्लाइट में मिलेगा मोबाइल इंटरनेट, मस्क के रॉकेट से पहली बार लॉन्च होगा ISRO का सैटेलाइट, जानें GSAT N-2 की खासियतें


नई दिल्ली:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पहली बार अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क (Elon Musk) के मालिकाना हक वाली स्पेसएक्स (SpaceX) के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से अपना कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है. सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जाना है. इससे दूरदराज के इलाकों में ब्रॉडबैंड सर्विस मिलेगी. साथ ही फ्लाइट में पैसेंजरों को इंटरनेट की सुविधा भी मिल पाएगी.  

भारत की स्पेस एजेंसी ने इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट का नाम GSAT N-2 रखा है. इसे GSAT 20 भी कहा जाता है. GSAT-N2 की मिशन लाइफ 14 साल है. 4700 किलोग्राम वजन वाले इस कमर्शियल सैटेलाइट को अमेरिका के फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में स्पेस कॉम्प्लेक्स 40 से लॉन्च किया जाएगा. इस लॉन्च पैड को SpaceX ने अमेरिका के स्पेस फोर्स से किराए पर लिया है, जो देश के आर्म फोर्स का एक स्पेशल विंग है. इसे 2019 में अपनी स्पेस प्रॉपर्टी को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया था. 

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कितने बजे होगी लॉन्चिंग?
GSAT N-2 की लॉन्चिंग का ट्रांसमिशन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर SpaceX के अकाउंट पर किया जाएगा. लॉन्चिंग का काउंटडाउन सोमवार रात 11.46 बजे शुरू होगा. लिफ्ट-ऑफ मंगलवार सुबह 12.01 बजे शुरू होगी. अगर किसी वजह से लॉन्चिंग में दिक्कत आती है, तो सैटेलाइट की  लॉन्चिंग मंगलवार दोपहर 3.03 बजे होगी. बता दें कि लॉन्च विंडो करीब एक घंटे 50 मिनट की होती है. इसी समय के अंदर लॉन्चिंग पूरी करनी होती है.

सैटेलाइट की लॉन्च से पहले ही भारतीय स्पेस एजेंसी के अधिकारी फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में तैनात हैं. उन्होंने एक डेडिकेटेड लॉन्चिंग की मांग की है. यानी इस लॉन्चिंग में कोई को-सैटेलाइट नहीं होगा. 

GSAT-N2 की खासियतें
-GSAT-20 सैटेलाइट को खासतौर पर दूरदराज के इलाकों में कम्युनिकेशन सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. -यह अनिवार्य रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा देगा. ये सैटेलाइट 48Gpbs की स्पीड से इंटरनेट देगा.

-इस सैटेलाइट से अंडमान-निकोबार आईलैंड, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप सहित दूरदराज के भारतीय क्षेत्रों में कम्युनिकेशन सर्विस मिलेगी. 

-इसमें 32 नैरो स्पॉट बीम होंगे. 8 बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए होंगे, जबकि 24 वाइड बीम बाकी भारत के लिए डेडिकेडेड हैं. इन 32 बीमों को भारतीय भू-भाग के भीतर स्थित हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा. केए बैंड हाई-थू्रपुट कम्युनिकेशन पे-लोड की क्षमता लगभग 48 GB प्रति सेकेंड है. यह देश के दूर-दराज के गांवों को इंटरनेट से जोड़ेगा.

-GSAT-N की 80% कैपेसिटी प्राइवेट कंपनी को बेची जा चुकी है. बाकी 20% भी एयरलाइन और मरीन क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों को बेची जाएगी.

– इस सैटेलाइट से केंद्र की ‘स्मार्ट सिटी’ पहल को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही फ्लाइट में इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने में भी मदद मिलेगी.

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ISRO ने लॉन्चिंग के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट को क्यों चुना?
अभी भारत के रॉकेट्स में 4 टन से ज्यादा भारी सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की क्षमता नहीं है. इसलिए ISRO ने एलन मस्क की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया. इससे पहले ISRO हेवी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए फ्रांस के एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था.

एलन मस्क ने 2002 में स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सर्विस कंपनी SpaceX की स्थापना की थी. ये स्पेस में लिक्विड प्रोपेलेंट रॉकेट भेजने वाली पहली प्राइवेट कंपनी है. स्पेसएक्स ने 2008 में फॉल्कन-1 रॉकेट को लॉन्च किया गया था. 

बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर डॉ. एम. शंकरन ने कहा, “जब यह स्वदेशी सैटेलाइट ऑपरेशन में आ जाएगा, तो यह वर्ल्ड इंटरनेट के मैप पर भारत में मौजूद इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी कमी को दूर कर देगा.” उन्होंने आगे कहा, “यह भारत का सबसे अधिक क्षमता वाला सैटेलाइट है. शायद एकमात्र ऐसा सैटेलाइट है, जो बहुप्रतीक्षित का-बैंड में विशेष रूप से काम करता है.”

फ्लाइट में इंटरनेट के लिए अभी क्या है नियम?
मौजूदा समय में जब इंटरनेशनल फ्लाइट भारत के एयर स्पेस में दाखिल होती हैं, तो उन्हें इंटरनेट बंद करना पड़ता है. क्योंकि भारत इस सेवा की अनुमति नहीं देता है. लेकिन, हाल ही में भारत ने उड़ान के दौरान देश में इंटरनेट की सुविधा देने के लिए नियमों में संशोधन किया है. नए नियमों के अनुसार, 3 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर फ्लाइट के अंदर वाई-फाई सर्विस दी जा सकती हैं. हालांकि, यात्री इस सर्विस का इस्तेमाल तभी कर पाएंगे, जब फ्लाइट में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों के इस्तेमाल की परमिशन होगी.

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फाल्कन रॉकेट के बारे में जानिए
सैटेलाइट लॉन्चिंग के समय 70 मीटर लंबे और करीब 549 टन वजनी एक स्टैंडर्ड फाल्कन 9 B-5 रॉकेट का इस्तेमाल लिफ्ट-ऑफ के लिए किया जाएगा. इसे 2 फेज वाले रॉकेट के रूप में डिज़ाइन किया गया है. रॉकेट जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 8,300 किलोग्राम तक और पृथ्वी की निचली कक्षा में 22,800 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है. फाल्कन 9 एक रियूजेबल रॉकेट है. स्पेसएक्स दावा करता है कि ये रॉकेट अपने बूस्टर के लिए 19वीं उड़ान भरेगा. स्टेज सेपारेशन के बाद यह  ड्रोन शिप पर उतरेगा और बाद में अटलांटिक महासागर में तैनात होगा.”

कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी ने बताया कि एक बार ऑर्बिट में स्थापित हो जाने के बाद यह सैटेलाइट पर कंट्रोल ले लेगा. फिर ये रॉकेट सैटेलाइट को भारत से 36,000 किलोमीटर ऊपर अपने डेस्टिनेशन तक ले जाएगा. अब तक फाल्कन 9,395 लॉन्चों का हिस्सा रह चुका है. इनमें से इसे सिर्फ 4 में नाकामी मिली है. बाकी मिशनों में यह 99% की उल्लेखनीय सफलता दर हासिल कर चुका है. 

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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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mpojkr1k_court-generic-fourt-files-generic-files-in-court-pixabay_625x300_11_October_22 न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.

यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.

ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.

शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)

यह भी पढ़ें –

इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

महाभियोग से कैसे हटाए जाते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, अब तक कितने प्रयास हुए हैं सफल 



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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल

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240lhlho_nitish-kumar_625x300_30_August_24 अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल


पटना:

 विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.

राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.

अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है. कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.

साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”

उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है. साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.

मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था. उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं.

बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.

मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.

राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”

बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.

इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO

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a7l2srbg_dehradun_625x300_12_December_24 काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स... देखिए हैरान करने वाला VIDEO


नई दिल्ली:

देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.

स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.

इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.

स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.

कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.

इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.




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