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अतुल सुभाष की क्या है कहानी? जानिए सुसाइड नोट में लिखे टॉर्चर वाली बात पर पत्नी ने क्या कहा, पिता का क्या है दर्द
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Atul Subhash Death: बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है. मूल रूप से यूपी के रहने वाले 34 साल के अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और सास निशा सिंघानिया पर पैसों के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली. यही नहीं उन्होंने फैमिली कोर्ट की जज पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. आखिरी वीडियो में अतुल जो बात कह रहे हैं, वह हिला रहा है. मौत के बात भी इंसाफ न मिलने पर वह अपने अस्थियों को अदालत के पास के नाले में बहा देने की आखिरी इच्छा जाहिर कर रहे हैं. उन्होंने करीब डेढ़ घंटे का वीडियो और 24 पेज का खत लिखकर कहा कि और कोई उपाय नहीं बचा है. अतुल का शव उनके फ्लैट से मिला. उन्होंने अपने वीडियो मैसेज में X (पहले ट्विटर) के मालिक एलन मस्क और अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप को भी टैग किया है.कमरे में Justice is Due लिखी एक तख्ती भी मिली. आखिर पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाला यह मामला क्या है.

पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है. जैसे ही ये मामला सामने आया सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ और #JusticeForAtulSubhash ट्रेंड करने लगा. इस मामले में अतुल सुभाष की पत्नी के परिवार ने मीडिया से बात करने से मना कर दिया, लेकिन इतना कहा कि उन पर लगाए जा रहे सभी आरोप गलत हैं. सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में न्यायपालिका पर ख़त्म हो चुके अपने विश्वास का भी ज़िक्र किया और कहा कि भारत में पुरुषों का लीगल जीनोसाइड हो रहा है यानी क़ानूनी नरसंहार. अतुल की मां ने बेटे को इंसाफ देने की मांग की है.

क्या है मामला?

अतुल सुभाष की अपने परिवार के साथ तस्वीर.
अतुल के भाई विकास सुभाष ने बताया कि अतुल की शादी 2019 में हुई थी. दोनों का दो साल का बेटा है. उसकी पत्नी और उसके पूरे परिवार ने उन्हें कई संगीन झूठे मामलों में फंसाया था. इससे अतुल बहुत परेशान रहने लगे थे. डिप्रेशन की वजह से ही उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. अपने ख़िलाफ़ दायर कई मुकदमों में न्याय का इंतज़ार करते-करते बेंगलुरु के 34 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष इतना टूट गए कि ख़ुदकुशी कर ली. अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के उनके अपार्टमेंट में फंदे से लटका पाया गया. वो वैवाहिक जीवन के व्यक्तिगत तनाव से तो जूझ ही रहे थे, अपने ख़िलाफ़ दायर कई मुकदमों से भी काफ़ी परेशान थे.

अतुल सुभाष ने ख़ुदकुशी से पहले डेढ़ घंटे के एक वीडियो में अपनी ये पूरी व्यथा रिकॉर्ड की है. साथ ही 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने बारीकी से बताया है कि सालों से वो किस मानसिक तनाव से गुज़र रहे थे. थोड़ा हाथ से लिखा और थोड़ा टाइप किया हुआ अतुल सुभाष का ये सुसाइड नोट बता रहा है कि बीते कुछ साल से वो किस तरह की मन:स्थिति से गुज़र रहे थे. उन्होंने विस्तार से हर उस बात का ज़िक्र किया है, जो उनका दिल तोड़ चुकी थी. उन्हें ज़िंदगी से बेज़ार कर चुकी थी. इस सुसाइड नोट में पुलिस में उनकी पत्नी और उनके रिश्तेदारों द्वारा दायर की गई नौ शिकायतों का ज़िक्र है. बताया जाता है कि पत्नी ने अतुल से 3 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था.

सुसाइड नोट की खास बातें
- अतुल सुभाष अपनी पत्नी से काफी समय से अलग रह रहे थे.
- पत्नी ने घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौनाचार के केस उनपर दर्ज कराए थे.
- कोर्ट में चल रहे केस के चलते अतुल का डिप्रेशन लेवल बढ़ गया था.
- सोमवार सुबह अतुल सुभाष की लाश पंखे से लटकती हुई मिली.
- कोर्ट से 120 तारीखें मिलीं, 40 बार अतुल खुद बेंगलुरु से जौनपुर जा चुके थे.
- अतुल के माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे थे.

बच्चे के लिए संदेश
अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में अपने बच्चे के लिए भी मैसेज लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा, ‘जब मैंने पहली बार तुम्हें देखा तो सोचा कि मैं किसी भी दिन तुम्हारे लिए अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन अफ़सोस तुम्हारी वजह से मैं जान दे रहा हूं. मैं बस कभी-कभार एक दर्द के अलावा तुम्हारे बारे में कुछ और महसूस नहीं करता. अब तुम मुझे एक ब्लैकमेल की चीज़ लगते हो, जिसके ज़रिए मुझसे ज़्यादा से ज़्यादा ऐंठा जाएगा.’

आगे क्या होगा?
- पुलिस इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक टीम आरोपियों से पूछताछ के लिए आज बेंगलुरु से जौनपुर जा रही है.
- मृतक अतुल की पत्नी, उसकी मां चाचा और भाई से पूछताछ होगी.
- अतुल का परिवार इस कानूनी लड़ाई को आगे अब कैसे ले जाने की सोच रहा है.
- पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है.

सुसाइड नोट में दिखा दर्द
@elonmusk @realDonaldTrump @DonaldJTrumpJr @TeamTrump I will be dead when you will read this. A legal genocide of men happening in India currently.
— Atul Subhash (@AtulSubhas19131) December 8, 2024

34 साल के अतुल सुभाष बेंगलुरु सिटी में एक प्राइवेट फर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में DGM के पद पर काम कर रहे थे.अतुल ने अपने मैसेज में कहा, “मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं… उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं. मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है. मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. मैं ही नहीं रहूंगा तो ने तो पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी.”
अतुल सुभाष के माता-पिता का दर्द
34 वर्षीय अतुल सुभाष के माता-पिता ने बताया कि वह बहुत तनाव में था और उसे अदालत की तारीखों के लिए बेंगलुरु और उत्तर प्रदेश के जौनपुर के बीच कम से कम 40 बार यात्रा करनी पड़ी. अतुल की मां ने अपने बेटे की मौत पर कहा, “उन्होंने मेरे बेटे को प्रताड़ित किया, उन्होंने हमें भी प्रताड़ित किया, लेकिन मेरे बेटे ने सब कुछ अपने ऊपर ले लिया. उसने सब कुछ सहा, उसने हमें कष्ट नहीं होने दिया. वह अंदर ही अंदर जलता रहा.” अतुल सुभाष के पिता ने कहा कि अतुल ने उन्हें बताया था कि फैमिली कोर्ट ने कानून का पालन नहीं किया. उसने बेंगलुरु और जौनपुर के बीच कम से कम 40 बार यात्रा की होगी. इतने सारे आरोप, एक मामला खत्म होता था और उसकी पत्नी दूसरे आरोप लगाकर केस कर देती थी. वह निराश था, लेकिन उसने हमें तकलीफ नहीं होने दी.
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न्यायाधीशों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की यह पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्हें निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल यदि निर्णय का हवाला दिया जाएगा, तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी रूप में अपनी बात कह चुके होंगे.”
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक खुला मंच है…आपको एक संत की तरह जीवन जीना होगा, पूरी मेहनत से काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
ग्यारह नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया.
शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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अनुकूल नीतियों, कारोबारी सुगमता से बिहार अब निवेश का आकर्षक स्थल
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पटना:
विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है. राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है. अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं. निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं.
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं, जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है. उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है. बिहार धारणा का शिकार रहा है. लेकिन अब यह बदल रहा है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है.
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है. किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है. उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है. राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है.
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है. साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है. उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है. अब हर राज्य के पास मौका है.
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है. एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है. सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है.”
बिहार की स्थिति विशिष्ट है. पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है. मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है. यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है.
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है. यह बिहार का समय है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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काल बना स्पीड ब्रेकर, हवा में उछली स्कूटर, सड़क पर घिसट गया शख्स… देखिए हैरान करने वाला VIDEO
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नई दिल्ली:
देहरादून में घंटाघर के सामने बिना चिन्ह वाले स्पीड ब्रेकर से टकराने के बाद एक स्कूटर सवार हवा में उछला और इसके बाद वह सड़क पर गिरा. वह और उसकी स्कूटर कई मीटर तक सड़क पर सरकती हुई आगे गई. गनीमत रही कि स्कूटर सवार को कोई गंभीर चोट नहीं लगी. स्पीड ब्रेकर पर ड्राइवरों को सचेत करने के लिए उनकी मार्किंग नहीं की गई है जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
NDTV को मिले घटनास्थल के फुटेज में स्कूटर मध्यम गति से स्पीड ब्रेकर की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. जैसे ही स्कूटर सवार स्पीड ब्रेकर से टकराता है, स्कूटर अप्रत्याशित रूप से हवा में उछल जाता है. वाहन चालक उछलकर नीचे गिर जाता है. वह कुछ देर रुकने के बाद उठता है और वहां से चला जाता है.
स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी डिजाइन में दोषों के कारण यही स्पीड ब्रेकर कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. देहरादून के इस स्पीड ब्रेकर की स्पष्ट मार्किंग नहीं की गई है. इसके अलावा यह अत्यधिक ऊंचा भी है. इससे चार पहियों वाले वाहनों के लिए इसे पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
उचित संकेतक और मार्किंग की कमी के कारण ड्राइवरों के लिए स्पीड ब्रेकर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. इससे यहां हादसे हो रहे हैं.
इस स्पीड ब्रेकर के कारण कथित तौर पर सात दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन साल के एक बच्चे सहित दो लोग घायल हुए हैं.
स्पीड ब्रेकर के कारण हादसे का यह पहला मामला नहीं है. अक्टूबर में गुरुग्राम में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब गोल्फ कोर्स रोड पर एक तेज रफ़्तार BMW कार नए बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर से उछल गई थी.
कैमरे में कैद हुई इस घटना में कार जमीन से काफी ऊपर उछलती हुई दिखी थी. कार उस स्थान से करीब 15 फीट दूर जाकर गिरी थी. उसी वीडियो में दो ट्रक भी बिना किसी निशान वाले स्पीड ब्रेकर से टकराकर हवा में उछलते हुए देखे गए थे.
इस घटना को लेकर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया पर अधिकारियों ने कार्रवाई की थी. गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए “आगे स्पीड ब्रेकर है” लिखा हुआ एक साइनबोर्ड लगवाया. उन्होंने स्पीड ब्रेकर की थर्मोप्लास्टिक व्हाइट पेंट से मार्किंग भी कराई थी. इस तरह पेंट करने से विशेष रूप से रात में स्पीड ब्रेकर साफ दिखाई देता है.
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